ग्रामीण महिला सशक्तिकरण व बीसी सखी योजना
ग्रामीण भारत में महिला सशक्तिकरण का असली तरीका है माइक्रोफाइनेंसिंग , ग्रामीण महिलाओं को अपनी जीविका हेतु लघु पैमाने पर उद्योग चलाने की जरूरत तो है ही , महिलाएं प्रायः कम राशि की वित्तीय सहायता की तलाश में रहती हैं जो उन्हें कम ब्याज दर पर मिल जाए और वे अपना व्यापार चला सके । फाइनेंससिंग के लिए पुराने समय से ग्रामीण महिलाएं व्यक्तिगत महाजनों पर निर्भर रहती रही हैं पर इसमें उनका शोषण होता था परंतु आज माइक्रोफाइनेंस और माइक्रोक्रेडिट के नए विकल्प उपलब्ध है जो ज्यादा सुरक्षित ,शोषण विहीन है। आजकल विभिन्न प्रकार के सेवा कर्ताओं द्वारा दिए जा रहे हैं माइक्रो फाइनेंस संस्थान , इलाहाबाद बैंक , बैंक ऑफ बड़ौदा , और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के अलावा कुछ निजी क्षेत्रों के कमर्शियल बैंक भी ऐसी सुविधाएं दे रहे हैं जैसे एचएसबीसी, एक्सिस बैंक ,एवं कोटक महिंद्रा । एचएसबीसी तो माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशन को उधार देता है , उसे प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने की सुविधा भी देता है जिससे उनके सदस्य वित्तीय कौशल समझ कर अपना व्यापार चलाएं , धंधे को सीखे या स्वयं ही उद्यमी बन सके और व्यापार में बचत करना सीखें । ग्रामीण महिलाओं पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर जाएँ- https://www.palakwomensinformation.com/2020/08/gramin-samaj.html माइक्रो – फाइनेंस का उपयोग – माइक्रो फाइनेंस का सबसे दिलचस्प उपयोग उन महिलाओं के लिए है जो कोई व्यापार करना चाहती हैं भले ही वह कशीदाकारी या दर्जी की दुकान हो , मुर्गी पालन या सब्जियां बेचना , मैंने देखा है कि ऐसी महिलाएं शीघ्रता से ना सिर्फ उधार की किस्त चुकाने लगती हैं वरन अपने व्यापार को भी बढ़ा देती हैं इस कारण परिवार के निर्णय में उनका प्रभुत्व भी बढ़ने लगता है वह बचत या निवेश में भी ज्यादा सक्रिय हो जाती हैं वस्तुतः माइक्रो फाइनेंस एक ग्रामीण प्रक्रिया है क्योंकि यह एक सेल्फ हेल्प ग्रुप मॉडल तैयार करता है यद्यपि अब शहरी जनसंख्या में भी इनको सफलता मिलने लगी है । अपनी बचत को बढ़ाएं – ग्रामीण और शहरी नागरिकों में सबसे बड़ा फर्क बैंक और वित्तीय सलाह की पहुंच से पड़ता है , नए जमाने में जहां शहरों के तौर तरीके बदले हैं वहीं ग्रामीण नागरिकों की आशाएं एवं उम्मीदों में भी बदलाव आया है । महंगाई से अच्छी तरह से जूझने और अपने सपनों को साकार करने के लिए जरूरी हो गया है कि आप अपनी बचत को बढ़ाएं , माइक्रोफाइनेंस के कारण गरीबों को जरूरी सुविधा प्राप्त होने लगी है , जिसमें अलग से कोई खर्च नहीं करना पड़ता है नहीं तो उनके लिए महाजनों के चक्कर में पड़ने के अलावा कोई चारा ही नहीं होता था । https://hi.wikipedia.org/wiki/ बीसी सखी योजना – योगी सरकार की अनोखी पहल बीसी सखी योजना है जो यूपी में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू हुई है । जिसकी कमान संभालने को तैयार हैं, 56,875 महिला , सखियां , जिनके द्वारा गांव में योजनाएं पहुँचायी जाएंगी | * बीसी प्रशिक्षण कार्यक्रम योजना में महिलाओं को बैंकिंग , कॉरेस्पोंडेंस का प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गई हैं। * इस योजना के तहत यूपी के 75 जनपदों की 56,875 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाना है इस योजना से ग्रामीण लोगों को अपने ही गांव में बिना किसी भागदौड़ के बैंकिंग सुविधा का लाभ मिल सकेगा । प्रदेश में बीसी सखी योजना के तहत प्रशिक्षण ले रही ग्रामीण महिलाएं ट्रेनिंग पूरी होने के बाद गांव में जमीनी स्तर पर योजना की कमान संभालेंगी , इन बैंक सखियों को स्वयं सहायता समूह के माध्यम से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा 6 माह तक प्रतिमाह ₹4000 मानदेय दिया जाएगा साथ ही उनको ₹ 50,000 की राशि डिजिटल डिवाइस खरीदने के लिए दी जाएगी तथा उन्हें धन की जमा व निकासी पर बैंक द्वारा कमीशन दिया जाएगा इससे गांव में ही महिलाओं को रोजगार भी मिल सकेगा।
Women Empowerment ke liye ye bohat jaruri hai…..
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