मिलावट का दौर

मिलावट  यह  चार  अक्षरों  से  बना  शब्द  है  पर  बड़ा  खतरनाक  है  मिल  जुल  कर  रहो , इसका  मिलावटखोरों  ने  गलत  मतलब  निकाल  लिया  और  हर  चीज  में  कुछ  ना  कुछ  मिलाने  लगे ।                             बाजार  में  जाइए  और  हरी  हरी  लौकी  देख  कर  खुशी  होती  है  परंतु  बाद  में  पता  चलता  है  कि  लौकी  में  इंजेक्शन  लगाकर उसे  हरा  बनाया  जा  रहा  है  तब  पता  चला  कि  आजकल  इंजेक्शन  मरीजों  को  ही  नहीं  सब्जियों  को  भी  लगाया  जा  रहा  है  सुना  है  सिर्फ  लोकी  ही  नहीं  परवल  और अनेक  सब्जियों  को  हरा  बनाया  जाता  है ।                                           मिलावट  खोर  बड़ी  संख्या  में  आसपास  मौजूद  हैं  मावे  में  मिलावट  की  तो  इतनी  दुर्घटनाएं  घटित  हो  चुकी  है  कि  मावे  के  नाम  से  ही  डर  लगने  लगा  है  मिलावटखोरों  ने  सोच  ऐसी  बना  दी  कि  मावा  है  तो  मिलावटी  होगा  ही , आजकल  तो   खाद्य  पदार्थ  मिलावटी  हैं  या  नहीं  यह  जानने  के  लिए  उपकरण  बनने  लगे  हैं ।                                                                                        डॉक्टर  कहते  हैं  कि  गर्म – गर्म  दूध  पीने से  गहरी  नींद  आएगी  पर  दूध  में  भी  मिलावटी  खाद्य  पदार्थ  मिलाए  जा  रहे  हैं | हम  स्वस्थ  होने  के  लिए  दवाइयां  खाते  हैं  पर  दवाइयों  के  स्पेलिंग  में  हेरफेर  कर  नकली  दवाएं  बाजार  में  आने  की  खबर  से  मन  बहुत  विचलित  सा  होने  लगता  है | डॉक्टरों  की  व्यस्तता  से  तो  सभी  परिचित  हैं  कुछ  रोगी  केमिस्ट  से  संपर्क  कर  दवाइयां  ले  आते  हैं  कुछ  रोगी  तो  स्वयं  को  डॉक्टर  मानकर  केमिस्ट  से  कहते  हैं  कि  फला  दवाई  दे  दो  जब  मरीज  खुद  डॉक्टर  बन  जाए  तो  असली  नकली  दवा  के  सलेक्शन  के  चक्कर  में  कौन  पड़े । लोग  कहते  हैं  कि  बाहर  का  कुछ  मत  खाओ  बाहर  असली  नकली  का  बड़ा  चक्कर  है  कुछ  लोग  कहते  हैं  कि  खूब  सलाद  खाओ  परंतु  वहीं  यह  भी  कहते  सुना  जा  सकता  है  कि  शादियों  में  परोसा  जाने  वाला  सलाद  बिल्कुल  मत  खाओ , घी  खाकर  हृस्ट – पुष्ट  बनो  परंतु  चिंता  की  बात  यह  है  कि  घी  भी  नकली  आ  रहा  है | सुना  है  कि  होने  वाले  वर – वधू  को  जो  हल्दी  लगाई  जाती  है  उसमें  भी  मिलावट  होती  है  लीजिए  अब  हल्दी  लगाकर  उबटन  करवाना  भी  शक  के  दायरे  में  है  यह  सब  देख  देखकर  और  सुनकर  मन  में  सिर्फ  यही  प्रश्न  उठता  है  कि  सब  कुछ  मिलावटी  है  तो  असली  क्या  है  मेरे  समझ  में  तो  यही  आता  है  कि  असली  है  सिर्फ  इंसान  की  जान  जो  इस  मिलावट  और  मुनाफाखोरी  के  चक्कर  में  असलियत  में  ले  ली  जाती  है । 

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3 Comments

  1. Bilkul sahi kaha didi…. Par mudde ki baat yahi h ki hame apni smartness se ( jisme thodi mehnat lgti h) cheezo me asli nakli ki choice krni chahiye aur koshish yahi karni chahiye ki jitni ho sake organic aur ghar pe bana khae.. Tabhi hum is milawati yug me apni jaan bacha sakte h…

  2. मिलावटखोरों में इंसानियत की कमी हो गई है तुम इंसान की जान की कीमत क्या समझेंगे…. बहुत अच्छा लेख

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