सेना में महिला शक्ति – संघर्ष की जीत
सेना के 10 विभागों में महिलाओं के स्थाई कमीशन के आदेश जारी होने के साथ ही बेटियों ने हक और समानता की एक बड़ी जंग जीत ली है। देश की सर्वोच्च अदालत ने महिलाओं के स्थाई कमीशन के पक्ष में फैसला 2011 में ही सुना दिया था पर सरकारें उनके कमजोर होने की दलीलें देती रही ।सेना पर पूर्ण जानकारी के लिए इस लिंक पर जाएँ – https://hi.wikipedia.org/wiki/ , सेना में महिला शक्ति को बराबरी का हक ना देने के लिए सरकार ने तो यहां तक कह दिया था कि पुरुष और अफसर महिलाओं की बात नहीं सुनेंगे लंबी लड़ाई के बाद जीत महिलाओं की हुई है और
वह पुरुषों के बराबर सेना में कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगी और कमान पोस्ट भी संभालेंगी ।
17 फरवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को स्थाई कमीशन देने का फैसला सुनाया जिसे केंद्र सरकार ने 23 जुलाई 2020 को लागू करने का आदेश भी दे दिया । तीन याचिकाओं पर सुनवाई – सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन और बराबरी की लड़ाई जनहित याचिका के जरिए 2003 में दिल्ली हाईकोर्ट की चौखट तक पहुंची इसके बाद मेंजर लीना गोराव ने 16 अक्टूबर 2006 को याचिका दायर कर महिलाओं को स्थाई कमीशन देने की मांग की , सितंबर 2008 में रक्षा मंत्रालय ने आदेश जारी किया कि शार्ट सर्विस कमीशन ( एसएससी ) से आने वाली महिलाओं को जज , एडवोकेट जनरल और सैन्य शिक्षा कोर्ट में स्थाई नियुक्ति दी जा सकेगी सरकार के इस फैसले को मेजर संध्या यादव ने चुनौती दी । दिल्ली हाईकोर्ट ने 2003 , 2006 , 2008 में दायर याचिकाओं पर सुनवाई की और 2010 में अपना फैसला सुनाया अदालत ने (एसएससी) के तहत भर्ती होने वाली महिलाओं को 14 वर्ष की सेवा करने पर पुरुषों की तरह स्थाई कमीशन देने को कहा महिलाओं को सेवा से जुड़े दूसरे लाभ भी देने के आदेश दिए जब अदालत ने कहा – महिलाओं के लिए ऐसा नजरिया मत रखिए । सरकार ( सुप्रीम कोर्ट ) में – सेना में ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां महिलाएं काम करने में सक्षम नहीं होंगी । सुप्रीम कोर्ट ( फटकार लगाते हुए )- महिलाओं के लिए ऐसा नजरिया मत रखिए , आप के पक्ष में लिंग भेद की बू आ रही है ऐसा करना महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित करने के बराबर है | सेना में समानता के लिए नजरिया बदलना होगा महिलाओं को सीमित क्षेत्र तक रखेंगे तो उनकी पदोन्नति पर असर पड़ेगा और संभव है कि वह कर्नल रैंक से आगे नहीं बढ़ पाएगी इसी को देखते हुए महिलाओं को भी बराबर कमान पोस्ट को संभालने की जिम्मेदारी दें जिससे वह अपने काम के दम पर उच्च पदों पर पहुंच सके। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अजय रस्तोगी ने ( 17 फरवरी 2020) में कहा कि महिलाओं को कमान में नियुक्ति न देना और केवल स्टाफ अपॉइंटमेंट तक सीमित रखना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है यह अनुच्छेद सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है | समानता और अधिकार में दो वर्गों के प्रति अतार्किक व गैर वाजिब भेदभाव नहीं झलकना चाहिए | बढ़ते चले गए कामयाबी के कदम – १ – 1990 की शुरुआत में शॉर्ट सर्विस कमीशन ( एसएससी ) के जरिए 14 वर्ष के लिए सेना में महिलाओं का आना शुरू हुआ। २ – 2011 में एसएससी में से आने वाली महिलाओं को न्यायिक व शिक्षा से जुड़ी तीन सेवाओं में स्थाई कमीशन का आदेश । ३ – 15 अगस्त 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि महिलाएं स्थाई कमीशन के लिए गैर युद्ध सेवा के लिए पात्र । भारतीय सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन पर अब क्या बड़े – बड़े बदलाव होंगे देखें – https://www.patrika.com/miscellenous-india/after-sc-verdict-benefits-of-women-in-army-5787094/ ४ – 13 फरवरी 2019 में सरकार ने एसएससी से आने वाली महिला अधिकारियों को युद्ध में मदद करने वाले सिगनल्स इंजीनियर आर्मी एविएशन एयर डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर आर्मी सर्विस कोर आर्मी ऑर्डिनेंस को और इंटेलिजेंस में स्थाई कमीशन का आदेश दिया । 1990 के बाद सेना में महिला शक्ति पर नजर – (जून 2019 तक का आंकड़ा ) १ – महिलाओं को थल सेना में आने का मौका मिला- 1653 २ – महिलाएं जो नौसेना में कार्यरत हैं – 490 ३ – महिलाओं को वायु सेना में आने का मौका मिला – 1905 ४ – 8 महिला फाइटर पायलटओं की नियुक्ति 2016 के बाद हुई । ५ – 65000 सैन्य अधिकारियों के पद हैं सैन्य बल में इस प्रकार वर्तमान में महिलाओं की संख्या – थल सेना – 3.89 % नौसेना- 6.70 % वायु सेना- 13 . 28%। गौरवशाली क्षण – महिलाएं सारी वर्जनाएं तोड़कर नित नया इतिहास लिख रही हैं और भारत भी नारी के सेना में सशक्त होने का गवाह बन रहा है | फ्लाइंग लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह दुनिया के सर्वोत्तम श्रेणी युद्धक विमानों में से एक रॉफेल की पहली महिला पायलट बनने जा रही हैं उन्हें देश के साथ सबसे ताकतवर व बाहुबली विमान राफेल उड़ाने की जिम्मेदारी मिली है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी की रहने वाली फ्लाइंग लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह का राफेल उड़ाना कोई चुनौतीपूर्ण कार्य नहीं होगा क्योंकि इसके पहले भी वह मिग – 21 विमान उड़ाती हैं | इसी गौरवशाली परंपरा को आगे ले जाने वाली अवनी चतुर्वेदी पर जानकारी के लिए इस लिंक पर जाएं – https://www.palakwomensinformation.com/2020/08/mahila-aur-samaj.html इन महिलाओं ने ही सेना के सशस्त्र युद्धक अभियानों से महिलाओं को बाहर रखने की नीति को ध्वस्त करते हुए इतिहास रचा है |
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