मीठे बोल की तासीर कुछ खास होती है
घर परिवार में जीवन साथी के साथ चर्चा करते समय या दोस्त परिवार के किसी अन्य सदस्य के साथ चर्चा करते समय अगर आप अपना आपा खो बैठते हैं तो वह सहयोगी दोस्त या साथी आप से दूरी बनाने लगते हैं संवाद के दौरान अपने दिमाग को ठंडा रखे , कहना बहुत आसान है , मगर असल में ऐसा कर पाना बहुत मुश्किल होता है लेकिन मीठे बोल की तासीर हमेशा कुछ खास होती है । बातचीत के दौरान जिस तरह कभी दुख होता है’, कभी हंसी आती है , उसी तरह गुस्सा आना भी एक सामान्य बात है लेकिन इसके प्रति ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है ।
बातचीत का तरीका और बॉडी लैंग्वेज ‘- आप अपनी बातों को किस तरह कहती हैं और आपके बोलने की ध्वनि बहुत ही महत्वपूर्ण है अगर आपकी ध्वनि ठीक है तो चर्चा स्वस्थ रहती है और अगर ठीक नहीं है तो , बात का बतंगड़ बनने में देर नहीं लगती । अगर बातचीत के दौरान आपकी बॉडी लैंग्वेज आक्रामक है तो सामने वाले को आपकी बातों का गलत संदेश जाएगा , इसलिए हाथों को बांध कर बात करना , भौहे तान कर उंगली दिखा कर बात करने से बचें , चर्चा के दौरान शरीर और चेहरे को शांत रखें और स्वस्थ संवाद पर फोकस करें । हंसने और मुस्कुराने से दिमाग में फीलगुड नामक केमिकल भी रिलीज होता है जिससे तनाव कम होता है । यह जरूरी नहीं कि आप सामने वाले की हर बात से सहमत हो , हर कोई एक ही बात पर सहमत हो यह संभव भी नहीं है क्योंकि हर किसी के पास अलग अनुभव अलग शिक्षा और अलग स्वभाव होता है जैसा कि हम अलग अलग तरीके से सीखते हैं तो हमारी राय भी अलग – अलग ही होती है अगर चर्चा के दौरान दोनों पक्ष अपने अपने तर्कों पर अड़े हुए हैं और आप चाहते हैं कि शांति पूर्वक मामला खत्म हो और उसका असर आपके रिश्ते पर भी ना पड़े तो आप एक कदम पीछे हटा लें , असहमति जताते हुए एक बिंदु पर सहमत हो और विनम्रता पूर्वक विषय बदले ।
याद रखिए मीठे बोल से व्यक्ति आपके दिल में बस सकता है और अगर ना हो तो व्यक्ति दिल से उतर जाता है तो हमारा यह प्रयास होना चाहिए कि हम किसी चीज से अगर आप असहमत भी हैं तो उसे शांतिपूर्ण ढंग से विनम्र शब्दों में अपनी बात को रखें क्योंकि यह बात सत्य है की मीठे बोल की तासीर कुछ खास होती है ।