महामहिम द्रौपदी मुर्मू

एक  संथाल  आदिवासी  महिला  द्रौपदी  मुर्मू  का  भारत का  राष्ट्रपति  बनना  एक  ऐसा  करिश्मा  है  जिसने  हर भारतीय  के  ह्रदय  को  गर्व  और  आत्मविश्वास  से  भर दिया  है  ।                                                                         उड़ीसा  के  मयूरभंज  के  उपरबेड़ा  गांव  में  जन्मी बेहद  साधारण  पृष्ठभूमि  से  उभरकर  रायसीना  हिल्स स्थित  बेहद  खास  भारत  के  राष्ट्रपति  भवन  तक  पहुंचने वाली  द्रौपदी  मुर्मू  सबसे  कम  उम्र  की  राष्ट्रपति  व आजादी  के  बाद  जन्मी  देश  की  पहली  राष्ट्रपति  बनी  है ।                                                                                             20  जून  1958  को  संथाल  जनजाति  के कबीलाई  मुखिया  बिरंचि  नारायण  दूदू  के  घर  जन्मी  द्रौपदी  मुर्मू  ने  उपरबेड़ा  गांव  के  ही  स्कूल  से  प्राथमिक शिक्षा  हासिल  की , उनके  शिक्षक  रहे  विश्वेश्वर  मोहंती कहते  हैं  कि  नेतृत्व  का  गुण  उनमें  जन्मजात  था  हालांकि  वह  देश  के  शीर्ष  पद  तक  पहुंचेगी  , यह कल्पना  भी  नहीं  किया  था  , स्नातक  करने  वाली   मुर्मू उनके  गांव  की  पहली  लड़की  थी  ।                                                 1979  में  भुवनेश्वर  के  रामादेवी  कॉलेज से  बीʼए  पास  करने  के  बाद  द्रौपदी  मुर्मू  रायरंगपुर के  श्री  अरबिंदो  इंटीग्रल  एजुकेशन  सेंटर  में  शिक्षक  रही इसके  बाद  उन्होंने  सिंचाई  और  ऊर्जा  विभाग  में  कनिष्ठ सहायक  बनी     ।                                                   एक  दशक   सरकारी  नौकरी  करने  के  बाद  उन्होंने 1997  में  जनसेवा  को  ही  अपना  जीवन  बनाने  का फैसला  किया ,  उड़ीसा    मे   1990  के  दशक  में पंचायती  राज  व्यवस्था  लागू  होने  के  बाद  उनके  दादा और  पिता  दोनों  गांव  के  सरपंच  रहे  सियासत  से  मुर्मू का  बस  इतना  ही  परिचय  था  वह  रायरंगपुर  नगर पंचायत  के  चुनाव  में  पार्षद  चुनी  गई  और  नगर  पंचायत  की  उपाध्यक्ष  बनी  ।                                                   द्रौपदी  मुर्मू  का  व्यक्तिगत  जीवन  अत्यधिक पीड़ादायक  रहा  है  2010  से  2014  के  बीच  उनके  दो बेटों  और  पति  की  मौत  हो  गई  , बड़े  बेटे  लक्ष्मण  की मौत  रहस्यमय  ढंग  से  घर  में  ही  हुई ।  2012  में  एक सड़क   हादसे  में  छोटे  बेटे  बिरंचि  की  मौत  हो  गई  और 2014  में  पति  श्याम  चरण  मुर्मू  की  मौत  हुई  , इन हादसों  के  बाद  मुर्मू  ने  अपने  गांव  के  अपने  घर  को बोर्डिंग  स्कूल  में  बदल  दिया    ।                                     द्रोपदी  मुर्मू  के  कीर्तिमान  –       

  * द्रौपदी  मुर्मू   देश  के  सर्वोच्च  संवैधानिक  पद  पर पहुंचने  वाली  पहली  आदिवासी  महिला  है ।                   *  आजाद  भारत  में  पैदा  होने  वाली  पहली  राष्ट्रपति ।    * द्रौपदी  मुर्मू  देश  की  सबसे  युवा  राष्ट्रपति  हैं  पहले यह  कीर्तिमान  नीलम  संजीव  रेड्डी  के  पास  था  उन्होंने 64  साल  2  महीने  और  6  दिन  की  उम्र  में  शपथ  ली मुर्मू  जब  25  जुलाई  को  शपथ  लेंगी  तब  उनकी  उम्र  64  साल  1 महीना  और  8  दिन  होगी  ।                       * द्रौपदी  मुर्मू  ऐसी  पहेली  पार्षद  है  जिन्हें  प्रथम  नागरिक  बनने  का  सम्मान  प्राप्त  हुआ  है  ।

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