अधिकारों का ज्ञान जरूरी
अधिकारों व कानूनों की सामान्य जानकारी रखना बहुत जरूरी होता है क्योंकि जब हम अपने अधिकार को जानकर अपने कर्तव्य पूरे करते हैं तो यह सहभागिता हमारे और समाज दोनों की कामयाबी और तरक्की सुनिश्चित करती है । आज मैं कुछ ऐसे अधिकार बताऊंगी जो हर भारतीय नागरिक को पता होना चाहिए – * अगर आप अपनी गाड़ी से कहीं जा रहे हैं और ट्रैफिक पुलिस आपको रोकती है और आपकी गाड़ी से चाबी निकाल लेती है तो यह गैरकानूनी है आप उस कॉन्स्टेबल के खिलाफ एक्शन ले सकते हैं ऐसा मोटर व्हीकल एक्ट में बताया गया है । * अगर खाना बनाते वक्त सिलेंडर फट जाता है तो ऐसी परिस्थिति में जो आपको नुकसान हुआ है उसकी भरपाई के लिए आप गैस एजेंसी से 40 लाख तक का मुआवजा ले सकते हैं । * किसी भी महिला को एक महिला पुलिस ही गिरफ्तार कर सकती है उसके लिए कोई पुरुष पुलिस सक्षम नहीं है परंतु यदि कोई गंभीर केस हो तो पुरुष पुलिस को महिला को गिरफ्तार करना ही पड़े तो पहले उसे मजिस्ट्रेट से लिखित परमिशन लेनी होगी । * अगर ड्राइविंग करते समय आपके 100 ml ब्लड में 30 एमजी अल्कोहल पाया जाता है तो पुलिस आपको बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकती है । * यदि कोई दुकानदार मैक्सिमम रिटेल प्राइस से ज्यादा प्राइस लेता है तो यह गैरकानूनी है तो आप उसके खिलाफ एक्शन ले सकते हैं । * यदि आपका एक बार चलान कट जाता है जैसे कि यदि हेलमेट ना पहनने के लिए आपका चलान होता है तो उसी दिन दोबारा उसी चीज के लिए चलान नहीं किया जा सकता है । * यदि आपका ऑफिस आप को सैलरी नहीं दे रहा है तो आप 3 साल के अंदर – अंदर कार्यवाही करने में कानून की मदद ले सकते हैं । * अगर आप किसी सार्वजनिक स्थल पर अश्लील हरकत करते पाए जाते हैं तो आपको 3 महीने की सजा हो सकती है लेकिन अश्लील हरकत की कोई परिभाषा कानून में नहीं दी गई है । कार्यस्थल पर आपके अधिकार – अपनी जॉब के घंटों में अपने काम के प्रति ईमानदार रहना हम सभी का फर्ज होता है ठीक इसी तरह उस वर्कप्लेस पर अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना भी हमारे लिए बहुत अहम है क्योंकि यदि वहां हमारी हितों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है या फिर हमारे जरूरी अधिकारों में कटौती की जा रही है तो उसका असर हमारे काम , हमारे समर्पण के साथ – साथ हमारी योग्यता को भी बहुत गहरे तक प्रभावित करता है। श्रम अधिकार ऐसे विभिन्न कानूनी अधिकारों का समूह है जिसके अंतर्गत काम करने वालों और काम कराने वालों के बीच मानवीय आधार पर अमल करने की जरूरत होती है यहां पर एक बात और ध्यान देने की जरूरत है कि गवर्नमेंट सेक्टर में रोजगारों की संख्या काफी सीमित है इसलिए हमारे देश में एक बड़ा वर्ग प्राइवेट सेक्टर में जॉब करता है | यह अक्सर देखने में आता है कि यहां पर कर्मचारियों के हितों की अक्सर अनदेखी की जाती है भारत के कानून में दिए गए श्रमिक अधिकारों के काफी ऐसे पक्ष है जिसका पालन सभी को करना ही पड़ता है। अनिवार्य न्यूनतम पारिश्रमिक – हर इंसान जो कहीं भी नौकरी करता है उसके काम के स्तर , उसके शिक्षा , अनुभव , तकनीकी दक्षता के आधार पर ही उसका वेतन तय हो | न्यूनतम पारिश्रमिक विधेयक का उद्देश्य ही इस अधिकार को मजबूत करना है साथ ही यह भी तय करना है कि विभिन्न राज्य सरकारें केंद्र सरकारों द्वारा निर्धारित विशेष क्षेत्र के लिए नेशनल मिनिमम वेज के आधार पर ही किसी भी कर्मी का वेतन तय करें | श्रम कानूनों में ऐसी व्यवस्था भी है कि वह कंपनी या ऑफिस अपने कर्मचारी को तय किए गए काम के घंटों के अलावा कराए गए अतिरिक्त घंटों के कामों का भुगतान भी अतिरिक्त करें । कार्यस्थल पर भेदभाव नहीं – न सिर्फ मानवीय आधार पर बल्कि श्रम कानूनों के अनुसार किसी भी कार्यस्थल पर लिंग , मातृत्व, धार्मिक , भावनाओं या मान्यताओं जाति या राष्ट्रीय मूल , विकलांगता आदि से जुड़े पक्षों के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है | विकलांगता का यह पक्ष भी जरूरी है कि वह व्यक्ति उस कार्य को करने की योग्यता रखता हो , यहां अप्रवासी दर्जा भी शामिल है , यानी नियोक्ता किसी व्यक्ति को इस लिए नौकरी देने से मना नहीं कर सकता कि उस व्यक्ति का जन्म किसी अन्य देश में हुआ है । महिला कर्मचारियों के हित – महिला कर्मचारियों से उनके लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता यह फर्क उनके लिए वेतन तय करते समय भी नहीं किया जा सकता है , उनके लिए समान पद , कार्य और काम के घंटों में भी महिला व पुरुष कर्मियों के साथ समानता बरती जाएगी साथ ही कानून द्वारा दिए गए मातृत्व अवकाश एवं सुरक्षा से संबंधित सभी पहलुओं को पूरा करना सरकारी और प्राइवेट दोनों ही सेक्टर्स के लिए जरूरी है । न्यूनतम आयु व सुरक्षा – किसी भी कार्यस्थल पर कर्मचारी की न्यूनतम आयु का ध्यान रखा जाना भी जरूरी है | इसके अतिरिक्त उस कार्य से जुड़ी हर तरह की सुरक्षा व कार्यस्थल पर एक सुरक्षित व भयमुक्त परिवेश उपलब्ध कराना भी उस कंपनी का फर्ज है सुरक्षित परिवेश के अंतर्गत सेहत से जुड़ी सुरक्षा भी शामिल है यह मामला ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन के अंतर्गत आता है। कौशल और तकनीकी जानकारी – संगठित और असंगठित दोनों ही क्षेत्रों में अपने कर्मियों की बढ़ती मांग पूरा करने के लिए तकनीक से अवगत कराने , उन्हें जरूरी प्रशिक्षण दिलाने , नई मशीनरी और तकनीकी जानकारी दिलाना कंपनी के कर्तव्यों में आता है | अन्य जरूरी पहलुओं में तकनीक और प्रौद्योगिकी में कर्मचारियों को एक ऐसे संपूर्ण कौशल निर्माण एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के दायरे में लाने की जरूरत होगी जो उन्हें आगामी नवीनताओं से अवगत बनाए रखें ।
Very nice
Good
हम सब को अपने अधिकारों की जानकारी नहीं होती है बहुत ही अच्छा आर्टिकल
Nice article
Very informative