व्यस्त रहें , खुश रहें

प्रत्येक  महिला  के  जीवन  में  40  से  50  वर्ष  की  उम्र  तक  एक  ऐसा  पड़ाव  आ  जाता  है  जब  उसके  बच्चे  नौकरी  या  शिक्षा  प्राप्त  करने  के  लिए  घर  से  दूर  चले  जाते  हैं । कामकाजी  महिलाओं  की  जीवन  शैली  पर  इससे  कुछ  अधिक  फर्क  नहीं  पड़ता  क्योंकि  उनकी  व्यस्तता  तो  जस  की  तस  ही  रहती  है  परंतु  घरेलू  महिलाओं  के  लिए  बच्चों  के  घर  से  बाहर  जाने  के  बाद   घर  संसार  एकदम  विरान  सा  लगने  लगता  है | कई  महिलाएं  तो  मानसिक  अवसाद  तक  की  स्थिति  में  पहुंच  जाती  हैं  इस  स्थिति  से  बचने  के लिए  आवश्यक  है  कि  आप  स्वयं  को  व्यस्त  रखें |   कुकिंग, गार्डनिंग, सिलाई, कढ़ाई ,ट्यूशन ,आदि  के  साथ – साथ  किसी  लाइब्रेरी  की  सदस्यता  लेकर  भी  स्वयं  को  व्यस्त  रख  सकती  हैं। दरअसल  इस  समय  में  आप  अपने  सभी  शौक  पूरे  कर  सकती  हैं  जिनको  आप  अभी  तक  पूरा  नहीं  कर  पाई  हैं | प्रत्येक  महिला  में  कोई  ना  कोई  हुनर  अवश्य  होता  है  आवश्यकता  है  उसको  पहचान  कर  बाहर  लाने  की | इस  पर  अधिक  जानकारी  के  लिए  इस  लिंक  पर  जाएं https://www.palakwomensinformation.com/2020/10/hunar-se-banaye-zindagi-aasan.html                          यह  भी  सही  है  कि  हम  में  से  अधिकांश  महिलाएं  कुछ  ना  कुछ  करना  अवश्य  चाहती  हैं  परंतु  संकोच ,आत्मविश्वास  की  कमी , दुनिया  की  परवाह , सफलता  मिलेगी  या  नहीं , जैसे  पूर्वाग्रहों  से  ग्रस्त  होने  के  कारण  कदम  बढ़ाने  से  डरती  हैं।                                                                                                   अब  इस  उम्र  में  क्या  करना,  जिंदगी  तो  कट  गई  जैसे  विचारों  को  अपने  मन  में  कतई  न  पनपने  दें | जब  जागो  तभी  सवेरा  वाली  कहावत  के  अनुसार  जीवन  के  किसी  भी  मोड़  पर  कुछ  भी  नया  करने  या  सीखने  से  न  हिचकिचायें  खाली  रहकर  हर  समय  बच्चों  और  पति  के  बारे  में  सोच  सोच  कर  तनाव  पालने  की  अपेक्षा  अब  अपने  लिए  भी  कुछ  करें  बस  कुछ  भी  करने  से  पहले  अपने  आत्मविश्वास  को  बनाए  रखें  और  सफलता  असफलता  की  चिंता  ना  करें ।                                                                                                            सदैव  ध्यान  रखें  कि  सीखने  की  और  किसी  कार्य  को  प्रारंभ  करने  की  कोई  उम्र  नहीं  होती  उम्र  चाहे  कोई  भी  हो  आपकी  प्रगति  में  बाधक  नहीं  होनी  चाहिए |  किसी  भी  कार्य  की  सफलता – असफलता  आपकी  सोच  पर  निर्भर  करती  है  अपने  अंदर  नकारात्मक  विचारों  को  कतई  न  पनपने  दें  आप  जो  भी  करना  चाहती  हैं  उसे  अपनी  सकारात्मक  सोच  से  पूरा  करें ।                                                                                                     हम  सब  में  अधिकांश  लोग  अपने  मन  का  काम  सिर्फ  इसलिए  ही  नहीं  कर  पाते  कि  लोग  क्या  कहेंगे , इस  की अपेक्षा  जो  आपका  मन  कहता  है  वह  करें,  लोगों  का  तो  काम  ही  कहना  होता  है , आप  चाहे  अच्छा  करें  या  बुरा  उन्हें  तो  बातें  बनाना  ही  है  इसलिए  वह  करें  जिससे  आपके  मन  को  शांति  मिलती  है  जिससे  आपका  आत्मविश्वास  बढ़ता  है  और  जिसके  माध्यम  से  आप  कुछ  आर्थिक  अर्जित  कर  पाती  हैं।                                                                       विवाह  उपरांत एक  लड़की  का  संपूर्ण  जीवन  ही  परिवर्तित  हो  जाता  है  कई  बार  महिलाएं  जब  अपनी  आगे  की  पढ़ाई  करना  चाहती  हैं  तो  परिवार  वाले  मना  तो  नहीं  करते  परंतु  उत्साह  व  सार्थक  सहयोग  भी  नहीं  करते  क्योंकि  कई  बार  वे  यह  समझ  ही  नहीं  पाते  कि  उनसे  आप  किस  प्रकार  की  अपेक्षा  कर  रही  हैं  इसलिए  प्रत्येक  सदस्य  से  सहयोग  की  अपेक्षा , आप  अपने  दम  पर  पूरे  साहस  के  साथ  कदम  उठाएं  फिर  देखिएगा  पूरा  परिवार  स्वतः  ही  आपके  साथ  आ  जाएगा ।                     

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5 Comments

  1. Last paragragh me jo likha h wo to maine apne ghar me mahsoos kiya hai.. Bilkul sahi kaha didi.. Apne shaukh poore karne ki aur kuch naya karne k liye koi umr seema nahi hoti.. Jab jaago tabhi savera 😄

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