सीनियर सिटीजन हेल्पलाइन
भारत में 60 साल से ज्यादा उम्र के नागरिकों को वरिष्ठ नागरिक का दर्जा प्राप्त है | इस उम्र के व्यक्ति को बहुत ही सम्मान की नजर से देखा जाता है लेकिन आए दिन यह देखने में आ रहा है कि बुजुर्ग या तो दयनीय हालत में जीवन गुजार रहे हैं या अपने परिवार से अलग आश्रम में रहने को मजबूर हैं | संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के मुताबिक भारत में हर पांच में से एक बुजुर्ग परिवार से अलग रहने को मजबूर है उस में महिलाओं की संख्या ज्यादा है अशिक्षित बुजुर्गों की हालत और भी ज्यादा दयनीय है ज्यादातर बुजुर्गों को अर्थराइटिस , शुगर , बीपी और आंख से जुड़ी बीमारियों से ग्रस्त हैं। बुजुर्गों को राज्य सरकारों की ओर से जो पेंशन दी जा रही है वह उनके भरण – पोषण के लिए नाकाफी हैं बुजुर्गों की देखभाल के लिए 2007 में वेलफेयर और पेरेंट्स कानून बनाया गया जिसमें बूढ़े माता – पिता को यह अधिकार है कि वह अपने बच्चों से भरण – पोषण के लिए अपनी संतान से गुजारा भत्ता ले सकती है कानून में कहा गया है कि जिन्हें बुजुर्गों की मृत्यु के बाद संपत्ति मिलने वाली है वह गुजारा भत्ता देंगे ऐसा नहीं करने पर बच्चों पर 5000 रुपए का जुर्माना और 3 महीने की सजा या दोनों का प्रावधान है । बुजुर्गों को सम्मान से जीने का अधिकार है परंतु आए दिन समाज में दिखने वाले किस्सों से बुढ़ापा कहीं ना कहीं एक अभिशाप बन जाता है | आपके अपने आप के पास खड़े नहीं दिखते । लीगल ऐड अथॉरिटी – लीगल एड अथॉरिटी हर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के अंदर होती है इसमें पीड़ित बुजुर्ग को जाकर सिर्फ यह कहना है कि हमें यह सुविधा चाहिए वहां जाने पर लीगल ऐड अथॉरिटी आप की हर संभव सहायता करेगी । ओल्ड एज होम – सीनियर सिटीजन की मदद के लिए बनाया गया यह ओल्ड एज होम हर शहर में होता है वहां जाने पर उस बुजुर्ग का सरकार सारा खर्चा उठाएगी। हेल्प एज ( एस ० ओ ० एस ) सीनियर सिटीजन की मदद के लिए बनाया गया यह ऐप है । एस ० ओ ० एस ऐप एक बुजुर्ग हेल्पलाइन है इस हेल्पलाइन को दिल्ली के राज्यपाल नजीब जंग ने लांच किया है इस हेल्पलाइन में एक बटन दबाते ही कोई भी बुजुर्ग इस हेल्पलाइन से जुड़ सकता है इस हेल्पलाइन के सेंटर देश के तमाम इलाकों में हैं | इस ऐप की खासियत यह है कि जिस भी इलाके से बुजुर्ग फोन करेंगे , उसी इलाके के हेल्पलाइन सेंटर में उनकी कॉल कनेक्ट होगी और उसी इलाके की भाषा में बुजुर्ग अपनी समस्या बता सकेंगे समस्या सुनने के बाद उस एनजीओ के लोग तुरंत बुजुर्ग के घर जाकर पहले तो बातचीत करके समस्या सुलझाने की कोशिश करेंगे और काउंसलिंग करने की कोशिश करेंगे नहीं तो इस मामले में पुलिस की मदद भी ली जा सकती है यह एप हिंदी और इंग्लिश दोनों में है । इस ऐप की एक खासियत यह भी है कि यह केवल मुश्किल के वक्त में ही नहीं वरन आम दिनों की रोजमर्रा के काम में भी इस्तेमाल की जा सकती है इतना ही नहीं इस ऐप के जरिए बुजुर्गों को डिस्काउंट वगैरह का भी ज्ञान दिया जाएगा । इस एप में हेल्प एज इंडिया और सोशलिज्म एंड सीनियर सिटीजन मिलकर काम करेंगे इस ऐप के माध्यम से बुजुर्ग स्वास्थ्य की वित्तीय योजना बनाने की , वसीयत वगैरह बनाने की और उनके साथ दुर्व्यवहार हो रहा हो तो वह क्या करें , इससे संबंधित समस्याओं का समाधान करने में यह ऐप सहायता करेगा ।
Selection of topic for blog is admirable….keep it up dear