बच्चे की पर्सनैलिटी पहचानना जरूरी
हर बच्चे की पर्सनैलिटी अलग-अलग होती है उसे पहचानना जरूरी है , अगर माता-पिता उसे समझ कर बच्चे की पर्सनैलिटी निखारने की कोशिश करें तो वह स्टार बन सकता है । बच्चा घर या स्कूल में जैसा व्यवहार करता है वह उसकी पर्सनैलिटी पर निर्भर करता है , बस जरूरत होती है उसे समझ कर सही राह दिखाने की – एनरजेटिक बच्चे – यह बच्चे एनर्जी से भरपूर होते हैं इन्हें सबके आकर्षण का केंद्र बने रहना पसंद होता है इन बच्चों का खुद पर नियंत्रण नहीं होता , यह अनुशासित भी नहीं होते , यह बच्चे होशियार होते हैं पर इन्हें बैठकर किसी के निर्देश सुनना पसंद नहीं आता , इनका दिमाग खूब चलता है यह चीजों को अपने नजरिए से समझने की कोशिश भी करते रहते हैं । सलाह – * ऐसे बच्चों के माता-पिता को घर में बच्चे को पॉजिटिव अटेंशन दें और उसका नजरिया पॉजिटिव बनाए ताकि स्कूल में भी उसका ध्यान नकारात्मक बातों की तरफ ना जाए । * ऐसे बच्चों को एक्टिविटी में बिजी करने की जरूरत होती है , जिससे इनका कंसंट्रेशन डिवेलप हो सके । * मार – पिटाई वाले गेम्स के बजाय इन्हें अच्छी किताबें पढ़ने को दें । * इन बच्चों में भरपूर एनर्जी होती है अगर इनकी एनर्जी का इस्तेमाल ना किया जाए तो यह आक्रामक और गुस्सैल होकर बदतमीजी व जिद करने लगते हैं इस व्यवहार पर रोक लगाने के लिए सभी घरवाले एक ही राय रखें , ऐसा ना हो कि माता किसी चीज के लिए डांटे तो पिता उसे सपोर्ट कर दे , या माता-पिता किसी चीज के लिए जाते तो दादा-दादी उसकी जिद पूरी करें ऐसे होने पर बच्चा इस बात का फायदा उठाने लगता है ।
बड़बोला बच्चा – कुछ बच्चे स्वभाव से बातूनी और अपने दिल की सारी बातें दोस्तों , टीचर ,और घर में बताते रहते हैं इनकी सवालों की लंबी लिस्ट होती है इन्हें ग्रुप वर्क करना अच्छा लगता है क्योंकि यह सुनने से ज्यादा बोलना पसंद करते हैं इसलिए पढ़ाई पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते । सलाह – * अपने बच्चे को दूसरों की बात सुनने का महत्व समझाएं उनके सामने ऐसे उदाहरण प्रस्तुत करें , उनकी बात ध्यान से सुने और समझे । * इन बच्चों के साथ ऐसे गेम खेलें जिनसे कंसंट्रेशन बढ़ती हो । शर्मिला बच्चा – शर्मीले बच्चे अपने में ही सिमटे रहने वाले अच्छे श्रोता माने जाते हैं , वे चुप रहकर सारी बातें सुनते हैं और अच्छे स्टूडेंट होते हैं लेकिन क्लास में टीचर के कुछ पूछने पर भी कभी -कभी हाथ उठाते हैं , ऐसे बच्चों को सब कुछ पता होने पर भी बोलने की हिम्मत नहीं कर पाते , इनमें कॉन्फिडेंस की कमी होती है । सलाह * अपने बच्चे के दोस्त बने ,उसकी बात आगे तक पहुंचाएं , । * हर थोड़े समय बाद उनके टीचर से मिले , और अपने बच्चे के बारे में उनसे बात करें । * बच्चे को बोलने के लिए प्रोत्साहित करें । * यह बच्चे कल्पना लोक में जीते हैं और अपने आप से बातें करते हैं , बच्चे को ग्रुप परफॉर्मेंस के लिए प्रेरित करें । कई रिसर्च मे यह सिद्ध हो चुका है कि जो माता-पिता अपने बच्चे की भावनाओं को समझते हैं और बच्चे के पर्सनैलिटी के हिसाब से व्यवहार करते हैं उनके बच्चे आगे चलकर ज्यादा कॉन्फिडेंट और कम शर्मीले होते हैं ।
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Nice parenting tips👍