नवरात्र – शक्ति की पूजा का पर्व
नवरात्रि शक्ति की पूजा का समय है , शक्ति किसी चीज के स्वरूप को स्थिर रखती है बिना शक्ति के कोई भी वस्तु क्षण भर भी टिक नहीं सकती । किसी भी साधना के लिए शक्ति का होना जरूरी है और नवरात्र शक्ति की साधना का पर्व है । विषुवत काल के शुक्ल पक्ष में आरंभ के 9 दिन शक्ति की आराधना के लिए मुख्य माने गए हैं , विषुवत काल चैत्र शुक्ल पक्ष तथा अश्विन शुक्ल पक्ष में होता है इस समय दिन और रात समान रुप में होते हैं भगवान की दूसरी शक्ति अर्थात प्रकृति सत्व ,रज और तम गुणों में साम्यावस्था रहती है । दिन का प्रकाश रात का अंधकार और उन दोनों के मध्य का काल साम्यावस्था में रहता है । इन त्रिगुणात्मक संतुलन के समय नवरात्रि में देवी की पूजा श्रेष्ठ रहती है । नवरात्र में जो भक्त जिस मनोभाव व कामना से श्रद्धा पूर्ण विधि – विधान के साथ मां भगवती की आराधना करते है उसी भावना व कामना के अनुसार मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है ।नवरात्रि में देवी की 9 दिनों की पूजा नवग्रहों के अनिष्ट प्रभाव को भी शांत करती है जिससे रोग और शोक दूर होते हैं ,भगवती दुर्गा नौ स्वरूपों में भक्तों के संकल्पित कार्य पूर्ण करती है इसलिए इनकी उपासना का क्रम 9 दिन का होता है । नवरात्रि शब्द 9 की संख्या का रहस्यात्मक बोध कराती है । 9 की संख्या अखंड अविकारी ब्रह्म स्वरुप है जो कभी खंडित नहीं होती इसलिए नवरात्रि के 9 दिनों में व्रत व उपासना करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है । तन , मन, धन ,आयु कीर्ति के साथ ग्रहों के दोषों का निवारण होता है । ग्रह पिंडो की शक्ति मानव पिंड को नियंत्रित करती है और उन ग्रह पिडो को जो शक्ति मिलती है उसी आद्या शक्ति की आराधना नवरात्रि के 9 दिनों में 9 स्वरूपों में की जाती है विभिन्न कामनाओं के लिए भक्त नवरात्रि में मां के शैलपुत्री , ब्रह्मचारिणी , चंद्रघंटा , कूष्मांडा , स्कंदमाता , कात्यायनी , कालरात्रि , महागौरी , सिद्धिदात्री नौ रूपों की उपासना व आराधना करते हैं ।
कन्या पूजन – नवरात्र के दिनों में कन्याओं को देवी का रूप मानकर आदर सत्कार करने व भोजन कराने से घर का वास्तु दोष दूर होता है । शास्त्रों के अनुसार हवन , जप और दान से देवी इतनी प्रसन्न नहीं होती जितनी कन्या पूजन से प्रसन्न होती हैं । कन्या सृष्टि सृजन , सृजन श्रृंखला का अंकुर होती हैं वह पृथ्वी पर प्रकृति स्वरूप मां शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं | अतः मनुष्य प्रकृति स्वरूपी कन्याओं का पूजन करके साक्षात भगवती की कृपा प्राप्त कर सकते हैं । कन्याओं में मां दुर्गा का वास रहता है | कन्या पूजन नवरात्र के किसी भी दिन कर सकते हैं परंतु अष्टमी और नवमी को इसके लिए श्रेष्ठ माना गया है ।
Jai mata di
Jai mata di
Jai mata di
Jai Mata di
Jai Mata di
प्रशंसनीय👌 नवरात्रि के संदर्भ मे नई बातें पता चली
Appreciate this post. Let me try it out.
Jaipur to Deshnok temple for taxi