संवाद – बॉडी लैंग्वेज
संवाद हमारी जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा है संवाद शक्ति के तहत आपके मुंह से निकले शब्द ही नहीं बल्कि आपके शरीर के हाव- भाव भी आते हैं । मुंह से निकलने वाले शब्दों की अपेक्षा आपके शरीर के हावभाव बहुत कुछ कहते हैं । क्या आपने कभी अपनी बॉडी लैंग्वेज पर गौर किया है , बिना बोले भी आप हर दिन गैर मौखिक रूप से संवाद करती है । अपनी शारीरिक भाषा के जरिए जिस तरह आप चलती हैं बैठती है और खड़ी होती है उससे आपके बारे में बेहतर समझ विकसित हो सकती है कि आप किस तरह के कामों से जुड़ी हुई हैं । शारीरिक हाव- भाव की समझ हमारे पूरे व्यक्तित्व में तो सुधार लाती है साथ में अन्य लोगों के बीच अपनी एक अलग छवि भी विकसित करती है जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए हमें इसे समझना बहुत जरूरी है । बॉडी लैंग्वेज आपके व्यक्तित्व के बारे में भी बताते हैं और संवाद को भी प्रभावशाली बनाती है यह बताती है कि आप में कितना आत्मविश्वास है और यह आपके व्यक्तित्व की कमी को भी दर्शाता है ।
बातों को बोलने के लिए हमेशा जुबान की जरूरत नहीं होती , जिस तरह हम उठते , बैठते हैं , हमारे चेहरे का भाव हाथों का हाव -भाव और हमारी आंखें जाने अनजाने काफी कुछ बोल जाती है । इसे बॉडी लैंग्वेज या शारीरिक भाषा कहा जाता है यह एक तथ्य है कि जुबान से निकले शब्दों की तुलना में हम अपने शरीर और चेहरे के हावभाव से ज्यादा बोलते हैं । किसी से मुलाकात करते हुए एक हल्की सी मुस्कान बता देती है कि हम सामने वाले से बातचीत करने के इच्छुक हैं , जबकि हमारे चेहरे पर कठोरता या सपाट भाव किसी भी बातचीत को फौरन खत्म करने का संकेत हो सकता है । अपने फोन को बार -बार देखना है या गाड़ी पर नजर डालना बातचीत में रुचि ना होने का संकेत है , तो उसकी और सामने वाले पर ध्यान फोकस करना बताता है कि आपको उनके साथ बहुत अच्छा लग रहा है । बातचीत के दौरान अपनी आंखों को इधर-उधर घुमाना बताता है कि सामने वाले की बातों पर विश्वास नहीं है दूसरी तरफ अगर हमें सामने वाले के बाद विश्वास होता तो हमारी आंखें चमक उठती हैं ।
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