बच्चों के बदलते स्वभाव व भाषा पर नजर रखें
बच्चे अपने माता- पिता की देखरेख में बड़े होते हैं , ऐसे में आपके व्यक्तित्व का प्रभाव पड़ता ही है परंतु आजकल बच्चों की भाषा को असभ्यता का नया वायरस लगा है । अपनी उम्र से ज्यादा बड़ी बात करना उनकी आदत में शामिल हो गया है , बड़ों को बात करते समय टोकना , बात – बात पर बच्चों का चिड़चिड़ापन , आज अमूमन हर जगह देखा जा रहा है उनके व्यक्तित्व और भाषा में आए इस बदलाव की असल वजह टीवी और इंटरनेट है । डिजिटल दुनिया से कनेक्ट होकर बच्चे अगर कुछ अच्छी चीजें सीख रहे हैं तो कुछ गलत भी उनके समझ मे आता है ।ऐसे में यह जिम्मेदारी माता -पिता के ऊपर होती है कि वह अपने बच्चों के इस बदलते स्वभाव पर नजर रखें और उन्हें सही समय पर टोके , ताकि आपका बच्चा अनुशासन में रहें और सही भाषा का प्रयोग करे।
बच्चों को गलत हरकतों पर रोकना , यह आपकी ही जिम्मेदारी है अगर आपको लगता है कि बढ़ती उम्र के साथ खुद सीख जाएंगे तो आप गलत सोच रही हैं , सही समय पर उन्हें रोका नहीं गया तो बच्चों की खराब आदतों को सुधारना मुश्किल हो जाता है , अगर आपको उनकी कोई बात गलत लग रही है तो उन्हें अकेले में समझाए , अगर बच्चा टीवी या इंटरनेट देखकर कुछ गलत सीख गया है तो उसे दोषी करार देकर सजा न दे , उसे एहसास दिलाएं कि उसने गलत बर्ताव किया है जिससे आप कितनी दुखी हैं ऐसा करने से बच्चे पर भावनात्मक असर पड़ेगा और वह उसको सुधारने की कोशिश करेगा । बच्चों को जब भी कुछ सिखाएं तो प्यार से सिखाएं । कई माता- पिता अपने बच्चों पर हुक्म चलाते हैं और बात- बात पर डाँटते हैं , इससे आपका बच्चा आपके कभी आपके करीब नहीं आएगा , वह हर छोटी- छोटी बात आपसे छिपाएगा , जिसकी जानकारी आपको होनी चाहिए थी , उससे वह आपके सामने कहने की कोशिश नहीं करेगा । बच्चों को अपने से बड़ों की इज्जत करना और तमीज से बात करना सिखाए यह आपकी जिम्मेदारी है । इससे वह सम्मान भी करेंगे और आप के बताए रास्ते पर चलने का प्रयास भी करेंगे । वही अगर आप ने मारपीट कर सिखाने की कोशिश की तो हो सकता है कि वह स्वीकृति ना दे और विद्रोही भी हो जाए ।
अक्सर माता- पिता दूसरों के कहने पर अपने बच्चों के लिए एक धारणा बना लेते हैं ऐसा ना करें क्योंकि इससे बच्चे का आत्मविश्वास खत्म हो जाएगा , इसलिए उस पर भरोसा करे इससे बच्चा गलत काम नहीं करेगा और आपके सामने झूठ भी नहीं बोलेगा ।