संवाद हीनता – रिश्तो में बढ़ता दरार
पारिवारिक जीवन में संवाद ही परिवार के लोगों को परस्पर बांधकर रखती है , यदि आपस में संवाद ना हो तो जीवन में कटुता बढ़ती है और रिश्तो में दूरियां भी बढ़ती जाती हैं । संवाद हर समस्या का समाधान है परंतु आज सोशल मीडिया के दौर में माता- पिता और बच्चों के बीच संवाद में वह गंभीरता नजर नहीं आती जो बीते दौर में हुआ करती थी , आज एक कमरे में हो कर भी सब अपने अपने मोबाइल फोन में व्यस्त हो जाते हैं ,माता पिता के पास अपने ही बच्चों से बात करने का समय नहीं होता इससे कई बच्चे अपने माता- पिता से दूरी बनाने लगते हैं और एक समय ऐसा आता है जब दुनिया के सबसे खूबसूरत रिश्ते की जड़ सूखने लगती है । वर्तमान में बच्चों में जो संस्कारों की कमी आ रही है उसका मूल कारण संवाद हीनता ही है ।पहले जब कोई समस्या आती थी तो बच्चे अपने बड़ों से बात करते थे पर अब बच्चों को कुछ जानना हो तो वे गूगल पर सर्च करना पसंद करते हैं ,गूगल की जानकारी को ही सही मान लेते हैं यहां तक कि उसकी गुणवत्ता तक चेक करने की जरूरत नहीं समझते है ।
आज यदि किसी बच्चे से पूछा जाए कि वह अपने परिवार के बड़े बुजुर्गों से बातचीत क्यों नहीं करता , तो वह यही कहता है कि उनको अंग्रेजी नहीं आती , वह सोशल मीडिया नहीं समझते, तो हम उन से कैसे बात करें ,ऐसे में बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि अंग्रेजी और सोशल मीडिया की दुनिया , दुनियादारी नहीं है जीवन के अनुभव को सीखने के लिए घर के उन बुजुर्गों का बच्चों से सम्मान होना जरूरी है जिन्होंने दुनिया को बदलते हुए देखा है ,बच्चों में परिवार के बुजुर्गों के प्रति अगर यह भावना नहीं आती तो इसके पीछे उनके माता- पिता ही जिम्मेदार हैं उन्होंने संवाद के हालात बनने ही नहीं दिए , माता-पिता अपने बच्चों से परिवार के बुजुर्गों को जितना सम्मान करेंगे उतना ही बच्चों का बुजुर्गों के प्रति संवाद व सम्मान करने की भावना मजबूत होगी । जो माता पिता अपने बच्चों से ज्यादा बातचीत नहीं करते या उनके साथ समय नहीं बिताते हैं , वह बच्चे माता- पिता से दूर ही नहीं होते ,उनका स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो जाता है , बच्चों और माता पिता के बीच संवाद की कमी के चलते ही , भरोसे में कमी आ जाती है और बच्चे अभिभावकों से ज्यादा दोस्तों पर भरोसा करने लगते हैं ,परिवार में कम होता संवाद , अपनों के बीच सम्मान में भी कमी पैदा करता है ऐसे में माता -पिता को यह पता ही नहीं चलता कि बच्चे कब गलत रास्ते पर चल पड़े हैं और जब उन्हें पता चलता है तब बहुत देर हो चुकी होती है । ऐसे में माता- पिता और बच्चों के बीच संवाद होना बेहद जरूरी है ताकि वह गलत राह पर ना जाएं । संवादहीनता का ही परिणाम है कि आज बच्चे अपराध जैसी प्रवृत्ति में शामिल हो रहे हैं अभिभावकों के पास अपने बच्चों को देने के लिए संसाधन तो हैं पर समय नहीं है इस तकनीकी युग में छोटे बच्चों के हाथ में मोबाइल फोन की स्क्रीन तो है जिससे तमाम जानकारी उन तक पहुंचना आसान हो गई है पर सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों में दूरी बढ़ गई है जीवन की जो शिक्षा दादा – दादी , नाना – नानी या परिवार के अन्य सदस्यों से मिलती थी वह परंपरा भी खत्म सी होती जा रही है ।
संवाद की कमी के कारण ही ब्लड प्रेशर , डायबिटीज और हार्ट अटैक की समस्याएं तक बढ़ रही हैं ऐसे में एक अच्छा संवाद ना केवल रिश्ते मजबूत बनाता है , बल्कि हमें गंभीर रोगों से भी बचाता है ।
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