बच्चों की जिद – क्या करें
बच्चे जैसे – जैसे बड़े होते हैं तो उनके मस्तिष्क का विकास भी होता है जिसके फलस्वरूप वे भावनाएं जाहिर करना भी सीखने लगते हैं ऐसे में अभिभावक अपने बच्चों के लिए बड़े ही संवेदनशील हो जाते हैं, अक्सर अभिभावकों को यह शिकायत करते हुए सुना जाता है की वे अपने बच्चे को अनुशासन में रखने की लाख कोशिश करें लेकिन बच्चे सुनते ही नहीं यह समझना बहुत जरूरी है कि बच्चों को खुश रखने के लिए व उन्हे अनुशासित करने के बीच मामूली सा फर्क होता है जिन्हें ध्यान में रखकर आप बच्चों की जिद और उनके व्यवहार से जुड़ी शिकायतें आसानी से दूर कर सकते हैं । बच्चे जब जिद करते हैं तो अभिभावक लोगों के सामने शर्मिंदगी से बचने के लिए उसकी जीत के आगे घुटने टेक देते हैं बार- बार ज़िद मानने से बच्चा यह समझ जाता है कि सबके सामने जिद करने से अभिभावक उसकी बात मान लेते हैं इसी वजह से वह ऐसा करना अपनी आदत बना लेता है ।
अक्सर ऐसा भी होता है कि परिवार के दो सदस्यों से उसे अलग -अलग प्रतिक्रिया मिलती है और इस दौहरे प्रतिक्रिया से वह भ्रमित भी हो सकता है , ऐसी परिस्थितियों का गलत फायदा उठाना भी सीख सकता है इसलिए जरूरी है कि एक इस मामले में परिवार के सदस्यों का व्यवहार बच्चों के साथ एक जैसा ही हो । वे उनके लिए बनाए गए सभी नियमों को जाने , जिससे बच्चा उसी तरह आचरण करें । अपने बच्चों को सही में जरूरत और फिजूल की जरूरत का अंतर पता होना चाहिए इसके लिए अभिभावक द्वारा बच्चों को समझाना बहुत जरूरी है कि उसकी मांग व्यवहारिक या अतार्किक है अगर उसे अपनी मांग पूरी करनी है तो वैसा करने का सही तरीका क्या हो सकता है ।
बच्चे को सिर्फ अनुशासन सिखाने के लिए ही पुरस्कृत नहीं करें बल्कि उसकी प्रेरणा बढ़ाने के लिए भी पुरस्कृत करें , इसके बीच संतुलन बनाकर रखें अगर प्रभावी ढंग से इसे लागू किया गया तो आपको अपने बच्चों के व्यवहार में बदलाव अपने आप दिखेगा ।