प्रतिकूल परिस्थिति और दृढ़ इच्छाशक्ति
हम सब का जीवन कहानियों सरीखा होता है। हर कहानियों में रंग कभी फीके कभी गाढ़े कभी उदासी व उत्साह के रंग। कभी खुशी , निराशा , कुंठा। बस फर्क यह है कि कुछ लोग जिंदगी में आई मुश्किलों से टूट जाते हैं उस से हार जाते हैं और कुछ इसे चुनौती मानते हुए दिक्कतों की आंखों में आंखें डालते हैं मुस्कुराते हैं और मैदान में और मजबूती से डट जाते हैं। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी दृढ़ इच्छाशक्ति के जरिए वे जीतते हैं उदाहरण बनते हैं हम सभी के लिए। दुनिया ऐसी कहानियों से भरी पड़ी है। हमारे इर्द-गिर्द ना जाने कितने ही ऐसे लोग होंगे जिन पर आपने मुसीबतों का पहाड़ टूटते देखा होगा लेकिन क्या मजाल कि उनके जीवन में कोई खरोच पड़ जाए। दरअसल दुनिया को ऐसे ही लोगों ने गढ़ा है ऐसे ही लोग जिंदगी को ज्यादा मायनेदार बना रहे हैं।
इंदिरा नूई – प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़कर जीतने वाली इंदिरा नूई सबसे सफल सी ० ई ० ओ कही जाती हैं। ये जब अमेरिका के येल यूनिवर्सिटी में पढ़ने गई तो उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं होते थे वे रात में 12:00 से लेकर सुबह 5:00 बजे तक रिसेप्शनिस्ट का काम करती थी और दिन में कॉलेज जाती थी नींद पूरी नहीं हो पाती थी लेकिन किसी तरह से नींद को मैनेज करती थी | दिक्कत तो बहुत होती थी लेकिन अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के सामने उन्होंने नींद और शारीरिक दिक्कतों को कोसों दूर भगा दिया।
मैरीकॉम – भारत की सबसे सफल महिला बॉक्सर मैरीकॉम का बचपन तो बहुत ही ज्यादा संघर्ष व अभावों वाला था। यह मिट्टी की झोपड़ी में अपने माता पिता के साथ रहती थी बचपन ऐसा था कि कोई सपना देखना भी मुश्किल था लेकिन जब उन्होंने पहली बार बॉक्सिंग को देखा तो उन्हें लगा कि एक खेल तो उन्हीं के लिए बना है हालांकि उनके कोच को लगा कि एक छोटी दुबली पतली लड़की क्या कर सकती है | उन्होंने साफ कह दिया की वह मुक्केबाजी में कुछ ज्यादा नहीं कर पाएंगी मैरीकॉम ने इस बात को चुनौती के रूप में लिया वे घंटों इतनी ज्यादा प्रैक्टिस करती थी कि लोग हैरान हो जाते थे | सुबह शाम भारतीय खेल प्राधिकरण के सेंटर पर प्रैक्टिस करती थी | जब पहली बार उन्होंने एक प्रतियोगिता जीती तो अखबार में उनकी तस्वीर छपी तब घर में सब लोगों को मालूम हुआ कि वह बॉक्सिंग भी कर रही हैं | पिता ने दो टूक कह दिया कि कोई जरूरत नहीं है बॉक्सिंग करने की लेकिन वो डटी रहीं आखिरकार पिता को झुकना पड़ा | उनके इरादे अटूट होते गये इसी बॉक्सिंग के जरिए उन्होंने अपने पूरे घर की किस्मत बदल दी उन्होंने हमेशा अपने लक्ष्य की सीमा तय की और उसका कड़ाई से पालन किया।
ओपेरा विनफ्रे – अमेरिका की ओपेरा विनफ्रे को तो बचपन से लेकर जवानी तक हमेशा नाकामी का मुंह देखते ही आगे बढ़ना पड़ा था | वह एक अश्वेत महिला थीं नस्लवाद की फब्तियां उन पर कसी जाती थी। इन सबसे मुकाबला करके वो आगे बढ़ती रहीं उन्हें एक न्यूज़ चैनल में एंकर के रूप में काम का मौका मिला। वे न्यूज पढ़ते समय भावुक हो जाती थी वह उनके आंसू निकल पड़ते थे लेकिन उनकी यही शैली एक टीवी शो में लोगों को बहुत पसंद आई , कार्यक्रम इतना हिट हुआ कि अगले कुछ ही सालों में उनके लिए सब कुछ बदल गया अब वह दुनिया के सबसे सफल और धनी लोगों में गिनी जाती हैं। हेलेन केलर – प्रतिकूल परिस्थिति और दृढ़ इच्छाशक्ति की प्रतिबिम्ब हेलेन केलर एक अमेरिकी लेखक व राजनीतिक कार्यकर्ता और आचार्य थी | वह बचपन से अंधी और बहरी थी | उन्होंने न केवल भाषा सीखी बल्कि आर्ट्स की बैचलर डिग्री भी ली उन्होंने 12 किताबें लिखी ढेरों आर्टिकल लिखे अंधों के लिए फंड जुटाया यही नहीं उन्होंने महिला अधिकारों के लिए बहुत काम किया।
जब तक आप जीवित है तब तक कुछ भी संभव है असंभव कुछ भी नहीं सफल लोगों की कहानियां हमें यही बताती हैं कि यदि सफल होना है तो संकल्प को मजबूत रखना होगा अपनी अपेक्षाओं को कम करिए यह भी तय है कि जिन्हें जल्दी व बगैर मेहनत के सफलता मिलती है उन्हें वे उतनी जल्दी गवाँ भी देते हैं उनके लिए यह स्थाई नहीं हो पाती क्योंकि सफलता तभी मिलती है जब आप में कुछ साबित करने के तत्व हों | सफल लोगों का कहना है कि अपेक्षाओं की गठरी हमेशा किनारे रखिए उन्हें खुद से जितना दूर रखेंगे उतना अच्छा रहेगा। “आत्मशक्ति इतनी दृढ़ और गतिशील है कि इससे दुनिया को टुकड़ों में तोड़ कर सिंहासन गढ़े जा सकते हैं ” रिचर्ड शील
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