बच्चों की डाइट पर अनावश्यक कंट्रोल ठीक नहीं
आजकल आपको ऐसी माएं ज्यादा मिलेंगी जिन्हें अपने बच्चों की सेहत के प्रति जरूरत से ज्यादा प्रोटेक्टिव रहने की आदत सी हो गई है , नई पीढ़ी की इन माओ का रवैया देखकर चिकित्सक और डाइटिशियन भी हैरान है । एक डायटिशियन बताती हैं कि उन्हें यह देखकर हैरानी होती है जो माँए अपने बच्चों को मेरे पास लाती हैं वे खुद ओवरवेट होती हैं । जब तक घर के बड़े खानपान में सावधानी नहीं बरतते हुए और बच्चों के लिए रोल मॉडल नहीं बनेंगे तब तक बच्चों से ऐसी उम्मीद करना उन पर अत्याचार करने जैसा ही है
आज बच्चों को बात- बात पर टोका जा रहा है कि यह मत खाओ , वह मत पियो या ज्यादा कैलोरी वाला है , इसमें बहुत फैट है , यहां कीटाणु है , वहां वायरस है आदि । हेल्थ एक्सपर्ट इस स्थिति से काफी चिंतित हैं , उनका मानना है कि बच्चों की वर्तमान पीढ़ी भोजन जैसी चीज जो रुचि पूर्वक खानी चाहिए , उसको भी डर डर कर खा रही है इससे भोजन का जो फायदा सेहत को मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाता और बच्चे मानसिक तनाव व दबाव में भी आ जाते हैं । बच्चा पिज़्ज़ा बर्गर या अन्य फास्ट फूड की जिद करें तो टोटल बैंंन की बजाय उसे उसकी पसंदीदा चीज दिला कर उसकी कमियों के बारे में बताएं साथ ही ऐसी चीजों से मिलते जुलते फूड घर पर तैयार करने की कोशिश करें ताकि उन्हें सब्जियां , मेवे आदि डालकर उन्हें हेल्थ बना सकें , बच्चे के खाने के लिए मार्केट से कुछ ऐसे पैकेज्ड फूड भी लाती रहे जिनकी पैकेजिंग बेहद आकर्षक होती है और वह खाने में भी फायदेमंद होती हैं जैसे रेडी टू ईट उपमा , इंस्टेंट ढोकला इडली मिक्स आदि । बच्चों को चीनी के बजाय मीठे के दूसरे ऑप्शन भी चखने को दें जैसे आम, खजूर , गुड़ , तरबूज अंगूर इत्यादि ।
मोटापे की मूल वजह है बच्चों में फिजिकल एक्टिविटी की कमी , ज्यादातर बच्चे गजट से चिपके रहते हैं और खेलकूद भूल जाते हैं एक जिम्मेदार माँ के नाते आपको अपने बच्चों की शारीरिक गतिविधियों वाले खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए जैसे क्रिकेट , फुटबॉल , बैडमिंटन , कबड्डी आदि । इस प्रकार बच्चों पर अनावश्यक डाइट कंट्रोल करना सही नहीं है इन सब बातों का ध्यान रखते हुए भी आप अपने बच्चों को फिट और हेल्दी रख सकती हैं ।