
अगर किसी महिला से पूछा जाए कि उसे अपने स्त्री होने पर गर्व क्यों है तो वह शायद ही इसके कारण गिना सकेगी इसकी वजह यह है कि स्त्रियों में इतने गुण होते हैं कि उन्हें गिनना किसी के लिए नामुमकिन होता है । प्रकृति का हर नियम संतुलित व सच्चा होता है । जहां उसने पुरुष को शारीरिक बल दिया है तो वही स्त्री प्रेम त्याग और करुणा की प्रतिमूर्ति है । कभी जीवनसंगिनी , कभी मां ,तो कभी बहन, और कभी दोस्त, बनकर जीवन के हर मोड़ पर उसके साथ मजबूती से खड़ी होती है। संपूर्ण है स्त्रियां – 21 वीं सदी में समाज इतना आगे बढ़ चुका है कि अब कोई भी स्त्री या पुरुष के बीच किसी तरह का भेदभाव नहीं रहा करता है लोग समझ चुके हैं कि दोनों की अहमियत बराबर है सबके अपने गुण व क्षमता हैं और एक दूसरे के बिना दोनों का काम नहीं चल सकता । मैं स्त्री और पुरुष दोनों को बराबर का दर्जा देती हूं । नारी सशक्तिकरण को लेकर हर किसी की आवाज बुलंद होने से स्त्रियों को हर जगह से फायदे मिल रहे हैं । हमारे सामने अब ढेरों अवसर हैं जरूरत है बस उचित लाभ उठाने की । मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानती हूं कि आज तक किसी तरह की दुर्घटना का शिकार नहीं हुई और न ही कभी किसी ने किसी तरह से मुझे दबाकर रखा | मुझे अपने स्त्री होने पर बहुत गर्व है ।पुरुष खुद को कितना भी सुपीरियर क्यों न समझ लें दरअसल हमारे बिना वे भी अधूरे ही होते हैं । स्त्रियां उनसे कहीं ज्यादा भावुक, मल्टीटास्कर और मजबूत होती हैं। इस बात से तो किसी को इनकार नहीं होगा कि सुंदरता में भी उनकी कोई तुलना नहीं की जा सकती । हर महिला को अपनी शक्ति का हमेशा आभास होना चाहिए उसी के बल पर वह आगे बढ़ सकती हैं । सबको अपनी कमजोरी व ताकत मालूम होती है जरूरत है तो बस उसे पहचानने की ।
आत्मनिर्भरता बढ़ी है – जिन क्षेत्रों में पुरुषों का वर्चस्व रहा है वहां स्त्रियों को स्थापित होने में कुछ समय जरूर लगा है पर उनके लिए नामुमकिन कुछ भी नहीं है । आज महिलाएं ट्रेन चला रही हैं ,होटल संभाल रही हैं , बैंक में सीईओ हैं ,राजनीति में अपना सिक्का जमा रही है देश की सेवा कर रही है और कोर्ट रूम में केस लड़ रही हैं और साथ ही घर के रखरखाव में उनका कोई मुकाबला नहीं है । मेरा यह मकसद कभी नहीं रहा कि मैं खुद को किसी से सर्वश्रेष्ठ साबित करूं या अपने स्त्री होने पर कोई गलत फायदा उठाऊँ मेरे लिए अपनी पढ़ाई पूरी करना भी गहरे पानी में उतरने जैसा रहा है , एक स्त्री होने के नाते मुझे लगता है कि मैं कई मामलों में पुरुषों से बेहतर हूं । मैं भावनात्मक तौर पर खुद को उनसे ज्यादा मजबूत मानती हूं ।
स्वाभाविक गुण – १ – महिलाएं पुरुषों से ज्यादा दयालु , धैर्यवान और सहनशील हैं । महिलाएं जिम्मेदारियां उठाने में कभी नहीं घबराती हैं । २- महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी जगह बनाने में सक्षम है , घर हो या बाहर उनका अपना रुतबा होता है । ३- महिलाएं मेहनत करने से पीछे नहीं हटती है । चुनौतियां लेने में भी आप सबसे आगे रहती है । रिश्तो के प्रति आपकी समझ सबसे बेहतर होती है। अक्सर स्त्रियों को कमजोर समझा जाता है पर वाकई में ऐसा होता नहीं है जिन आदतों व भावों को उनकी कमजोरी समझा जाता है दरअसल वही उनकी ताकत होती हैं । लैंगिक भेदभाव समाज में व्याप्त एक बहुत बड़ी समस्या है जिसको धीरे-धीरे सब के प्रयासों से ही खत्म किया जा सकेगा | सबको बराबर का दर्जा देना चाहिए तभी समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर किया जा सकता है | इंसान की जिंदगी को खूबसूरत बनाने के लिए ही महिलाओं को इस दुनिया में भेजा गया है | वह जीवनदायिनी मां बनकर अपने आंचल की छांव तले दुनिया की हर बला से महफूज रखती हैं , और वत्सला बहन के रूप में भाई पर अपनी खुशियां कुर्बान करने को सहर्ष तैयार रहती हैं | इसलिए अपनी राहे खुद चुनें क्योंकि आप से बेहतर आपको कोई नहीं जानता | लोग क्या बोलेंगे , दुनिया क्या कहेगी इससे ऊपर उठकर सोचे किसी को भी यह मौका ना दें कि वह आपको कम करके आंके , अपनी मंजिल खुद तय करें।

Good. Mahila is great and they can reach at the heights if they work hard
I am proud to be an Indian Woman👌👌
Very nice…
Nice
Good
Very nice
Nice post
Thank you
Thank you
Thank you
Thank you
Thank you
Thank you
Thank you
Thank you
Good Artical
Thank you
मुझे भी अपने स्त्री होने पर गर्व है बहुत सुंदर लेख