खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए जरूरी सुझाव
माता- पिता द्वारा बेटियों और बेटों की परवरिश पर ही विवाह सफल और असफल होने की जिम्मेदारी होती है यदि कुछ बातों का शुरू से ही ध्यान रखा जाए तो जीवन खुशहाल हो सकता है । आजकल बच्चों को किताबी शिक्षा तो बहुत दी जा रही है लेकिन व्यावहारिक ज्ञान कम दिया जा रहा या नहीं दिया जा रहा । रिश्तो् मे संवेदनशील रहना और रिश्तो के साथ समझौता करना तो सिखाया ही नहीं जा रहा , जबकि विवाह संस्था का आधार समझौता ही है । आज की महिलाओं के पक्ष में बने विशेष कानूनों के कारण भी विवाह जैसे संस्था के प्रति उनकी प्रतिबद्धता में कमी आई है , महिलाएं सदुपयोग कम और दुरुपयोग अधिक कर रही हैं ।
आजकल की महिलाओं में सहनशीलता की बहुत कमी है विवाह के पहले मनमाने दैनिक कार्यकलाप होने के कारण जरा सा भी जीवन में बदलाव उनको असहनीय लगता है और वह विद्रोह करने लगती हैं । माता- पिता भी अपनी बेटियों के विवाह के बाद उनके जीवन में हस्तक्षेप करने से नहीं चूकते और बिना किसी ठोस कारण के उनको ससुराल वालों से अलग रहने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं । महिलाएं विवाह से अधिक अपने कैरियर को महत्व देती हैं , विवाह के बाद घर संभालना या ससुराली रिश्तो को समय देना उन्हें अपने करियर में बाधा लगती है । ऐसे तो रिश्ता टूटेगा ही – दरअसल औरतें भूल जाती हैं की पति कैसा भी हो कम से कम उनकी जबान चलाने से तो वह बदल नहीं सकता , कभी कबार का गुस्सा तो ठीक है पर लगातार शिकायती लहजा अपनाएं रखना ,रात दिन पतियों की गलती , कमियों , सुविधाओं के अभाव और रिश्तेदारों के व्यवहारों पर कमेंट्री करना ,चाहे औरतें अपने अधिकार व कर्तव्य समझती हो पर पति पत्नी के बीच विवादों की जड़ यही होती है जो अच्छे भले पति को भी पटरी से उतार देती है । पति – पत्नी में डोमेस्टिक वायलेंस की जड़ में भी यही बड़बड़ाहट होती है और पतियो का शराब या दूसरी औरतों का सहारा लेने के पीछे भी यही वजह होती है , यह संभव है कि पतियों में बहुत कमियां हो पर यह पक्का है कि कमियां पत्नियों के उपदेशों ,तानों , कड़वे वचन , और रोने -धोने व धमकियों से दूर नहीं हो सकती । अहम सुझाव – * बचपन से ही माता-पिता द्वारा बेटियों को घर के कार्य में हाथ बटाना सिखाना चाहिए , लेकिन आजकल वे नौकरी करके पति को आर्थिक सहयोग भी देती है इसलिए बेटों को भी गृह कार्य में रुचि लेना सिखाना चाहिए । * घर से दूर रहते हुए भी उनको रिश्तो के प्रति संवेदनशीलता सिखाइए , रिश्तेदारों या फिर जान पहचान वालों के किसी भी समारोह का उनको हिस्सा बनने की प्रेरणा दीजिए । * उनको आत्म केंद्रित ना बनने देने के लिए ना बनने देने के लिए उनकी हर इच्छा पूरी मत कीजिए जिससे कि वह सिर्फ अपने बारे में ही ना सोचे और उनको कमी में भी रहने की आदत पड़े उन्हें समझाइए की पढ़ाई और नौकरी के साथ वैवाहिक जीवन का सुचारू रूप से निर्वहन करना भी एक महिला का कर्तव्य है । कैरियर से अधिक परिवार को महत्व देना सिखाइए किताबी ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान भी दीजिए। * पति पत्नी का जोड़ा एक विशिष्ट सामाजिक देन है और जब तक जोड़ा बना है दोनों को एक दूसरे के पूरक बनकर रहना चाहिए ।