मस्तिष्क के लिए खतरनाक कुछ आदतें

हम  सभी  को  यह  लगता  है  कि  खाना  अगर  पौष्टिक  हो  तो  दिमाग  तेज  बन  सकता  है  लेकिन  सच्चाई  यह  है  कि  खाना  चाहे  जितना  भी  अच्छा  क्यों  ना  हो  अगर  कुछ  आदतों  को   सुधारा  ना  जाए  तो  मस्तिष्क  की  कार्य  क्षमता  कम  होने  लगती  है ।  यह  कुछ  प्रमुख  आदतें  हैं  जो  दिमाग पर  बहुत  बुरा  प्रभाव  डालती  है  ।                                                                                मुँह  ढक  कर  सोना – मस्तिष्क  के  लिए  ऑक्सीजन  बेहद  जरूरी  होता  है  हम  जितना  कम  ऑक्सीजन  ग्रहण  करते  हैं  हमारा  मस्तिष्क  उतना  ही  कम  काम  करता  है । ऐसे  में  सिर  ढककर  सोने  से  चादर  में  ऑक्सीजन  की  मात्रा  कम  हो  जाती  है  और  कार्बन  डाइऑक्साइड  की  मात्रा  बढ़ जाती  है  जिसके  कारण  मस्तिष्क  को  पर्याप्त  मात्रा  में ऑक्सीजन  नहीं  मिलता  जिसके  कारण  मस्तिष्क  की  कोशिकाओं  के  क्षतिग्रस्त  होने  का  खतरा  बढ़  जाता  है ।                                                                                                                   मल्टी  टास्किंग –  बहुत  से  लोग  अक्सर  एक  साथ  बहुत  से  काम  करते  हैं  उनकी  याददाश्त  व  एकाग्रता  एक  समय  में  एक  ही  काम  करने  वालों  की  तुलना  में  कम  होती  है । यूनिवर्सिटी  ऑफ  लंदन  में  हुए  शोध  के  अनुसार  मल्टीटास्किंग  ऑल  आइक्यू  लेवल  को  15  फ़ीसदी  घटा  देता  है  इंसान  का  मस्तिष्क  एक  साथ  कई  काम  करने  के  लिए  नहीं  बना  है  एक  साथ  कई  काम  करने  से  एकाग्रता  भंग  होती  है  और  दिमाग  जरूरी  सूचनाओं  को  याद  नहीं  रख  पाता।                                                                                                      लोगों  से  कम  बातचीत  करना –  अध्ययनों  में  पाया  गया  है  कि  जिन  लोगों  के  कुछ  एक  करीबी  मित्र  होते  हैं  वह  ज्यादा  खुश  और  प्रोडक्टिव  होते  हैं  और  उनकी  याददाश्त  कम  होने  या  मस्तिष्क  संबंधी  अन्य  बीमारी   होने  का   खतरा   कम   होता   है  जिस   तरह   वेट  लिफ्टिंग  से  मसल्स  डेवेलप  होते  हैं  उसी  तरह  लोगों  से  बातचीत  करने और  उनसे  जुड़े  रहने  से  मस्तिष्क  विकसित  और  स्वस्थ  बनता  है  यहां  हम  फेसबुक  फ्रेंड्स  की  बात  नहीं  कर  रहे  हैं ।                                                    अत्यधिक  नमक  का  सेवन –  वर्ष  2014  में  न्यूरोलॉजी  द्वारा किए  गए  एक  अध्ययन  के  अनुसार  अधिक  नमक  के  सेवन  से  हाइपरटेंशन  बढ़ता  है  जिसके  कारण  मस्तिष्क  में  रक्त  प्रवाह  की  गति  धीमी  हो  जाती  है  नतीजतन  याददाश्त  व  एकाग्रता  पर  नकारात्मक  असर  पड़ता  है  इसलिए  बेहतर  होगा  कि  नमक  व  अत्यधिक  नमकीन  चीजों  से  दूरी  बनाकर  रखें।                             