जीवन में संतुलन जरूरी
वक्त के साथ सब कुछ बदलता रहता है जैसे हमारा खान- पान ,दिनचर्या ,वर्क स्टाइल , इसलिए समझदारी इसी में है कि हम उसे मैनेज करना सीखे, फिर चाहे वह अनिद्रा, तनाव ,मोटापा, प्रदूषण आदि की ही समस्या क्यों ना हो । …
वक्त के साथ सब कुछ बदलता रहता है जैसे हमारा खान- पान ,दिनचर्या ,वर्क स्टाइल , इसलिए समझदारी इसी में है कि हम उसे मैनेज करना सीखे, फिर चाहे वह अनिद्रा, तनाव ,मोटापा, प्रदूषण आदि की ही समस्या क्यों ना हो । …
सारा विज्ञान ही प्रश्नों पर आधारित है क्योंकि जिस प्रश्न का उत्तर मिल जाता है उस प्रश्न का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है , यदि जीवन से भी प्रश्न समाप्त हो जाए तो जीवन में रोमांच ही समाप्त हो जाएगा । …
आज पैसा नई पीढ़ी के लिए मौज मस्ती करने और सारी भौतिक चीजों को पाने का पर्याय बन गया है | एक आम धारणा बनती जा रही है कि जिसके पास जितना अधिक पैसा होगा वह उतना ही अधिक सुखी होगा क्योंकि संपन्नता को ही सुखी होने का आधार माना जाने लगा है लेकिन सवाल …
जिंदगी में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब दिल और दिमाग में एक जंग सी छिड़ जाती है , दोनों ही अपना – अपना तर्क देते हैं लेकिन समझ नहीं आता कि दिल की सुने या दिमाग की , तब लोग कहते हैं कि हमें दिल की आवाज सुननी चाहिए क्योंकि दिल हमेशा सही …
बढ़ती उम्र के असर को रोकना असंभव है , बढ़ती उम्र किसी पर बोझ या अभिशाप नहीं होती । जीवन की जैसे और अवस्थाएं हैं वैसे ही वृद्धा अवस्था भी है किसी भी दृष्टिकोण या कायदे कानून से वृद्ध व्यक्ति कमजोर असहाय नहीं हो जाता, ना ही आत्मनिर्भरता छोड़ किसी के कंधे का सहारा लेना …
महिलाओं की शिक्षा , स्वतंत्रता , समानता एवं अधिकारों के बुनियादी सवाल हैं तो दूसरी ओर स्त्री को दूसरे दर्जे की वस्तु मानने वाले धार्मिक , सामाजिक, विधि-विधान पर प्रथा परंपराएं रीति-रिवाज और अंधविश्वास जोर- शोर से थोपे जाते रहे हैं । …
आजकल की जीवन शैली में ज्यादातर काम मशीनों से ही करना होता है इससे शारीरिक गतिविधियां कम हो गई है खासकर जिनका काम सारा दिन बैठने का होता है उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं का सामना ज्यादा करना पड़ता है | मोटापा , उच्च रक्तचाप , डायबिटीज, हृदय संबंधी बीमारियां आम बात है इसके विपरीत यदि आप …
बच्चे हमारी भविष्य निधि हैं । बच्चों का बचपन तो माता-पिता के संरक्षण में ही बीतना चाहिए , जैसे एक माली बीज बोता है उसके लिए खाद , मिट्टी , धूप , हवा , पानी की व्यवस्था करता है पौधे को सीधा खड़ा रखने के प्रारंभिक प्रयासों में सहारा देना पड़ता है | इसी प्रकार …
चाहे बात इमोशनल होने की हो या डरने की मान लिया जाता है कि ऐसा तो महिलाओं के साथ ही होता है | कुछ रियालिटी इसके ऑपोजिट भी है ,पुरुषों के भी कुछ ऐसे फनी फैक्ट होते हैं जिन्हें अक्सर वे छुपा लेते हैं । मर्द को दर्द नहीं होता या फिर पुरुष रोते नहीं …
स्त्री के कितने रूप ,कितनी भूमिका, समाज ने तय की है जिन्हें वह बिना शिकायत निभाती रही है । औरत को किसी नाम से पुकारिए उसका नाम सिर्फ औरत है जिसको पारिवारिक, सामाजिक, और राजनीतिक ,स्थितियों में डालकर अपनी तरह से तोड़ा मरोड़ा जा सकता है । …