समाज की विकृत मानसिकता – अपशगुन

 

भारतीय  समाज  में  शगुन  और  अपशगुन  का  खेल सदियों  से  चला  आ  रहा  है  ।  हमारे  समाज  के  लोग इस  शगुन  और  अपशुगन  के  चक्कर  में  फस  कर  कई महिलाओं  को  अपमानित  ही  नहीं  करते  बल्कि  उन्हें  नर्क  से  बदतर  जीवन  जीने  के  लिए  भी  मजबूर  कर  देते  हैं  सबसे  हैरानी  की  बात  तो  यह  है  कि  यह अपशगुन   का  तमगा  केवल  महिलाओं  के  ही  सर  मढ़ा जाता  है,  अगर  किसी  लड़की  के  जन्म  के  समय  मां-बाप  या  किसी  करीबी  रिश्तेदार  या  किसी  कारणवश  मर  जाए  तो  उस  लड़की  को  उसके  रिश्तेदार  और समाज  के  लोग  अपशगुन  ही   मानने  लगते  हैं  या  फिर किसी  औरत  को  शादी  के  बाद  बच्चे  नहीं  हो  रहे  हैं  तो  बिना  कारण  जाने  ही  समाज  के  लोगों  से  बांझ मानकर  किसी  शुभ  कार्य  में  आने  नहीं  देते  , यह  केवल एक  का  दुख  का  कारण  नहीं  है  जिसके  चलते  महिला को  जीवन भर  यह  अपशगुनी  कहकर  जलील  किया जाता  है  बल्कि  उन्हें  अभिशप्त  जीवन  जीने  के  लिए बाध्य  कर  दिया  जाता  है  इसे  समाज  की  विकृत मानसिकता   ही  कहना  पड़ेगा  क्योंकि  किसी  भी  पुरुष को  अपशगुन  ही  नहीं  कहा  जाता  है  उन्हें  किसी परेशानी  का  जिम्मेदार  नहीं  माना  जाता  है  यदि  हम अपने  आसपास  ही  गौर  करें  तो  हम  देखते  हैं  कि  कभी  किसी  भी  विधुर  व्यक्ति  को  किसी  शुभ  कार्य  में शामिल  होने  के  लिए  मना  नहीं  किया  जाता  और  ना ही  किसी  अनाथ  लड़के  को  अपशकुन  ही  मानकर  शादी  विवाह  आदि  में  आने  पर  रोक  लगाई  जाती  है परंतु इसके ठीक विपरीत महिलाओं को इनमें किसी भी स्थिति  होने  पर  उसे  अपशगुन  का  तमगा  दे  दिया  जाता है  बल्कि  उसके  साथ  कटु  व्यवहार  भी  किया  जाता  है ।       

                                                                            यह  एक  सामाजिक  समस्या  है  और  इसे  सामाजिक समस्या  कहना  इसलिए  उचित  है  क्योंकि  यह  प्रकृति द्वारा  प्रदत्त  नहीं  है  बल्कि  समाज  के  द्वारा  ही  पैदा  की गई  है  इस  के  कुछ  प्रमुख  कारण  इस  प्रकार  है  –                   *  शिक्षा  की  कमी    ।                                               *  जागरूकता  की  कमी    ।                                         *   समानता  नहीं  होना  ।                             इस समस्या को दूर करने के उपाय –                                       *   हमारे  देश  में  एक  कहावत  प्रचलित  है  कि  जब  एक  औरत  शिक्षित  होती  है  तो  पूरा  राष्ट्र  शिक्षित होता  है  यानी  जब  स्त्रियां  पढ़ी  लिखी  होती  है  तो  घर के  सभी  बच्चों  को  भी  गलत  अवधारणाओं  से  दूर  रखेंगी   और  ऐसे   अंधविश्वासों  से  दूर  रखेंगी  और  रहने के  लिए  कहेंगी  तो  कल  को  उनके  बच्चे  भी  ऐसे अंधविश्वास  भरी  बातों  से  दूर  रहेंगे  क्योंकि  आज  के बच्चे  ही  कल  का  भविष्य  हैं ।                                    *    बच्चों  को  किताबी  ज्ञान  के  साथ- साथ  व्यवहारिक ज्ञान  भी  दें  ,क्योंकि  व्यावहारिक  ज्ञान  देने  से  बच्चों  में संवेदनशीलता  बढ़ेगी  और  किताबी  ज्ञान  से  जागरूकता में  बढ़ोतरी  होगी  जागरूकता  आने  से  लोग  ऐसी  बातों में  विश्वास  नहीं  करेंगे   ।     

                                

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One Comment

  1. आपने बिल्कुल सही कहा शिक्षा ही समाज में जागरूकता ला सकती है👌👌

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