बच्चे का व्यक्तित्व आपकी पेरेंटिंग की कुशलता पर निर्भर है

आपके  बच्चे  का  आचरण  और  व्यक्तित्व  आपकी  पेरेंटिंग  की  कुशलता  पर  निर्भर  है । अच्छी  परवरिश  वह है  जिसमें  सहानुभूति  ईमानदारी , आत्मविश्वास , आत्मनियंत्रण , दयालुता , सहयोग , मानवता  आदि  गुण  विकसित  हो , ऐसी  परवरिश  बच्चे  को  एंजायटी , डिप्रेशन , ईटिंग  डिसऑर्डर  और  सामाजिक  व्यवहार  और  नशे  आदि का  शिकार  होने  से  बचाती  है  अच्छा  अभिभावक  बनने  के  लिए  इन  बातों  का  जरूर  ध्यान  रखें –                             जो  माता  पिता  अपने  बच्चों  को  अत्यधिक  अनुशासन  में  पालते  हैं  वह  हर  चीज  के  लिए  कड़े नियम  बना  देते  हैं  पढ़ाई  और  सुरक्षा  के  नियम  होने  ठीक  है  लेकिन  अगर  आप  अपने  बच्चे  के  जीवन  के हर  पहलू  के  लिए  कड़े  नियम  बना  देंगे  तो  निम्न  समस्याएं  खड़ी  हो  जाएंगी –           विद्रोह – जो  बच्चे  अत्यधिक  कड़े  नियमों  में  पलते  हैं  और  जिन्हें  स्वतंत्रता  नहीं  मिलती , जो  उनके  लिए  जिम्मेदार  इंसान  बनने  के  लिए  जरूरी  है  वह  खुद  कभी  यह  नहीं  सीख  पाते  कि  सही  क्या  है  और  गलत  क्या , उनमें  आंतरिक  अनुशासन  विकसित  नहीं  हो  पाता  क्योंकि  उन्हें  केवल  नियमों  का  पालन  करना  सिखाया  जाता  है  खुद  को  नियंत्रित  करना  नहीं , ऐसे  में  कई  बार  बच्चों  में  विद्रोह  करने  की  प्रवृत्ति  पनपने लगती  है ।       

   निर्णय  लेने  की  क्षमता –   जो  अभिभावक  अपने  बच्चों  को  कड़े  अनुशासन  में  रखते  हैं  स्वयं  निर्णय  नहीं  लेने  देते , ऐसे  बच्चे  बड़े  होकर  भी  अपने  निर्णय  स्वयं  नहीं  ले  पाते  और  अगर  ले  लेते  हैं  तो  उन  पर  डटे  नहीं  रहते  उन्हें  हमेशा  अपने  से  शक्तिशाली  का  अनुसरण  करने  की  प्रवृत्ति  विकसित  हो  जाती  है ।                                             संवाद  की  समस्या – स्ट्रिक्ट  पेरेंट्स  और  बच्चों  में  संवाद  की  कमी  होती  है ,  बच्चों  को  इस  बात  का  डर  होता  है  कि  यदि  वे  अपनी  भावनाएं  विचार  या  कार्य  अपने  माता – पिता  से  साझा  करेंगे  तो  उन्हें  डांट  या  मार  पड़ेगी  तो  ऐसे  में  वे  उनसे  बातें  छुपा  लेते  हैं , जब  बच्चों  के  समक्ष  कोई  ऐसी  समस्या  आती  है  जिसका  समाधान  वे  स्वयं  नहीं  ढूंढ  पाते  तब  भी  वे  अपने  माता – पिता से  उन  समस्याओं  को  साझा  नहीं  करते  हैं ।                    उदाहरण  प्रस्तुत  करें – याद  रखें  बच्चे  अपने  माता – पिता  को  देखकर  ही  सीखते  हैं , आपके  कार्यों  की  गूंज  आपके  शब्दों  से  तेज  होती  है , पहले  खुद  अच्छे  व्यवहार  के  द्वारा  सकारात्मक  उदाहरण  प्रस्तुत  करें  फिर  बच्चों  से  अच्छे  व्यवहार  की अपेक्षा  करें । इसलिए  अभिभावक  अपने  बच्चों  को  हमेशा –                                       * साथ  होने  का  एहसास  कराएं ।                           *  बच्चों  को  स्वतंत्रता  दें ।                                      * बच्चों  से  अच्छा  व्यवहार  करें ।                           * परवरिश  में  बदलाव  लाते  रहे |                                    बच्चों  से  विनम्रता  से  बात  करें  उनके  विचारों  को  ध्यान  से  सुने , उनसे  प्रेम  पूर्वक  व्यवहार  करें , ध्यान  रखें  आपके  बच्चों  के  साथ  आपका  व्यवहार  दूसरों  के  साथ  उनके  व्यवहार  की  आधारशिला  है । 

                                           

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