कम  सोना – नींद  पूरी  ना  होने  पर  शारीरिक  स्वास्थ्य  ही  नहीं  बल्कि  मानसिक  स्वास्थ्य  भी  प्रभावित  होता  है  जी  हां  देर  से  सोने  और  लंबे  समय  तक  जागने  के  कारण  हमारे  मस्तिष्क  में  न्यूरॉन्स  बनाने  की  प्रक्रिया  पूरी  नहीं  हो  पाती  जिससे  डिमेंशिया  व  अल्जाइमर  जैसी  बीमारियों  के  होने  का  खतरा  बढ़  जाता  है ।                            जरूरत  से  ज्यादा  टीवी  देखना –  टीवी  मस्तिष्क  के  लिए  जंक  फूड  का  काम  करता  है  जिस  तरह  जंक  फूड  दांतो  को  सड़ा  देता  है  उसी  तरह  टीवी  दिमाग  को  निष्क्रिय  बना  देती  है । इसलिए  रोजाना  बहुत  देर  तक  टीवी  देखने  से  बच्चों  के  मस्तिष्क  की  बनावट  बदल  जाती  है  व  उनका  इंटेलिजेंस  लेवल  भी  कम  हो  जाता  है  साथ  ही  वे  ज्यादा आक्रामक  हो  जाते  हैं।                 धूम्रपान –  निकोटीन  के  कारण  मस्तिष्क  की  कोशिकाएं  सिकुड़  जाती  हैं  और  लंबे  समय  तक  कोशिकाओं  के  सिकुड़न  से  मस्तिष्क  में  प्रॉब्लम  हो   सकती  है  इसलिए  धूम्रपान  से  आपको  दूर  रहना  चाहिए ।                               एक्सरसाइज  ना  करना-  व्यायाम  न  केवल  शारीरिक  रूप से  फिट  बनाकर  बीमारियों  से  बचाव  करता  है  बल्कि  यह  दिमाग  को  भी  अधिक  सक्रिय  रखता  है  व्यायाम  न  करने  के  कारण  दिमाग  कमजोर  होने  लगता  है  इसलिए  दिमाग  को  स्वस्थ  रखने  के  लिए  नियमित  रूप  से  व्यायाम  कीजिए।                                                                      तेज  आवाज  में  गाने  सुनना –  लगातार  1  घंटे  तक  फुल  वॉल्यूम  में  हेडफोन  लगाकर  गाना  सुनने  से  श्रवण  शक्ति  हमेशा  के  लिए  खत्म  हो  सकती  है  इतना  ही  नहीं  इस  से  ब्रेन  टिशूज  के  क्षतिग्रस्त  होने  व  अल्जाइमर  होने  का  भी  खतरा  बढ़  जाता  है  क्योंकि  तेज  आवाज  में  गाने  सुनते  समय  आसपास  हो  रही  चीजों  को  समझने  या  सुनने  के  लिए  दिमाग  को  एक्स्ट्रा  मेहनत  करनी  पड़ती  है  और  बातें  मेमोरी  में   नहीं  आ  पाती  इसलिए  बहुत  तेज  आवाज में  गाना  नहीं  सुनना  चाहिए ।                                                     हर  काम  के  लिए  गूगल – अगर  आपकी  उम्र  35 या  उससे  ज्यादा  है  तो  आपको  वह  समय  याद  होगा  जब  हमें  कम  से  कम  10  से  15  फोन  नंबर  जुबानी  याद  रहते  थे  क्योंकि  हम  इन  नंबर्स  को  याद  रखने  के  लिए  अपने  दिमाग  का  प्रयोग  करते  थे  लेकिन  आजकल  के  कनेक्टेड  दुनिया  में  सब  कुछ  इंटरनेट  पर  उपलब्ध  है  ऐसे  में  कोई  दिमाग  पर  जोर  देने  की  जहमत  ही  नहीं  उठाता  इससे  मानसिक  क्षमता  कम  होती  जा  रही  है  2011  में  गूगल  के  मस्तिष्क  पर  पड़ने  वाले  प्रभाव  पर  किए  गए  अध्ययन  में  पाया  गया  कि  आजकल  के  छात्रों  को  ज्यादातर  चीजें  याद  नहीं  रहती  क्योंकि  उन्हें  पता  है  कि  जरूरत  पड़ने  पर  वह  इंटरनेट  पर  सर्च  कर  सकते  हैं । 

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