अपनी शिक्षा से दिखा रही समाज को रास्ता

 एक  शिक्षित  महिला  पूरे  परिवार  को  शिक्षित  बनाती  है  यह  सभी  जानते  हैं | लेकिन  इन  महिलाओं  की कहानी  बताती  है  कि  वास्तव  में  कैसे  महिलाएं  अपनी  शिक्षा  से  समाज  को  रास्ता  दिखा  रही  हैं  वे  अपनी शिक्षा  को  सिर्फ  घर  तक  सीमित  नहीं  रखती  बल्कि  पूरे  समाज  की  सेवा  और  उत्थान  के  लिए  उपयोगी  बनाती  हैं।

  स्वाति  भार्गव  ( कैशकरो  डॉट  कॉम  की  संस्थापक )                                                       अंबाला  में  पली – बढ़ी  स्वाति  भार्गव  का  कहना  है  कि  वह  जानती  थी  कि  ज्ञान  व  शिक्षा  के  माध्यम  से  ही  वह अपने  सपनों  को  पूरा  कर  सकती  हैं  और  यही  उन्होंने  किया  भी |  मैथ्स  पढ़ने  से  घबराने  वाली  लड़कियां  स्वाति  से  प्रेरणा  ले  सकती  हैं  स्वाति  मैथ्स  से  डरती  नहीं  बल्कि  इंजॉय  करती  थी। यही  वजह  है  कि  सिंगापुर  की  सरकार   तथा   लंदन  स्कूल  ऑफ़  इकोनॉमिक्स  की  तरफ  से  उन्हें  स्कॉलरशिप  मिली | वहां से निकलते  ही  उन्होंने  गोल्डमैन  सैक्श  में  काम  शुरू  किया  फिर  बिजनेस  का  मन  बनाया  और  पति  के  साथ  मिलकर  कैशबैक  बिजनेस  शुरू  किया  और  अथक  परिश्रम  और  लगन  के  बल  पर  भारतीय  बाजार  में  अपनी  उपस्थिति  कैशकरो  डॉट  कॉम  के  रूप  में  दर्ज  कराई । यह  साइट  अपने  देश  की  एकमात्र  साइट  है  जिसमें  रकम  के  साथ – साथ  कैशबैक  की  सुविधा  है |  स्वाति  विश्व  स्तर  पर  डिजिटल  इंडस्ट्री  को जोड़ने  वाले  मंच  एच  2  इंडिया  से  भी  जुड़ी  हैं  स्वाति  का  नाम  देश  की  टॉप  इकॉमर्स   इंडस्ट्री  से  जुड़े उद्यमियों  में  शामिल  है  और  यह  कई  अंतरराष्ट्रीय  मंचों  पर  देश  का  प्रतिनिधित्व  कर  चुकी  हैं।                                                                                                 अनामिका  छाबड़ा ( शिक्षिका  उद्यमी  व  सामाजिक कार्यकर्ता )                                          शिक्षा  के  क्षेत्र  में  काम  कर  रही  अनामिका  छाबड़ा  ने  दिव्यांग  बच्चों  के  लिए  काम  किया  है |  आम  बच्चों  के  विकास  में  भी  अभिभावक  कभी  उन्हें  न  समझ  पाने  की  स्थिति  से  गुजरते  हैं  तो  सोचें  दिव्यांग  बच्चों  के  लिए  चीजें  कितनी  चुनौतीपूर्ण  होती  होंगी | अनामिका  छाबड़ा  दिव्यांग  बच्चों  के  अभिभावकों  को  सही  प्रशिक्षण  देने  की  राह  में  काम  करती  हैं  जो  गरीब  हैं  अभाव  में  जीवन  व्यतीत  कर  रहे  हैं | काउंसलिंग  के  साथ – साथ  उन्हें  किताबें  कपड़े  और  दूसरी  तरह  से  भी  मदद  मुहैया  कराती  हैं। आज  में  जियो  और  इसका  सर्वश्रेष्ठ  संभव  इस्तेमाल  करो  ताकि  इस  दुनिया  को  हर  व्यक्ति  के  लिए  बेहतर  स्थान  बनाया  जा  सके  यही  उनके  जीवन  का  मूलमंत्र  रहा  है | एक  शिक्षक  होने  के  नाते  वे  हमेशा  से  बच्चों  से  जुड़ी  रही  हैं  स्कूल  में  इंटर्नशिप  के  दौरान  ही  उन्होंने  जाना  कि  उनका  जीवन  अंकों  और  शब्दों  के  दायरे  से  कहीं  अधिक  विस्तारित  है।                           

 वंदना अग्रवाल ( नारंग  सेवा  की  निदेशक  व  समाज  सेविका )                                          वंदना  अग्रवाल  के  मन  में  समाज  सेवा  का  ख्याल  तो  उस समय  ही  आ  गया  था  जब  वह  पढ़ाई  कर  रही  थी  और  अपनी  तैयारियों  के  लिए  पुस्तकालयों  में  जाती  थी | इनके  पति  डॉक्टर  थे  अस्पताल  में  लोगों  की  दिक्कत  परेशानियां  सुनते – सुनते  उन्होंने  महसूस  किया  कि  हर  कोई  सिर्फ  शरीर  की  पीड़ा  से  ग्रस्त  नहीं  है  उनके मन  में  ज्यादा  उलझने  हैं | इन्होंने  धीरे – धीरे  लोगों  के  रोजगार  के  लिए  काम  करना  शुरू  किया  और  तरह  तरह  के  प्रशिक्षण  शुरू  करवाए  और  फिर  ट्राईबल  बेल्ट  में  बच्चों  की  शिक्षा  के  लिए  काम  करना  शुरू  किया | गांव  की  औरतों  के  लिए  रोजगार  के अवसर  पैदा  किए  जरूरतमंद  परिवारों  को  उनकी  जरूरत  के  अनुसार  काम  करना  सिखाया  और  अपनी  शिक्षा  से  समाज  को  रास्ता  दिखाया |                                   
                                                  सभी  महिलाएं  यह  लाइन  हमेशा  याद  रखें – वह  पथ  क्या , पथिक  कुशलता  क्या , जिस  पथ  पर बिखरे  शूल  न  हों , नाविक  की  धैर्य  परीक्षा  क्या  यदि  धाराएं  प्रतिकूल  न  हों ।

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