खुशी पर अनमोल विचार

पल  पल  बदलते  पल  और  घड़ी  की  सुई  यह  संकेत  देती  है  कि  दिन  बदलते  हैं  , दिन  ,महीने , साल,  बदल  जाते  हैं  इन्हीं  के  साथ- साथ  हमारा जीवन  जुड़ा  होता  है ,  बचपन  से  जवानी  और जवानी  से  बुढ़ापा  , जीवन  का  क्रम  इसी  तरह चलता  रहता  है  ।                                                                                                       खुशी ,  प्रसन्नता  , उल्लास  चाहे  जो  भी  कह ले  , कोई  भी  इंसान  तभी  सुखी  हो  सकता  है   जब उसे  अपने  अंदर ,  आनंद  की  अनुभूति  हो  और  इस आनंद  अनुभूति  को  प्राप्त  करना  ही  महत्वपूर्ण  है  यदि  हम  खुश  है  तो  सारी  प्रकृति  हमारे  साथ मुस्कुराती  प्रतीत  होती  है |                                                         मनुष्य  को  जीवन  में अनेक  परिस्थितियों  का  सामना  करना  पड़ता  है कभी -कभी  हम  अपनी  सूझबूझ  से  किसी  कठिन परिस्थितियों  का  हल  ढूंढने  की  कोशिश  करते  हैं ,  कई  बार  हल  स्वतः ही  मिल  जाता  है ,  कभी  – कभी  हम  बहुत  निराश  होने  लगते  हैं  और  कोई व्यक्ति  हमारे  साथ  होने  का  विश्वास  दिलाता  है  , वह  व्यक्ति  एक  गुरु  दोस्त  भाई -बहन  माता- पिता  पति-पत्नी  आदि  कोई  भी  हो  सकता  है  जिसके  भरोसे से  हमारे  अंदर  एक  नई  ऊर्जा  का  संचार  होता  है यह  नई  ऊर्जा  और  कुछ  नहीं  हमारा  खुद  पर विश्वास  है  जो  हमें  बुरे  वक्त  में  खड़े  रहने  की ताकत  देता  है  एक  महान  विचारक  ने  कहा  है  कि सदा  मन  को  हर्ष  में  और  उल्लास  में  बनाए  तो हजारों  हानियों  से  बच  जाएंगे  और  लंबा  जीवन  जी  पाएंगे  ।                                                                                                                                     खुशनुमा  जीवन  जीने  के  लिए  अत्यधिक धन  की  आवश्यकता  नहीं  होती  अगर  हमारी  मूलभूत  आवश्यकताएं  पूरी  हो  रही  हैं  तो  भी  कई बार  अत्यधिक  पाने  की   लालसा  में  इंसान  परिवार के  साथ  छोटे- छोटे  लम्हों  को  गवा  देता  है  लेकिन खुशियां  खोकर  खुशियां  नहीं  कमाई  जा  सकती , इसलिए  अपनी  खुशी  में  दूसरों  को  भी  शामिल  करें  , अगर  कुछ  अच्छा  करना  चाहती  हैं  तो आसपास  के  लोगों  पड़ोसियों  ,दोस्तों  से  सलाह  ले , हर  वक्त  काम  की  चिंता  मानसिक  रूप  से  तनाव  दे  सकती  इसलिए  काम  का  समय  अलग  रखें  बच्चों  के  साथ  समय  व्यतीत  करें , खेलने  जाए ।                                                     ,मन   की  आंतरिक  शांति  के  लिए  जरूरी  है  कि आप  अपने  आसपास  की  चीजों  को   महसूस   करें  ।  हर  व्यक्ति  की  परिस्थितियां  समान  नहीं  होती जीवन  में  उतार- चढ़ाव  आते  रहते  हैं  यह  उतार-चढ़ाव  भौतिक  जीवन  से  भी  जुड़े  होते  हैं  और मानसिक  जीवन  से  भी  ,  फर्क  इतना  है  कि भौतिकता  से  जुड़े  पहलू  दिख  जाते  हैं  और मानसिकता  से  जुड़े  उतार- चढ़ाव  नजर  नहीं  आते  ।  और  खुशी  की  भावना  आपकी  मानसिकता  का दर्पण  है  कि  कैसे  आप  छोटी- छोटी  चीजों  में    खुशियां  ढूंढ  लेते  हैं  इसलिए  आप  कोई भी  ऐसा  कार्य  करें  जो  बिना  किसी  को  हानि पहुंचाए  आपके  चेहरे  पर  खुशी  ला  सके  क्योंकि जीवन  का  आखरी  लक्ष्य  खुशी  ही  है   ।   

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