नववर्ष – उम्मीदों का नया आकाश

 पुराने  साल  का  बीत  जाना  और  नए  साल  का  आ जाना  हमें  सिखाता  है  कि  जीवन  में  कुछ  भी  स्थाई नहीं  है  ।                                                                                हमारे  समाज  में  आज  वैमनस्य ,  ईर्ष्या अवसरवादी  मनोवृत्तियां  चारों  तरफ  दिखाई  देती  हैं  जो व्यक्तियों  की  भावनाओं  का  व्यापार  कर  रही  है  , और फायदा  उठा  रही  हैं ।  मानव  विकास  में  सहायक  शिक्षा प्रणाली  भी  अब  पूर्णतः  रोजगार  परक  शिक्षा  नहीं  दे  पा  रही  है  , स्कूल  के  शैक्षिक  ज्ञान  को  धता  बताते  हुए कोचिंग  संस्थान  ऐसा  प्रस्तुत  कर  रहे  हैं  कि  विद्यार्थी  के सिर  का  ढक्कन  खोल  कर  उसमें  सबकुछ  भर  देंगे  और  तुरंत  बच्चों  को  विजय  श्री  दिला  देंगे  ।                                 कल  तक  जो धन  गृहस्थीं  धन  था  आज  उसकी  भूख  बढ़ती  जा  रही  है  जिसने  जीवन  का  मूल  और  मूल्य  दोनों  के  नैतिक  ज्ञान  को  भी  भ्रम  की  श्रेणी में  लाकर  खड़ा  कर  दिया  है  ऐसे  में  आज  देश  के प्रत्येक  परिवार  का  यह  दायित्व  है  कि  वह  अपने  बच्चों को  विवेकी  बनाए  व उन्हें  किसी  भी  प्रोफेशन  में  भेजने से  पहले  एक  अच्छा  और  सच्चा  नागरिक  बनने  के  लिए  प्रेरित  करें  ।     

               हमारी  जिंदगी  में  चिंताओं  का  होना  कोई  नई बात  नहीं  है  चिंताए  तो  आएंगी  ही  लेकिन  जरूरी  है कि  हमारी  उम्मीदों  का  बना  रहना  , कुछ  नया  सीखना खुद  को  व्यस्त  रखने  का  एक  बहुत  ही  आसान  तरीका है  । जिंदगी  में  खाली  बैठा  इंसान  अक्सर  अपनी परेशानियों  के  बारे  में  ही  सोचता  रहता  है  ।  लेकिन अगर  सचमुच  हम  अपनी  जिंदगी  में  कुछ  नया  और सुकून  भरा  चाहते  हैं  तो  हमें  कई  मोर्चों  पर  सोचने  की बहुत  जरूरत  है  ।  सबसे  पहले  तो  रिश्ता  जिससे  हमारे जीवन  का  सबसे  महत्वपूर्ण  पक्ष  होते  हैं  रिश्ता   सुखद है  तो  जीवन  सुखी  है  परंतु  कोई  एक  भी  करीबी  रिश्ता अगर  सहज  नहीं  है  तो  जिंदगी  में  असंतोष  बना  रहता है ।  कुछ  रिश्ते  हमें  जन्म  से  मिलते  हैं  व  कुछ  हम  खुद  बनाते  हैं ,  जिंदगी  में  रिश्ते  होना  मायने  तो  रखता है  मगर  उससे  भी  ज्यादा  महत्वपूर्ण  है  कि  हम  रिश्तो को  निभाते  कैसे  हैं  नए  साल  पर  यह  सवाल  खुद  से जरूर  पूछें  ।                                                                          दुनिया  में  सब  लोग  बुरे  नहीं  हैं  परेशानी  यह है  कि  हम  खुद  भी  अच्छे  नहीं  बन  पाते  अक्सर  हमें  भी  वैसे  ही  लोग  मिलते  हैं  जैसे  हम  होते  हैं  अब  अगर सभी  अच्छे  हैं  तो  मतलब  हम  भी  अच्छे  हैं  और  अगर वह  बुरे  हैं  तो  मतलब  कहीं  ना  कहीं  हम  भी  बुरे  हैं  । हम  सभी  में  कुछ  ना  कुछ  ऐसा  जरूर  होता  है  जो  हमें  बुरा  बनाता  है  , जैसे  हम  किसी  की  मदद  नहीं करना  चाहते  लेकिन  जब  हम  मुसीबत  में  होते  हैं  तो चाहते  हैं  कि  सब  हमारी  मदद  करें ,  इसलिए  आने  वाले  साल  में  इन  सब  मोर्चे पर चिंतन  करे  और   एक बेहतर  इंसान  बने  तो  ढेर  सारे  नए  सपने  व  उम्मीदें आपके  पास  आएंगे  व सफल  भी  होगे ।

                                                                                                 ”   नव  वर्ष   मंगलमय   हो   “

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