बच्चे का भावनात्मक विकास करें

आजकल  जब  सामाजिक  परिदृश्य  बड़ी  तेजी  से  बदल  रहे  हैं  ऐसे  में  नन्हे  बच्चों  पर  भी  काफी  दबाव  पड़  रहा  है                        आज  बच्चों  से  जिंदगी  के  हर  क्षेत्र  में  जिनमें  पढ़ाई , लिखाई , खेल , पाठ्यक्रम  के  अलावा  अन्य गतिविधियों  में  भी  उनसे  उच्चतम  दर्जे  की  सर्वश्रेष्ठ  सफलता  की  उम्मीद  की  जाती  है , हमारे  इन  सपनों  के  दबाव  के  साथ  ही  उनकी  जिंदगी  में  टीवी  फिल्म  में  सोशल  , मीडिया  और  प्रिंट  मीडिया  से  हो  रही  जानकारियाँ  भी  परिस्थितियों  को  और  जटिल  बना  रही  हैं ।                                      माता  – पिता  के  तौर  पर  हमें  अपने  बच्चे  को  बहादुर  आत्मविश्वास  से  भरा  हुआ  और  सफल  बनाना  है  ताकि  वह जिंदगी  में  चुनौतियों  का  सामना  कर  सकें , इसलिए  बच्चों  में  शारीरिक  और  शैक्षणिक  के  साथ  मानसिक  और  सामाजिक  विकास  पर  भी  ध्यान  देना  अति  आवश्यक  है।             घरेलू  माहौल  का  महत्व –  माता – पिता  एक  बच्चे  के  पहले  शिक्षक  होते  हैं , बच्चों  को  प्यार  और  पोषक  पर्यावरण  में  उनसे  आत्मविश्वास  के  बीज  और  समझ  विकसित  करनी  होगी , सफलता  निस्वार्थ  प्यार   प्रदान  करके  प्राप्त  की  जा  सकती  है  जो  उनकी  शैक्षणिक  उपलब्धियों  व  अन्य  उपलब्धियों  पर  निर्भर  नहीं  है ।                                          संवाद  और  संचार,  गुणवत्तापूर्ण  समय –  बच्चे  के  भावनात्मक  विकास  को  प्रोत्साहित  करने  के  सबसे  महत्वपूर्ण   तरीके  संवाद  व  संचार  हैं  अपने  बच्चों  के  साथ  संवाद  से  उन्हें  अच्छी  सलाह  देने  के  लिए  ही  सीमित  नहीं होना  चाहिए , संचार  में  बात  करना  और  उनकी  बात  सुनना  भी  शामिल  है । बच्चों  के  साथ  खुलकर  बातचीत  से  उनकी  भावनात्मक  शब्दावली  को  बढ़ा  सकते  हैं  और  उन्हें  दिखा  सकते  हैं  कि  वे  अभिव्यक्ति  के  माध्यम  से  समस्याओं  को   हल  कर  सकते हैं ।                                                        मेहनत  का  सम्मान  करना –  ऐसे  माता -पिता  की  संख्या  कम  नहीं  है  जो  मानते  हैं  कि  बच्चों  को  पैसे  देने  से  उनके  सभी  समस्याओं  का  समाधान  हो  जाएगा  , बच्चों  के  साथ  अच्छा  समय  बिताने  की  बजाय  उन्हें  सभी  लग्जरी  सुविधाएं  प्रदान  करते  हैं  और  मानते  हैं  कि  इससे  वे  बच्चों  को  अपनी  बात  मानने  के  लिए  तैयार  कर  लेंगे ,वहीं  कई  माता – पिता  मानते  हैं  कि  उनके  बचपन  में  वह  जो  नहीं  कर  पाए  उनके  बच्चों  को  उन  चीजों  का  जरूर  आनंद  लेना  चाहिए ।  युवाओं  को  अपने  दोस्तों  के  साथ  छुट्टियों पर  जाने  या  घर  पर  शराब  पीने  के  लिए  प्रोत्साहित  करना  भी  ऐसे  ही  उदाहरण  है , मेहनत  का  महत्व  और  काम  का  सम्मान  उनमें  कुछ  उपयोगी  काम  करने  की  भावना  से  संबंधित  है  जो  उन  में  स्थापित  करना  जरूरी  है ।                                                                 अपने  बच्चों  के  आदर्श  बनें – बच्चे  अक्सर  उन  लोगों  का  अनुसरण  करते  हैं  जो  उनके  आसपास  होते  हैं  विशेषकर  उनका  जिनको  व  पसंद  करते  हैं  इसलिए  अपने  बच्चों  के  लिए  अच्छे  उदाहरण  बने  , उदाहरण  के  लिए  यदि  आप  चाहते  हैं  कि  आपका  बच्चा  कम  टीवी  देखे  या  फोन  का  कम  इस्तेमाल  करें  तो  आपको  खुद  पहल  करनी  होगी  इसके  अलावा  बच्चों  में  अच्छे  मूल्यों  और  नैतिकता  अपने  माता – पिता  से  ही  आती  है  अपने  बच्चों  का  सम्मान  हासिल  करने  के  लिए  आपको  पहले  उनको  दिखाना  होगा  कि  आप  परिवार  में  अपने  बुजुर्गों  का  कितना  सम्मान  करते  हैं  ।                                                                   स्वस्थ  मन  स्वस्थ  शरीर – एक  बच्चे  में  स्वस्थ  दिमाग  की  संभावना  कम  ही  रहती  है  अगर  वह  ज्यादातर  समय  टीवी  के  सामने  ही  बैठा  रहता  है , माता- पिता  व्यस्त  हैं  और  एकल  परिवार  की  व्यवस्था  में  टीवी  काफी  प्रमुखता  पा  चुके  हैं  ,स्मार्टफोन  भी  बच्चों  को  व्यस्त  रखने  के  आसान  माध्यम  हो  गए  हैं ।                                                        इसलिए  बेहतर  होगा  कि  आप  अपने  आपको  मानसिक स्वास्थ्य  के  लिए  शिक्षित  करें  और  इससे  जुड़े  भ्रमों  को  दूर  करें , बच्चों  के  बेहतर  मानसिक  स्वास्थ्य  और  भावनात्मक  विकास  से  बेहतर  और  कुछ  भी  जरूरी  नहीं  है ।

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