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परवरिश – ख्वाहिशों का बचपन पर बोझ

      आपका  बच्चा  प्रतिभाशाली  व  होनहार  है  आप  उसकी परवरिश में उसे तराशने  पर  ध्यान  दें   ,पड़ोस  के  किसी  बच्चे  को  देखकर  अपनी  आकांक्षाओं  का  बोझ  उस  पर  ना  डालें    ।                                                                                       पहले  के  समय  में  बच्चे  पिता  से  डरते  थे  और  मां  को  अपनी  हर  बात  बताते  थे  मगर  अब  पापा बच्चों  के  दोस्त  बन  गए  हैं ,  हालांकि  इसमें  कोई  गलत बात  नहीं  है  घर  में  अनुशासन  बनाने  के  लिए  किसी एक  का  डर  ठीक  रहता  है  परेशानी  तो  यह  है  की  मां अपने  बच्चों  को  आज  ऑलराउंडर  देखना  चाहती  हैं , पहले  के  समय  में  केवल  पढ़ाई  को  ही  अधिक  महत्व दिया  जाता  था  और  बच्चे  में  अगर  कोई  दूसरा  हुनर  है  तो  उसे  दरकिनार  कर  पढ़ाई  का  दबाव   बनाया जाता  था  परंतु  आज  समय  बदल  गया  है  आजकल सभी  माताओ  में  होड़  है  कि  उनके  बच्चे  तो  यह  कर रहे  हैं  तुम  क्यों  नहीं  कर  रहे  हो  ।                                                सोशल  मीडिया  के  जमाने  में  जहां  कुछ  भी  निजी  नहीं  बचा  है  वहीं  इसके  कारण  बच्चों  पर दोहरा  दबाव  भी  आने  लगा  है  क्योंकि  अब  हुनर दिखाने  के  लिए  कई  बड़े  प्लेटफार्म  मौजूद  हैं  ।  छोटे-छोटे  बच्चे  बहुत  मशहूर  हो  रहे  हैं  , रियलिटी शो  का हिस्सा  बन  रहे  हैं  ऐसे  स्कूलों  की  भी  भरमार  है  जहां पढ़ाई  के  साथ  ही  स्विमिंग , डांसिंग,  सिंगिंग , स्केटिंग, और  हॉर्स  राइडिंग  जैसी  एक्स्ट्रा  एक्टिविटीज  कराई  जाती  हैं  ।  माता -पिता  भी  अपने  बच्चों  को  अपनी हैसियत  से  ज्यादा  ऐसे  महंगे  स्कूलों  में  दाखिला  दिलाना  चाहते  हैं  जिनमें  वह  सब  कुछ  सीख  सके  ।अब  हर  गली  नुक्कड़  पर  डांस  ,एकेडमी  ,सिंगिंग, स्टूडियो  है  तो  सोसाइटी  में   ताइक्वांडो  , स्केटिंग , सीखाने  के  लिए  टीचर  आने  लगे  हैं  जो  बच्चों  को  घर पर  ही  आकर  सीखाते  हैं ,  ऐसे  में  जिस  बच्चे  के  स्कूल  में  यह  सब  एक्टिविटीज  नहीं  होती  वह  यहां अलग  से  फीस  देकर  सीख  सकता  है ।                               मनुष्य  की  आदत  होड़  करने  की  रही  है  आस- पड़ोस  की  देखा  देखी  तो  कभी  रिश्तेदारों  में  अपना रुतबा  बनाने  के  लिए  इंसान  अपनी  हैसियत  से  बाहर दिखावा  करता  है  जिसका  असर  पड़ता  है  बच्चों  पर ,  मां  बच्चों  के  साथ  मेहनत  करती  है  अलग-अलग क्लासेस  में  लेकर  जाती  है  और  कि  उसका  बच्चा  भी अन्य  बच्चों  की  तरह  नई  चीज  सीखे  ,  यह  बिना समझे  कि  उसके  बच्चे  की  खासियत  क्या  है  बस  उसे दूसरों  को  दिखाना  होता  है  क्योंकि  आज  की  दुनिया  शो  ऑफ  की  है  , इससे  छोटी  से  उम्र  में  ही  बच्चों  के ऊपर  प्रेशर  आने  लगता  है ।                                               हालांकि  यह  सच  है  कि  हमारे  आसपास  कई  ऐसे बच्चे  है  जो  ऑलराउंडर  है  लेकिन  हर  बच्चे  को  एक  ही  अपेक्षा  के  साथ  नहीं  देखा  जा  सकता ,  अलग-अलग  एक्टिविटी  में  लगे  रहने  की  वजह  से  बच्चे  घर पर  क्वालिटी  टाइम  भी  नहीं  बिता  पाते  हैं  , कई  बार  तो  देखने  पर  यह  लगता  है  की  मां  ने  ही  अपने  बच्चों को  शो पीस  बना  रखा  है  ।                                              हमें  अपने  यह  तौर  तरीके  बदलने  होगे  अन्यथा इसका  खामियाजा  कोई  और   नहीं  बल्कि  हमे और  हमारे  बच्चे  को  ही  भुगतना  पड़ेगा  ।

इसे  भी  पढ़ें –   बच्चों  की  बुद्धिमत्ता  एवं  गतिविधियों  पर  ध्यान  देना  जरूरी।   

2। परवरिश-  प्यार और अनुशासन में संतुलन जरूरी

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