गोल्ड – कैरेट , हॉलमार्क , केडीएम की समझ जरूरी
सोना खरीदते समय उसके कैरेट, हॉलमार्क और केडीएम को समझना बहुत जरूरी है , सोने की खरीदारी करते समय हमारा सबसे पहला प्रश्न होता है कि यह कितने कैरेट का है , 24 कैरेट सोना सबसे शुद्ध होता है लेकिन गोल्ड ज्वेलरी 22 कैरेट में बनाई जाती है , दरअसल शुद्ध सोना इतना सॉफ्ट होता है कि उसके गहने बनाएं नहीं जा सकते । सोने को हार्ड बनाने के लिए इस में चांदी और तांबा जैसे धातु मिलाई जाती हैं । 22 कैरेट गोल्ड में 91.6% सोना होता है और बाकी खोट । ज्वैलर आपको 22 कैरेट सोने की कहकर जो ज्वेलरी बेच रहा है उसमें कौन सी धातु खोट के रूप में मिलाई गई है वहीं उसकी कीमत निर्धारित करती है । जिन गहनों को बनाने में सोने के साथ चांदी का प्रयोग किया जाता है वह सबसे ज्यादा महंगे होते हैं और इतने कठोर भी नहीं होते जितने कॉपर , जिंक , धातु मिलने से हो जाते हैं इन्हें बहुत सावधानी से पहनना होता है । सोना कितना चमकीला है यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसमें कौन सी धातु मिलाई गई है जिन गहनों में तांबा मिलाया जाता है उनका रंग हल्का लालिमा लिए हुए होता है , कुछ सुनार अब इसमें जिंक यानी जस्ता मिला देते हैं ताकि गहनों का रंग लाल ना होकर पीला ही रहे, मगर अब सोने में इंपोर्टेड अलाय भी मिलाया जाने लगा है जो कॉपर सिल्वर से महंगा होता है यह गहनों को अच्छी फिनिशिंग देता है । 18 कैरेट गोल्ड में 75% सोना होता है 25% खोट, यानी अन्य धातुओं के कारण यह सोना बहुत कठोर हो जाता है और इसीलिए डायमंड और पन्ने जैसे कठोर रत्नों की सेटिंग 18 कैरेट में होती है ,रोज गोल्ड और पिंक गोल्ड में भी 18% सोना होता है । रोज गोल्ड में जहां 75% सोना बाकी २5% कॉपर होता है वही पिंक गोल्ड में से 75% सोने में 21% कॉपर और 4% चांदी मिलाई जाती है , सारी एंटीक ज्वेलरी आपको रोज गोल्ड कलर में यानी हल्की लाल मिलेंगी क्योंकि पुराने जमाने में कापर ही सोने का सबसे महत्वपूर्ण अलाय था । क्या है केडीएम – गहनों के अलग- अलग भागों को आपस में जोड़ने के लिए उसमें टांका लगाया जाता है पहले जमाने में इसके लिए सोने के साथ कॉपर का टांका लगाया जाता था लेकिन इससे सोने में खोट की मात्रा बढ़ जाती थी इसलिए केडीएम से टांका लगाया जाने लगा ऐसी ज्वेलरी को कैडमियम ज्वेलरी कहा जाता है इस पर अंग्रेजी में केडियम लिखा होता है हालांकि अब इस पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है और इसकी जगह जिंक का इस्तेमाल किया जाने लगा है लेकिन केडीएम का मार्क अभी ज्वेलरी पर मौजूद रहता है जो यह सुनिश्चित करता है कि गल जाने पर भी इसमें 92% तक सोना मिलेगा । हॉल मार्क – सोने की शुद्धता की गारंटी है , हॉल मार्क यह बताता है कि खरीदा गया गहना शुद्धता के अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है या नहीं , यह स्टैंडर्ड मार्क ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स बीआईएस द्वारा लगाया जाता है असली हॉल मार्क वाला कोई भी गहना जब आप खरीदते हैं तो उसके पीछे छोटे- छोटे 5 निशान बने होते हैं यह मार्क पांच चीजों के बारे में बताते हैं यह पांच चीजें हैं- * बी आई एस द्वारा प्रमाणित। * गोल्ड कितने कैरेट का है अगर यह 916 मार्क है तो इसका मतलब है कि सोना 91.6 प्रतिशत यानी 22 कैरेट है अगर यह 750 है तो सोना 75% यानी 18 कैरेट का है । * तीसरा मार्क टेस्टिंग लैब के लोगो का होता है । * चौथा मार्क ज्वेलर्स के लोगो का होता है । * पांचवा मार्क बताता है कि ज्वेलरी किस वर्ष बनाई गई है । हॉल मार्क की प्रक्रिया वर्ष 2000 से आरंभ की गई है ।