परिवर्तन जीवन का अपरिहार्य नियम है

 बदलाव  के  साथ  चल  कर  ही  हम  खुद  को  मजबूती  दे सकते  हैं  बदलते  हालात  और  जरूरतों  के  अनुसार  ना बदलने  वाला  इंसान  ठहरे  हुए  पानी  के  समान  हो  जाता है ।                                                                                     परिवर्तन  जीवन  का  अपरिहार्य  नियम  है  इसे हम  चाहें  या  ना  चाहे  , परंतु  यह  होना  अवश्य  ही  है । बंधा  हुआ  मन  किसी  भी  परिवर्तन  की  राह  में  बाधा होता  है  ।                                                                       यह  भी  बिल्कुल  सत्य  है  कि  वक्त  के  साथ  ना बदलने  वाले  पीछे  छूट  जाते  हैं  सौभाग्य  केवल  वीरों  का  साथ  देता  है  लेकिन  उनका  साथ  भी   देता  है  जो किसी  भी  नए  बदलाव  के  लिए  तैयार  होते  हैं  ।                              हमें  स्वयं  बदलाव  के  लिए  तैयार  होना चाहिए  हमारा  काम  या  व्यवसाय  कोई  भी  क्यों  ना  हो बदलाव  के  प्रति  आगे  रहने  में  ही  भलाई  है  मेरा  मानना  है  कि  आज  भी  बहुत  सारे  ऐसे  लोग  हैं  जो परिवर्तन  का  हमेशा  विरोध  जताते  रहते  हैं  उनका  कहना  कि  वर्तमान  व  मौजूदा  सुविधाएं  हमारे  इस  काम के  हिसाब  से  काफी  अच्छे  व  सुविधा  पूर्ण  हैं  परंतु  यदि  आप  प्रगति  चाहते  हैं  तो  आगे  बढ़े  आपको परिवर्तन  को  स्वीकार करना ही होगा ।                                                                         

                             जीवन  वैसा  ही  बनता  है  जैसा हम  सोचते  हैं   सोच  हमें  वैसा  ही  बनाती  है  ।  यदि आप  इस  प्रतियोगिता  से  स्वयं  को  अलग  रखना  चाहते हैं  तो  आपको  किसी  बदलाव  की  आवश्यकता  नहीं  है ।                          बेहतरी  के  लिए  के  लिए  हम  बदलाव चाहते  हैं  तो  आपको  अपने  वर्तमान  से  असंतुष्ट  होना ही  होगा  ,जीवन  में  बदलाव  का  एक  ही  तरीका  है  कि आप  लगातार  इसे  नया  रूप  देते  रहे  , कुछ  भी  हमेशा एक  सा  नहीं  रहता  जिस  तरह  दो  व्यक्ति  एक  ही  चीज को  एक  तरह  से  नहीं  पढ़  सकते  यहां  तक  कि  विविध परिस्थितियों  में  एक  ही  व्यक्ति  की  राय  भी  बदल  जाती है  ।                                                                             जब  हालात  बिगड़  जाए  तो  उन्हें  जुगत  लगा  कर संभालना  पड़ता  है ,  हम  जो  भी  कर  रहे  हो  या  हमें करना  पड़े  उसी  में  प्रसन्नता  की  तलाश  करनी  चाहिए हमे  दुखी  नहीं  रहना  चाहिए  क्योंकि  हालात  बदलते रहते  हैं  , रोने   पछताने  या  दुख  ,मायूसी  और  निराशा के  सिवा  कुछ  हाथ  नहीं  आता   ।                                                                         परिवर्तन  को  तैयार  व्यक्ति कभी  भी  भविष्य  के  हाथों  खिलौना  नहीं  बनता ।           

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