हम किसी से कम नहीं

अगर  मन  में  कुछ  अलग  करने  का  जज्बा  हो  तो  आप  किसी  भी  हालात  में  कामयाब  होंगे , कहते  हैं सफलता  न  सूरत  देखती  है  ना  हैसियत  सफलता  सिर्फ  काबिलियत  देखती  है | आज  की  युवा  पीढ़ी  अपनी शिक्षा  व  सोच  की  बदौलत  नए – नए  पड़ाव  पार  कर  रही  है  और  स्त्री  सशक्तिकरण  की  नई  पहचान  बनी है |                                                              

              छोटे  कद  की  बुलंद  शख्सियत  आरती  डोगरा  (आईएएस अफसर ) –  इंसान  का  कद  उसकी शारीरिक  लंबाई  से  नहीं  बल्कि  हिम्मत  और  हौसले  की  ऊंचाई  से  मापा  जाता  है  देश  की  सबसे  छोटे  कद की  महिला  आईएएस  अधिकारी  आरती  डोगरा  ने  जिनका  कद  महज  3  फीट  और  2  इंच  का  है  लेकिन उपलब्धियों  की  लिस्ट  बहुत  लंबी  है  पिछले  दिनों  उन्हें  डिस्कॉम  की  मैनेजिंग  डायरेक्टर  से  अजमेर  के  जिला  अधिकारी  पद  की  जिम्मेदारी  सौंपी  गई
|              तानों   का  शोर  और  मुश्किल  डगर –  जब  उनका  जन्म  हुआ तो  उनकी  फिजिकलिटी  को  लेकर  डॉक्टर  ने  साफ  कह  दिया  कि  वह  सामान्य  सामाजिक  जीवन  नहीं  जी  पाएंगी  लेकिन  उनके  पिता  राजेंद्र  सिंह  डोगरा  व  स्कूल  टीचर  माँ  कुमकुम  ने  ना  केवल  उनकी  परवरिश  बड़े  लाड  प्यार  से  की  बल्कि  अपना  परिवार  भी  इसी  एक  संतान  तक  सीमित  रखा। आत्मविश्वास  और  हौसले  से  आरती  ने  सामान्य  शिक्षा  ली  स्पोर्ट्स  और  घुड़सवारी  सीखी  दिल्ली  के  लेडी  श्रीराम  कॉलेज  से अर्थशास्त्र  में  स्नातक  करने  के  साथ  छात्र  राजनीति  भी  सक्रिय  रही |  पोस्ट  ग्रेजुएशन  देहरादून  से  कर  बच्चों को  पढ़ाने  लगी  तभी  उनकी  मुलाकात  कलेक्टर  मनीषा  से  हुई  जिसने  उन्हें  आईएएस  बनने  के  लिए  प्रेरित  किया , पहले  ही  प्रयास  में वह  चुन  ली  गई  आरती  डोगरा  राजस्थान  के  ढेर  की  2006  बैच  की  ऑफिसर  हैं।                                                                                                                      सम्मान  व  प्रेरणा  से  भरा  है  करियर – बीकानेर  जिला  अधिकारी  पद  पर  कार्यरत  रहने  के  दौरान  उनका  बंको  बिकाऊ  अभियान  बेहद  लोकप्रिय  हुआ  इसके  अंतर्गत  उन्होंने  लड़कियों  महिलाओं  को  खुले  में  शौच  ना  करने  के  लिए  प्रेरित  किया  और  अपने  अभियान  को  195  ग्राम  पंचायतों  तक  सफलतापूर्वक  चलाया  इसके  अलावा  उनका  एक  और  इनीशिएटिव  मिशन  काफी   सार्थक  रहा  डॉक्टर्स   फॉर  डॉटर्स  कार्यक्रम  के जरिए  भी  व  चिकित्सा  जगत  में  बदलाव  लायीं  उन्हें  राष्ट्रीय  व  राज्य  स्तर  के  कई  पुरस्कार  मिल  चुके  हैं  और  उन्होंने  यह  साबित  किया  कि  हम  किसी से  कम  नहीं  |  आरती  डोगरा  इस  लेख  का  प्रतिबिम्ब  हैं – https://www.palakwomensinformation.com/2020/08/paristhiti-aur-ichhashakti.html

