जागो – मदर इंडिया
आपकी अपने बेटों से कितनी बात होती है ? बातचीत के विषय क्या होते हैं ? क्या बातों में सिर्फ यही होता है कि बेटा तुम ठीक से खाओ – पियो , अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो ,दोस्तों को लेकर उलाहना और घर जल्दी लौट आने की हिदायतें । कितनी माएं अपने बेटों से सामाजिक सरोकारों ,जिम्मेदारियों , और व्यवहार जैसे मुद्दों पर बात करती हैं शायद बहुत ही कम | क्या कभी उन्होंने 13 -14 साल के बढ़ते बेटों से यह कहा है कि बेटा हर लड़की को इज्जत की नजर से देखना चाहिए । मां अपनी बेटी को बैठना खाना बनाना , दूसरों से मिलजुल कर रहना आदि ना जाने क्या – क्या सिखाती है, पर बेटे को तहजीब का पाठ पढ़ाना भूल जाती है , बेटी को लड़कों के साथ दोस्ती और उठने बैठने की गाइडलाइंस देती मां क्या बेटे को एक लाइन भी समझाती है कि उसका व्यवहार लड़कियों के साथ कैसा हो क्या यह जरूरी नहीं कि सबसे पहले मां बेटे को स्त्री सम्मान का पाठ पढ़ाये, इसलिए जागो -मदर इंडिया । आप यह तो मानती ही होंगी कि मां से बड़ा कोई टीचर नहीं हो सकता मां को अपने बेटों को यह जरूर समझाना चाहिए कि लड़की एंटरटेनमेंट का साधन नहीं होती किसी स्त्री के साथ बेहुदगी से बात करने से पहले उसके दिमाग में यह ख्याल क्यों नहीं आता कि उसकी खुद की मां बहन के साथ भी कोई पुरुष दुर्व्यवहार कर सकता है । मेरा मानना है कि मां का सबसे बड़ा फर्ज है कि बड़े होते बेटे के दिमाग में यह बात कूट – कूट कर डालें कि तुम्हें हर स्त्री की उतनी ही इज्जत करनी है जितनी इज्जत तुम दूसरों से अपनी मां बहन के लिए चाहते हो । टीनएज की शुरूआत ही वह सही समय है जब मां बेटे को यह बात सिखा सकती है। जो माँ बेटे को फर्श से उठाकर कुछ ना खाने की सीख देती हैं ,बाहर से पिट कर मत आना पीट कर आना जैसी नसीहत देती हैं वही अपने बेटों को इज्जत देने का बेसिक संस्कार देने से क्यों चूक जाती हैं या फिर बेटे की बीमार होती सोच को क्यों नहीं पकड़ पाती ।
बिगड़ता बेटा मां की नजर से नहीं बच सकता लेकिन माँ भी तरह तरह की होती हैं , एक वे जो बेटे की गलतियों पर पर्दा डालने में एक्सपर्ट होती हैं , दूसरी वे जिन्हें अपने बेटे की ऐसी हरकतों पर यह सोचकर नाज होता है कि उनका बेटा जवान हो गया है और जवान लड़कों से ऐसी गलतियां हो जाया करती हैं । हमारे देश का एक बहुत बड़ा तबका यही मानकर चलता है कि लड़कियां चीनी और लड़के चींटे होते हैं । बेटा हेकड़ी में आकर गलत हरकतें करता है लेकिन मां को बेटे के कैरेक्टर की कमियां दूसरों की गलतफहमी लगती है , क्या कभी माँ अपने बेटे को साफ शब्दों में यह समझाती हैं कि अगर अपनी मर्दानगी दिखाना है तो कोई अर्थ पूर्ण रास्ता अपनाओ परंतु ऐसा होता बहुत कम है , मां – बाप अपने बेटे की हरकतों पर सफाई दे देकर उसकी गलत सोच को सीचते हैं । बेटा शरीर बनाने में लगा रहता है | औलाद की ऐसी अंधभक्ति ठीक नहीं जो उसे दिल दिमाग से बौना कर दें । हर मां को आज के वक्त में अपनी तरफ से समाज को एक पुख्ता सपोर्ट सिस्टम देने की सोच रखनी चाहिए बेटे को बराती घोड़ा ना बनाएं उसके अंदर चेतक सी चेतना जगाए । सारी लड़ाई मानसिकता की है जिसे जीतने में हमें वक्त लग रहा है बेटे की मानसिकता को मां बिगड़ने से क्यों नहीं रोकती । प्राचीन काल में जब गांधारी की पट्टी बंधी आंखें द्रौपदी का चीर हरण नहीं देख सकी , दूसरी तरफ कुंती ने द्रौपदी को बर्फी का टुकड़ा समझा और बेटों को आपस में बांट लेने को कहा , दोनों ही महिलाओं ने अपनी गलतियों को सुधारने की एक भी कोशिश नहीं की। इन औरतों के मुकाबले महबूब खान की फिल्म मदर इंडिया की राधा सम्मान में कहीं ज्यादा आगे है जिसने गलत कृत्य पर अपने बेटे को भी नहीं बख्शा । इसलिए अभी भी वक्त है जागो मदर इंडिया और अपने कर्तव्यों का पालन करो ।
बहुतअच्छालिखा और समझाया
Yes it's true 👌👌
True lesson
मां के लिए जो लिखी बहुत ही अच्छा है
Behtareen likha hai didi.. Jab tak ye zimmedari maaen nahi uthaengi tab tak bete bigarte rahenge… gandi mansikta wale ladko ki parenting par bhi sawaliya nishan hai ye hathras gangrape. Ab MEN WILL BE MEN nahi chalega.
Bahut sahi likha.
Bahut hei behtareen.
Wah kya bat hai…bahut accha likha
Thank you
Thank you
Thank you
Thank you
Thank you
Thank you
Thank you
Thank you
बहुत ही अच्छा विचार, सभी लोगों को इस पर अमल करना चाहिए 👍🏻👍🏻
बहुत ही अच्छा
Aapne bilkul Sahi BAAT likhe h Di logo ko apni mentality change karne hogi.
Thank you
Thank you
Thank you
Very nice