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बच्चों को मोबाइल से नुकसान

आज  के  दौर  में  बच्चों  के  हाथों  में  मोबाइल  फोन  बहुत  कम  उम्र  में  आ  जाता  है  और  बाद  में  वह  हर  समय  मोबाइल  में  ही  लगे  रहते  हैं, उन्हें  खाने -पीने  और  सोने  तक  का  होश  नहीं  रहता , बच्चा  आने  किसी  काम  में  ध्यान  नहीं  लगाता  इससे  उसका  मानसिक  विकास  बाधित  हो  जाता  है  यह  आदत  उसके  व्यवहार  में  बदलाव  का  कारण बन  जाती  है  मोबाइल  से  निकलने  वाली  रंग बिरंगी  रोशनी  और  मनोरंजक  आवाजें  बच्चों को  उनका  उसका  दीवाना  बना  देती  हैं  उन्हें छूने  और  देखने  की  लालसा  लिए  बच्चा जिज्ञासावस खिचता  चला  जाता  है  और  फिर मोबाइल  का  मायाजाल  उसके  मन  पर  घातक  असर  डालता  है  एक  वैज्ञानिक  के अनुसार  स्क्रीन  के  रेडिएशन  से  बच्चों  की ब्रेन  एक्टिविटी  पर  प्रभाव  पड़ता  है  ऐसे  में रिएक्शन  टाइम  स्लो  हो  जाता  है  और  वह विभिन्न  प्रकार  के  स्लीप  डिसऑर्डर  से  पीड़ित  हो  जाते  हैं  और  बच्चों  की  शैक्षिक कार्य  क्षमता  में  भी  कमी  आती  है , मोबाइल में  लगे  रहने  वाले  बच्चे  पर  इसका नकारात्मक  प्रभाव  पड़ता  है  इससे  बच्चे  का ना  केवल  मानसिक  विकास  अवरुद्ध  होता  है बल्कि  उसका  किसी  भी  काम  में  मन  नहीं लगता  है  यही  नहीं  व  व्यावहारिक  और सामाजिक  रुप  से  लोगों  से  अलगाव  महसूस करता  है  इस  तरह  उम्र  के  हिसाब  से  बच्चे का  विकास  नहीं  हो  पाता  इसके  अलावा लंबे  समय  तक  मोबाइल  देखने  से  बच्चे  को सिर  में  दर्द  होने  लगता  है  उसकी  पढ़ाई  में बाधक  होता  है  बल्कि  उसकी  आंखों  की रोशनी  के  लिए  व  मोबाइल  से  निकलने  वाले  रेडिएशन  से बहुत  नुकसान होता है ।                                                                                  लगातार बच्चे का फोन को देखते रहने से  उसका  काम  से  ध्यान   हट  जाता  है बल्कि  उसके  व्यवहार  में  भी  बदलाव  लाता है  ऐसे  में  बच्चों  को  फोन  से  दूर  करने  पर जिद  करता  है ,  और  नाराजगी  दर्शाता  है ।  गुस्सा  दिखाने  का  तरीका  कई  बार अभिभावक के  लिए  बहुत  परेशानी  भरा  होता  है  इसके  अलावा  मोबाइल  का  अधिक इस्तेमाल  बच्चों  को  अवसाद  में  भी  डाल देता  जिससे  कम  उम्र  में  अवसादग्रस्त   होकर  जिंदगी  की  दौड़  में  पिछड़  जाते  हैं यही  नहीं  जिन  बच्चों  को  मोबाइल  देखने  की  आदत  होती  है  अक्सर  गुस्सा  भी  जल्दी हो  जाते  हैं  ।                                                   मोबाइल  की  लत  के  कारण  बच्चा  किसी भी  काम  में  ध्यान  नहीं  देता  वहीं  सामाजिक और  व्यावहारिक  रूप  से  भी  वह   लोगों  से नहीं  जुड़  पाता ,  इसका  प्रभाव  यह  होता  है कि  उम्म्र  के  हिसाब  से  बच्चे  में  जो वास्तविक  विकास  होना  चाहिए  उसमें  कहीं ना  कहीं  कमी  आ  जाती  है  ऐसे  में  बच्चे ज्यादातर  अकेले  रहना  चाहते  हैं  अपने मोबाइल  के  साथ  खुश  रहते  हैं । बच्चों  की उर्जा   गलत  जगह  डाइवर्ट  हो  जाती  है जिससे  वह  मोबाइल  फोन  पर  गेम  के  जरिए क्रिमिनल  एक्टिविटीज  भी  सीखते  हैं  मन  में उठ  रहे  कौतूहल  के  कारण  हर  तरह  के सवालों  का  जवाब   इंटरनेट  पर  ही  तलाश करते  हैं  और  भ्रमित  होते  हैं  , मन  में  उठ  रहे  विचारों  को  अगर  बच्चे  बड़ों  से  साझा करें  तो  भी  मानसिक  विकास  होता  है ।

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