क्या है वजह पुरुषों में बढ़ते मेंटल डिसऑर्डर की
हमारी सोच यही रहती है कि महिलाएं ही शोषण व तिरस्कार का शिकार होती हैं इसलिए उन्हें ही अधिक मानसिक व शारीरिक समस्याएं होती हैं इसलिए पुरुषों की तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता । हमारे समाज में काम से लेकर हर चीज को लिंग के आधार पर ही बांटा गया है पारंपरिक भूमिकाओं को लेकर अब भी सोच यही बनी हुई है कि घर के बाहर की जिम्मेदारी पुरुष की व भीतर की जिम्मेदारी महिलाओं की । परिवार के मुखिया हो तुम , मजबूत हो , तुम से ही वंश चलता है , तुम कमजोर नहीं , तुम कभी रोना नहीं , आंसू बहाना तो औरतों का काम होता है , तुम सब कुछ सह सकते हो लेकिन कुछ कह नहीं सकते , यह सब हिदायतें आए दिन हम अपने घर परिवार में पल रहे लड़कों को देते रहते हैं इन सब के बीच हम यह भूल जाते हैं कि वह भी इंसान हैं ,उनके सीने में भी दिल है जिसमें भावनाएं भी होती हैं । हम जिस समाज में रहते हैं पुरुष का पर्याय ही कठोरता है यही वजह है कि पुरुषों में मानसिक समस्याएं बढ़ रही हैं अब उनके घातक परिणाम भी सामने आने लगे हैं यह हाल सिर्फ भारतीय समाज का ही नहीं बल्कि यह पूरे विश्व की तस्वीर है इंग्लैंड में हर 8 पुरुष में से एक को मेंटल प्रॉब्लम है वहीं अमेरिका जैसे देश में भी हर साल 6 मिलियन से अधिक पुरुष डिप्रेशन के शिकार होते हैं । डिप्रेशन के कुछ प्रमुख कारण – * पुरुष अपनी मानसिक परेशानी जल्दी किसी से शेयर नहीं करते । * पुरुषों को अपनी भावनाओं को नियंत्रित रखने की हिदायत बचपन से ही मिलती है। * वह अपनी भावुकता व संवेदनशीलता नहीं दिखाते उनके जेहन में कहीं ना कहीं यह बात होती है कि असली मर्द तो वही होता है जिसे कभी दर्द ही ना हो लेकिन क्या यह संभव है ,कोई स्त्री होकर भी कम भावुक हो सकती हैं और कोई पुरुष होकर भी अधिक संवेदनशील हो सकता है ।
* पुरुषों से मानव स्वभाव की मूल भावनाओं को छुपा कर रखने की अपेक्षा की जाती हैं जो उन्हें भीतर ही भीतर बुरी तरह प्रभावित करती हैं । मर्द बनो अपनी लड़ाई खुद लड़ो , रोना तो कभी नहीं , स्वयं महिलाएं भी यदि पुरुषों को रोते देखेंगे तो कहेंगी कि कैसा आदमी है जो लड़कियों की तरह आंसू बहाता है । * पुरुषों की समस्याओं , तकलीफ ,अकेलेपन , को कोई देख ही नहीं पाता और वह खुद के मजबूत होने का दिखावा करते हैं इन्हीं वजहों से न सिर्फ उन्हें मानसिक समस्याएं होती हैं बल्कि कई तरह की शारीरिक समस्याएं भी होती हैं जैसे – हाई ब्लड प्रेशर , डायबिटीज आदि। * पैसा कमाने का प्रेशर भी जितना पुरुषों को होता है उतना महिलाओं को आज भी नहीं होता यदि कोई महिला काम करती है और पति घर का काम देखे तो समाज , यहां तक कि उसकी पत्नी भी उसका सम्मान नहीं करती क्योंकि उसकी भी यही सोच रहती हैं कि पैसे तो पति को ही कमाने चाहिए ।
कैसे होगा बदलाव – जरूरी है कि समाज अपनी सोच बदले और हर बच्चे की परवरिश एक समान हो , लिंग के आधार पर भावनाओं का प्रदर्शन व उन पर नियंत्रण का दबाव न हो उन्हें सिखाया जाए कि अपनी गलती स्वीकार करने , रोने या संवेदनशील होने में कोई हर्ज नहीं है यह तमाम गुण मूल रूप से एक सामान्य इंसान में होते हैं और पुरुष भी उतने ही इंसान है जितनी की महिलाएं , वह सुपरमैन या भगवान नहीं है ।
Bahut acche vichar
Appreciated
Well written article . Very helpfulThanksTechnodaily