नकारात्मक सोच रिश्तों में दरार
हमारे आस – पास हज़ारों तरह के रिश्ते बुने होते हैं | घर में माता-पिता , भाई – बहन जैसे अनमोल रिश्ते तो बाहर की दुनिया में दोस्तों व सखी सहेलियों के रूप में और विवाह के बाद किसी रिश्ते की भाभी , मामी , चाची और बहू के रूप में | रिश्ते को मजबूत बनाये रखने के लिए कई तरह के प्रयास करने पड़ते है | हमारे यह प्रयास इस बात पर निर्भर करते हैं कि उनके प्रति हमारी सोच कैसी है | कई बार छोटी – छोटी बातों की वजह से लड़ाई – झगड़े होने लगते हैं और नकारात्मक सोच से रिश्तों में दरार पड़ जाती हैं | इन रिश्तों को खुशमिजाज और मजबूत बनाये रखने के लिए अगर हम उनके प्रति सकारात्मक भावना रखेंगे तो हम उनकी हर बात को सकारात्मक ढंग से ही सोचेंगे या अपनाएंगे पर अगर हम उनकी हर बात में नकारात्मकता आ जाये तो उनकी सही बात भी हमें गलत लगेगी | इससे हमारे रिश्ते ख़राब होंगे और आपस में दूरियां बनेंगी | ज़िंदगी बहुत छोटी है इसे खुल कर जियें | कभी – कभी हम स्वयं ही अपनी ज़िंदगी को उदासीन बना लेते हैं इसकी वजह है हमारी नकारात्मक सोच | यह सोच हमें चैन से जीने नहीं देती | पति – पत्नी के रिश्ते की बात की जाए तो यह एक बेहद खूबसूरत रिश्ता होता है जिसे हम अपनी नकारात्मक सोच के कारण दाँव पर लगा देते हैं | रिश्ते को बरक़रार रखने के लिए उसे खूबसूरती से जीने के लिए अपने मन से नकारात्मक विचारों को निकाल फेंके साथ ही सकारात्मक सोच के साथ खुशहाल जीवन जियें | सकारात्मक सोच से सम्बंधित ये लेख पढ़े – https://www.palakwomensinformation.com/2020/09/mann-ka-andhkar.html नकारात्मक विचारों के कारण – 1 – सामने वाले को न समझना 2 – बुरा सोचना 3 – खुद को सबसे ऊपर समझना 4 – दूसरे से अधिक उम्मीद 5 – हमेशा बुरी बात को याद रखना
नकारात्मकता से बचना – 1 – अक्सर देखने में आता है कि आप पुरानी बातों को लेकर घर में कलेश करते रहते हैं | ऐसे में जरूरी है कि आप पुरानी बातों को छोड़कर आज में जियें | 2 – जब आपको लगे की आप के पार्टनर और आपके बीच नकारात्मकता घर करती जा रही है तो विषयों को साथ में बैठकर सुलझाएं जिससे बात और अधिक न बढे | 3 – ऑफिस या घर का काम उतना ही करें जितना आपसे किया जाए | 4 – ऐसे लोगों से दूर रहें जो नकारात्मक सोच रखते हैं बल्कि सकारात्मक सोच वाले व्यक्तियों को अपना दोस्त बनायें | 5 – अपने आप को किसी न किसी कार्य में व्यस्त रखें इससे आप सकारात्मक सोच रख सकेंगे | 6 – हमेशा एक – दूसरे के बीच विश्वास बनाये ऱखने की कोशिश करें | 7 – एक – दूसरे की पसंद नापसंद का ध्यान रखते हुए उन चीज़ों को नकारात्मक न लेकर उनपर सकारात्मक ढंग से सोचें | मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि ” मन के हारे हार है , मन के जीते जीत ” यह शब्द बहुत ही सार्थक है | आप जितना ही नकारात्मक सोचेंगी उतनी ही तनावग्रस्त रहेंगी | जितना आप बात के पहलू को सकारात्मक ढंग से लेंगी उतनी ही आप अपने अंदर एक्टिव एनर्जी महसूस करेंगी | नकारात्मक लोगों और परिस्थितियों से हमेशा दूर रहने कि कोशिश करें , नकारात्मकता का हम पर कितना असर पड़ सकता है इसकी जानकारी के लिए इस लिंक को देखें – https://hi.wikipedia.org/wiki/ | ऐसा नहीं है की हर नकारात्मक परिस्थिति ख़राब होती है उनमें से अच्छी बातें स्वीकार करें और बेकार की बातें दिमाग से निकाल दें | जरा सा नजरिया बदलते ही सोच भी बदल जाती है | दूसरे का बुरा आप अपने कर्मों से करेंगी जबकि अपना बुरा अपनी सोच से | नकारात्मक सोच का प्रभाव बहुत जल्दी शरीर को रोगग्रस्त बनाता है | सकारात्मक सोच का प्रभाव बहुत ही धीमा होता है परन्तु होता अवश्य है |
Bahut hi rochak baat
Very nice step to spread positivity in society 🙏🙏
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Nice approach with a positive attitude..keep writing..
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सार्थक एवं सकारात्मक लेख.. आज के समाज की जरूरत
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Very good
Bahut hi upyogi baatein👍👍
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Very well expressed blog on the string of relations in present time.
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Women should apply these thoughts to make their life happy
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