परवरिश – सभी चीजों में संतुलन जरूरी
आजकल बढ़ते शहरीकरण ने आय के स्रोत तो बढ़ाए हैं मगर परिवार को छोटा कर दिया है और माता पिता महत्वाकांक्षा की दौड़ में जरूरतो और बच्चों की परवरिश को उपयोग की उपेक्षा कर देते हैं बच्चों को समय ना दे पाना उनका रवैया हो जाता है , मोबाइल में उलझे रहना आदि व्यर्थ की व्यस्तता उन्हें उलझा कर रखती है माता -पिता को समझना चाहिए कि बच्चे न केवल उनके बल्कि देश का भी भविष्य है उनको अच्छी परवरिश देना उन्हें रचनात्मक बनाना माता- पिता की जिम्मेदारी है इसलिए उन्हें सभी चीजों को संतुलित कर प्राथमिकता तय करते हुए अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए । इसके लिए अगर आप कुछ बिंदुओं को ध्यान में रखें तो अच्छा रहेगा –
* कई बार हम घर पर होते हैं लेकिन आंखों के सामने हर पल फोन होता है यही रोग धीरे- धीरे बच्चों में भी लग जाता है इसलिए गैजेट्स को उपकरण ही रहने दे उन्हें अपने शरीर का अंग ना बनाएं । * शहरीकरण ने लोगों को सीमित कर दिया है लेकिन आप सामाजिक बने ,आस पास वालों की मदद करें और मदद लें , उनके बच्चे उनके बच्चों को अपने बच्चों के साथ घूमने मिलने का मौका दें ताकि आपकी अनुपस्थिति में बच्चों पर ध्यान देने के लिए दूसरे परिवार भी हो । * बच्चों के साथ कुछ कलात्मक करने की कोशिश करें जैसे पेंटिंग , डांस , संगीत ,आप साथ में बाल साहित्य में पढ़ सकते हैं इससे बच्चों में कलात्मक रुझान पैदा होगा ।
* हर वक्त पैसा और बाजार में ना उलझे , बच्चों के अंदर अच्छे संस्कार डालें समाज में किस से कैसा व्यवहार करना है यह जरूर बताएं उन्हें दयालु बनाएं ध्यान रखें आप जैसा बीज रोपेगे भविष्य में आपको वैसा ही फल मिलेगा l
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2 – परवरिश – प्यार और अनुशासन में संतुलन जरूरी