जीवन धन – संवेदना व सकारात्मकता

संवेदना  यानी  कि  किसी  की  वेदना  उसी  की  तरह  अनुभव  करने  वाली  भावना , यह  भावना  रखने  वाला  व्यक्ति  संवेदनशील  माना  जाता  है ।  दयालुता  व  संवेदना  संबंधों  को  मजबूती  से  जोड़े  रखने  का  काम  करती  हैं  ,शोध  बताते  हैं  कि  किसी  भी  संबंध  में  दयालुता  व  भावनात्मक  स्थिरता  ही  टिकाऊ  और  संतुष्टि  की  गारंटी   होता  है । भावनाओं  पर  ही  दुनिया  टिकी  हुई  है  फिर  चाहे  वह  भावना  अच्छी  हो  या  बुरी  सभी  के  अपने  अपने  मायने  हैं  भावनाएं  ही  तो  हैं  जिनसे  ख्वाब  व  ख्वाहिशें  पूरी  होती  हैं  जिंदगी  के  सफर  में  जो  कभी  खुशियों  की  तो  कभी  अक्सर  जीने  की  वजह  बन  जाते  हैं  ऐसे  में  अपने  इमोशंस  का  ख्याल  रखना  तो  बेहद  जरूरी  बन  जाता  है।                                                                               इस  मामले  में  महिलाओं  को  अधिक  संवेदनशील  कहा  गया  है  कुछ  हद  तक  यह  सही  भी  है  कि  महिलाएं  बहुत  जल्दी  किसी  पर विश्वास  कर  लेती  हैं  जिसका  सीधा  असर  उनकी  मानसिक  और  शारीरिक  सेहत  पर  पड़ता  है  वह  कुछ  भी  गलत  नहीं  सहन  कर  सकती  हालांकि  कभी – कभी  उन्हें  दुखी  करने  वाला  व्यक्ति  माफी  मांग  लेता  है  तो  भी  वह  माफ  कर  देती  हैं  यह  गुण  बेशक  अच्छा  है  परंतु  महिलाओं  के  इन  अच्छे  गुणों  का  सकारात्मक  परिणाम  क्या  उनके  घर , परिवार , दफ्तर , समाज  पर  पड़ता  है ?   उदाहरण  के  लिए  हमारे  परिवारों  में  महिलाओं  की  संवेदनाओं  को  अनेक  तरह  से  घायल  किया  जाता  है  जैसे  उनके  मायके  वालों  को  ताना  मार  कर , घर  के  महत्वपूर्ण  निर्णय  से  उसे  बाहर  रखकर और  परिवार  के  किसी  भी  सदस्य  की  जिंदगी  में  कुछ  भी  गलत  होता  है  तो  उसका  दोष  उन  पर  मढ़  कर, वहीं  तर्क  की  लगाम  से  संवेदना  को  लगाम   रखने  वाली  महिलाओं  पर  तो , इन  सब  का  कोई  असर  नहीं  होता  इसका  परिणाम  यह  होता  है  कि  उनकी  तबीयत  खराब  हो  जाती  है , शरीर  में  तरह  तरह  की  गड़बड़ियां  होने  लगती  हैं  यहां  बात  संवेदनहीन  बनने  की  नहीं  है  सही  बात  तो  यह  है  कि  संवेदनशील  होना  गर्व  की  बात  है।  संवेदना  जीवंतता  की  निशानी  है  लेकिन  आपके  आसपास  जड़  लोगों  का  साम्राज्य  हो  तो  आप  की  संवेदनशीलता  ही  आपके  सुख  में  रुकावट  पैदा  करने  लगती  है  ऐसे  में  अपनी  संवेदना  को  इस  तरह  व्यक्त  करें  कि  मानसिक  समस्याओं  का  तूफान  आपके  जीवन  की  खुशियों  को  तबाह  न  कर  दे ।                                                                सकारात्मकता –  हमें  अपने  आसपास  ऐसे  बहुत  से  लोग  मिल  जाते  हैं  जिनको  किसी  प्रकार  का  कोई  रोग  नहीं  है  फिर  भी  उनकी  शारीरिक  ,मानसिक  ,स्थिति  बहुत  अच्छी  नहीं  होती  है  ऐसे  लोग  अपने  मन  में  ही  अपने  जीवन  की लड़ाई  हार  चुके  होते  हैं  दरअसल  स्वस्थ  रहने  के  लिए  विचारों  को  सकारात्मक  रखना  भी  बहुत  जरूरी  है  मन  के  अंदर  की  सकारात्मक  वैचारिक  ऊर्जा  बड़ी  से  बड़ी  समस्याओं  का  हल  मिनटों  में  कर  देती  है  विशेषज्ञ  मानते  हैं  कि  सकारात्मक  ऊर्जा  का  प्रवाह  कठिन  से  कठिन  परिस्थितियों  में  भी  दृढ़ता  व  संयम  बनाए  रखने  में  मदद करता  है  मनोविज्ञान  भी  कहता  है  कि  अगर  कोई  बीमार  है  तो  उससे  बीमारी  की  बात  ना  करें  हालांकि  आज  की  भाग  दौड़  भरी  जिंदगी  में  दिल  और  दिमाग  का  तनाव  मुक्त  रहना   मुश्किल  हो  जाता  है  ऐसी  स्थिति  में  सकारात्मक  प्रवाह  को  समझना  बेहद  जरूरी  है  सही  सकारात्मक  विचार  और  सोच  के  माध्यम  से  ही  तनाव  को  कम  किया  जा  सकता  है  और  जीवन  को  बेहतर  दिशा  में  लाया  जा  सकता  है  सकारात्मक  सोच  की  सौगात  ही  हमारे  जीवन  को  अर्थ  पूर्ण  दिशा  दे  सकती  है । सकारात्मक  दृष्टिकोण  व आत्मविश्वास  के  बल  पर  ही  किसी  काम  को  अंजाम  दिया  जा  सकता  है   और  आज  की  व्यस्त  जिंदगी  में  इस  हौसले  की  बहुत  जरूरत  है ।

Similar Posts

3 Comments

Leave a Reply