परवरिश – प्यार और अनुशासन में संतुलन जरूरी

बचपन  जिंदगी  का  वह  सबसे  सुनहरा  पन्ना  है  जिसे  इंसान  सारी  उम्र  नहीं  भूलता  और  वापस उसी  बचपन  को  जीना  चाहता  है  ,उन  खुशियों  और  बेफिक्रियों  में  लौटना  चाहता  है   ।  परंतु  जब हम  बचपन  को  सोचते   हैं  तो  ,  “परवरिश  ” उसमें  प्यार  और  अनुशासन  में  जो  संतुलन  माता-पिता  ने रखा  होता  है  उसका  बहुत  प्रभाव  हमारे  जीवन  पर पड़ता  है  ।                                                                                                                                 बच्चे  अक्सर  गलतियां  करते  हैं  और  बच्चों की  गलतियों  को  हर  वक्त  नजर  अंदाज  नहीं  किया जा  सकता  अगर  गलती  पर  उनके  साथ  थोड़ी सख्ती  ना  बरती  जाए  तो  उनका  व्यवहार  खराब  हो  सकता  है,  लेकिन  इसका  यह  अर्थ  भी  नहीं  है कि  आप  उसे  जोर- जोर  से  डांटे  या  उन  पर  हाथ उठाएं  , इससे  उनके  बाल  मन  पर  नकारात्मक प्रभाव  पड़ता  है  ऐसे  में  जरूरी  है  कि  बच्चों  के साथ  प्यार  और  अनुशासन  के  बीच  एक  संतुलन  बनाया  जाए   ,  इसके  लिए  गलती  करने  पर  आप उन्हें  कोई  ऐसा  दंड  दे  सकते  हैं  जिससे  न  केवल उन्हें  अपनी  गलती  का  एहसास  हो  बल्कि  वह  उसे दोहराना  भी  नहीं  चाहेगा  , साथ  ही  यह   दंड  उनको  कुछ  नया  और  अच्छा  भी  सिखा  दे ।                                                                                                                                बच्चों  और  माता-पिता  के  बीच  संवाद  बेहद  जरूरी –    बच्चों  को  उसके  बर्ताव  और उसकी  दूसरे  लोगों  की  भावनाओं  पर  पड़ने  वाले असर  के  बारे  में  भी  सोचने  के  लिए  थोड़ा  समय दें  ,  एक  बार  जब  वह  शांत  हो  जाए  तब  जो  कुछ भी  हुआ  उसके  बारे  में  उससे  बात  करें  और  उसे उन  लोगों  के  बारे  में  सोचने  के  लिए  कहे  जो  उसके  बर्ताव  से  दुखी  हुए  हो  ।  बच्चों  से   संवाद बेहद  जरूरी  है  इसलिए  सजा  के  बाद   समझाना  आपका  अगला  कदम  होना  चाहिए ।https://palakwomensinformation.com                                                                     गलत  व्यवहार  की  कीमत   – बच्चों  के  लिए उनकी  गलतियों  के  हिसाब  से  सजा  के  अलग-अलग  तरीके  चुने  उन्हें  समझना  दे  और  फैसला करने  दे  कि  कौन  सा  विकल्प  उनके  लिए  सबसे सही  है  सजा  के  तरीकों  में  उन्हें  उनके  इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस  के  इस्तेमाल  को  कम  करने  से  लेकर  घर के  ढेर  सारे  काम  करने  तक  शामिल  हो  सकते  हैं  जब  आप  अपने  बच्चों  को  जबरन  सजा  देती  है  तो  वह  आपसे  निराशा  महसूस  करता  है  हो  सकता  है  आपके  प्रति  उसके  मन  में  घुसा  और नाराज  किया  जाए  लेकिन  अगर  आप  उसे  उसकी हड़प्पा  के  नतीजे  समझते  हो  तो  वह  समझ  पाएगा  कि  उसके  लिए  अच्छा  सीखने  का  बेहतर तरीका  क्या  है   ।                                                                                                               मनोरंजन  पर  रोक  –  अगर  आपका  बच्चा  बार -बार गलतियों  को  दोहराता  है  और  दिया  गया  कार्य  पूरा नहीं  करता  है  तो  उससे  कहें  कि  कार्य  पूरा  नहीं होने  पर  उसे  कार्टून  फिल्म  में  या  प्रोग्राम  या  फिर दोस्तों  को  के  साथ  खेलने  को  नहीं  मिलेगा  लेकिन बहुत  ज्यादा  कठोर  होने  की  जरूरत  नहीं  है।https://en.wikipedia.org/wiki/Child_discipline                                                                         फिजिकल  सजा  की  जगह  इनोवेटिव  सजा देना – अगर  आपका  बच्चा  कोई  गलती  करता  है  तो  उसे सजा  देने  के  तौर  पर  आप  पौधों  में  पानी  डालने , अलमारी  की  सफाई  करने  , कपड़े  सुखाने ,  स्कूल बैग  की  सफाई  करने  , किताबों  पर  खबर  चढ़ाने कोई  कविता  याद  करने  या  फिर  चित्र  बनाने  के लिए  कह  सकते  हैं  इन  कार्यों  को  सजा  के  तौर  पर  जब  वह  करेगा  तो  उसे  उसके  व्यक्तित्व  का विकास  हो  गए  इसे  सजा  के  आने  बच्चे  का  समय विवाद  नहीं  होगा  और  वह  कुछ  सीख  भी  पाएगा ।  https://www.amarujala.com/photo-gallery/lifestyle/relationship/how-to-teach-manners-to-children-s-know-tips-and-tricks-for-child-values-in-hindi-here                                                                                        माफी  मांगना  –  अपने  बच्चों  को  माफी  मांगना जरूर  सिखाएं  अगर  बच्चा  खुद  माफी  मांगता  है  तो  सामने  वालों  से  जरूर  माफ  कर  देगा  साथ  ही बच्चों  को  भी  गलती  का  एहसास  होगा  ।

 

 

 

 

 

 

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