घर बच्चों की प्रथम पाठशाला
हर बच्चे में कुछ खास होता है , किसी में वह दूसरों से आगे होता है तो किसी में पीछे , जरूरत इस बात की है कि आप बच्चे की प्रतिभा को पहचान कर उसे किस तरह रचनात्मक उड़ान का माहौल देती हैं । बच्चे की पहली पाठशाला उसका घर ही होता है , घर में बच्चे की आंखों के सामने जो भी होता है उसे वह बड़ी बारीकी और ध्यान से देखता वह सुनता है , इसलिए ऐसा कोई काम उसके सामने ना करें जिसका दुष्प्रभाव कच्चे मन पर पड़े , बच्चे पर घर के वातावरण का बहुत असर होता है इसलिए घर में उसको खुला वातावरण दे ताकि उसकी कल्पना और जिज्ञासाओं को बाहर आने में रुकावट ना हो । अगर वह कुछ पूछता है तो उसकी बात को ध्यान से सुने , उसको पूरा मौका दें उसके नजरिये से चीजों को देखें और समझने में उसकी मदद करें ।
खिलौनों और गैजेट्स की भी अहम भूमिका – खिलौने केवल खेलने के लिए ही नहीं होते बल्कि बच्चे की रचनात्मकता को भी बढ़ाते हैं इन खिलौनों में से आपको अपने बच्चे की रुचि के हिसाब से खिलौने दिलाने होते हैं । बिल्डिंग ब्लॉक , नंबर गेम , कैलकुलेशन , रंग ,आकार आदि सीखने के लिए बच्चों को आकर्षित करते हैं , बच्चा जब आकर्षित होगा तो उसे सीखने की कोशिश करेगा और तभी वह मन भी लगा पाएगा । आजकल शहरों में बाहरी गतिविधियां , खेलकूद कम हो गई है, ऐसे में बच्चे गैजेट्स से हर वक्त चिपके रहना चाहते हैं इनसे उनकी शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बनता जा रहा है । परंतु अगर अपने बच्चे को रचनात्मक बनाना है तो गैजेट का समय निर्धारित करना पड़ेगा इसलिए इसे एकदम बंद ना करें बल्कि पढ़ने ,खेलने की तरह ही गैजेट के लिए भी एक समय तय कर ले ताकि बच्चे को पता रहे कब क्या करना है । बच्चे की छोटी से छोटी जिज्ञासा शांत करने की कोशिश करें , सवाल करना सिखाए और उनकी रचनात्मकता को बढ़ाएं तभी उसका पूर्ण विकास होगा ।