                    एवरेस्ट  की  चोटी  पर  सबसे  छोटा  भारतीय  कदम  (शिवांगी पाठक)  (एवरेस्ट विजेता ) –  16  मई  2018  को  माउंट  एवरेस्ट  की  चोटी  पर  तिरंगा  फैलाने  वाली  हिसार  हरियाणा  की  16  वर्षीय  शिवांगी  पाठक  ऐसा  करने  वाली  सबसे  कम  उम्र  की  भारतीय  बन  गई  है |  पूरे  देश  का  सिर  गर्व  से  ऊंचा  करने  वाली  शिवांगी पाठक  के  लिए   खुद  अपनी  यह  कामयाबी  किसी  सपने  से  कम  नहीं  थी  इसलिए  जब  उन्होंने  ऐसा  कर  लिया  उन्हें  पलभर  यकीन  नहीं  हुआ , कि  वह  7  कदम  वापस  लौटकर  फिर  शिखर  की  तरफ  मुड़ी  और दोबारा  टॉप  पर  चढ़ी  शिवांगी  ने  जहां  एक  तरफ  माउंट  एवरेस्ट  की  चोटी  पर  अपने  कदमों  के  निशान  छोड़े  वहीं  दूसरी  तरफ  12वीं  क्लास  भी  70%  अंकों  के  साथ  पास  की  इस  ऐतिहासिक  जीत  के  बाद  प्रधानमंत्री  मोदी  ने  ट्वीट  कर  शिवांगी  को  बधाई  दी  और  देश – विदेश  के  मीडिया  ने  शिवांगी  को  हाथों  हाथ  लिया  अब  शिवांगी  अट्ठारह  साल  की  होने  तक  दुनिया  के  सातों  शिखर   फतेह  करना  चाहती  हैं |  शिवांगी  पाठक  इच्छाशक्ति  इस  लेख  को  सार्थक  कर  रही  हैं  https://hi.wikipedia.org/wiki/                                                                                                फ्रांस  में  असम  की  प्रियंका  का  बजा  डंका – जब  हौसलों  की  परवाज  न  होती  है  तो  देश  की  सीमाएं  छोटी  पड़  जाती  हैं  असम  की  प्रियंका  दास  के  हौसले  भी  कुछ  ऐसे  हैं  जो  आज  उन्हें  असम  से  फ्रांस  तक लड़कियों  का  रोल  मॉडल  बना  रहे  हैं |  दरअसल  जो  लड़कियां  साइंटिस्ट  बनना  चाहती  हैं  उनकी  रोल मॉडल  के  तौर  पर  फ्रांस  सरकार  ने  मात्र  26  साल  की  प्रियंका  को  2014  में  शुरू  हुए  फॉर  गर्ल्स  एंड  साइंस  प्रोग्राम  का  एंबेसडर  बनाया |  यह  कार्यक्रम  फ्रांस  के  राष्ट्रीय  शिक्षा  मंत्रालय  और  लोरियल  फाउंडेशन के  सहयोग  से  चलाया  जा  रहा  है  इसे  फ्रांस  की  मैत्री  ऑफ  नेशनल  एजुकेशन  व  फ्रांस  की  लोरियल  फाउंडेशन  द्वारा  सपोर्ट  मिलता  है |  सात  समंदर  पार  मिली  इस  उपलब्धि  से  प्रियंका  ने  भारत  का  नाम  रोशन  किया  है                                                        क्यों  खास  है  यह  उपलब्धि – शोध  पत्रिका  फ्रंटियर्स  इन  साइकोलॉजि  के  ताजा  अंक  में पब्लिश्ड  रिसर्च  के  मुताबिक  बीते  कुछ  सालों  में  भौतिकी , इंजीनियरिंग , गणित  व  कंप्यूटर  विज्ञान  में महिलाओं  का  प्रतिनिधित्व  कम  बना  हुआ  है , यह  मानसिकता  है  कि  लड़कियों  के  लिए  साइंस  या  मैथ  जैसे  सब्जेक्ट  पढ़ने  का  कोई  औचित्य  नहीं  है  क्योंकि  आगे  चलकर  उनका  कार्यक्षेत्र  बदल  जाता  है  ऐसे  में  इन  विषयों  को  चुनने  वाली  लड़कियों  के  कारण  काफी  सीटें  गिर  जाती  हैं |  वे  लड़कियां  जिन्हें  इसी  क्षेत्र  में  करियर  बनाना  है  उनके  लिए  स्थिति  बहुत  खराब  साबित  होती  है , लड़कियों  के  लिए  इस  पहल  का  चेहरा  बनकर  प्रियंका  लड़कियों  को  साइंस  में  रुचि  लेने  के  लिए  प्रेरित  करेंगी , आने  वाले  समय  में  भारत  के  विज्ञान  के  क्षेत्र  में  महिलाओं  की  न  सिर्फ  भूमिका  बढ़ेगी  बल्कि  पुरुषों  महिलाओं  के  बीच  यह  खाई  भी  पट  जाएगी |                                                                                                    इन  सभी  महिलाओं  ने  साबित  किया  है  कि  हम  किसी  से  कम  नहीं |  

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