ऐसी अपेक्षाएं – आपके गृहस्थी में लगा सकती हैं सेध
आज हमारे आसपास ऐसी महिलाओं की कमी नहीं है जो बड़ी उम्र की हैं समझदार व संपन्न है जिनके किशोर पुत्र या पुत्री हैं आकर्षक व ऊंचे ओहदे पर आसीन पति हैं फिर भी उनकी और अव्यवहारिक सोच उन्हे कहीं का नहीं छोड़ती , उम्र के इस मोड़ पर जब ऐसी महिलाओं से परिपक्वता की उम्मीद की जाती है तो वह कुछ चतुर किस्म के पुरुषों के जाल में उलझ जाती हैं जिसे व निश्चल , स्नेह, आत्मीयता व दोस्ती समझती है वास्तव में वह चाहत , लगाव, विश्वास दोस्ती कुछ ना होकर बढ़ती उम्र का आकर्षण या नवीनता की चाह मात्र होती है । इस कमजोरी का कुछ पुरुष भरपूर फायदा उठाते हैं । बीमार मानसिकता – कई बार ऐसा होता है जब बच्चे बड़े होने लगते हैं वह बाहर की दुनिया में ज्यादा व्यस्त हो जाते हैं पति भी अपने काम पर ज्यादा ध्यान देने लगते हैं और पत्नी को उतना समय नहीं दे पाते तब वह खुद को खाली, एकाकी , पाती हैं ऐसे में उन पर यह सोच भी हावी होती है कि इनके लिए मैने अपने शौक खत्म कर किए ,परिचय का दायरा समेट लिया और आज इन्हें मेरी सुध नहीं वह अपने घर परिवार को यह जताने के लिए कि मुझे भी कोई वक्त दे सकता है या किसी को मेरी फिक्र है ,अपनी इस बीमार सोच की वजह से ऐसे संबंध बना बैठती हैं जिन्हें घर परिवार सहन नहीं कर सकता है । पछतावे के सिवा कुछ नहीं – समाज के नियम को तोड़कर सुख शांति से जीना आसान नहीं होता । वह लोगों की शंका का शिकार होती हैं और कई सवालिया नजरों का सामना करना पड़ता है अतः यह आवश्यक है कि संपर्क में आने वालों से एक निश्चित मर्यादित दूरी बनाकर रखें । सिनेमाई जिंदगी और वास्तविकता के अंतर को पहचाने , क्योंकि जो पर्दे पर है वह पर्दे पर ही होता है मित्रता हमेशा हम उम्र हो, व दोस्ती अपने स्तर के लोगों से ही बनाए , हमारा समाज पुरुष प्रधान है यहा महिलाओं की स्थिति हमेशा कमजोर रही है इस सत्य को स्वीकार करे तथा अपनी स्थिति को और सुदृढ़ बनाने के लिए कहीं भी अपनी प्रतिष्ठा और दाव पर न लगाएं । इसलिए महिलाओं को स्वयं में मजबूती लानी होगी विवाह के बाद दांपत्य संबंध की सीमा न लाघे, मर्यादा ना तोड़े ,अपने परिवार को प्राथमिकता दे उसे ही समझे ,सराहे व स्वीकारें ।
Very nice