उपहार का मनोविज्ञान

                                                                          उपहार , तोहफा , गिफ्ट  यह  शब्द  जुबान  पर  आते  ही  एक  अलग  तरह  की  खुशी  मिलती  है | उपहार  का   मनोविज्ञान  है  जोड़ना  या  जुड़ना , जब  हम  किसी  को  उपहार  देते  हैं  तो  अपनी  भावनाओं  को  व्यक्त करते  हैं  वहीं  उपहार  पाने  वाला  व्यक्ति  भावनाएं  प्राप्त  करता  है । उपहार  देने  से  संतुष्टि  की  भावना फलीभूत  होती  है  उपहार  से  संबंधों  को  नई  ऊर्जा  मिलती  है , प्रगाढ़ता  आती  है | एक  कहावत   है –                           ” इट्स  बेटर  टू  गिव  देन  रिसीव , ”                                                                                                                                                                                                                                                   असल  में  उपहार  दूसरों  को  दी  जाने  वाली  भौतिक  वस्तु  नहीं  है  बल्कि  इसमें  समाहित  है  प्यार  और  परंपरा। उपहार  लेने  देने  की  शुरुआत  कब  और  कहां  हुई  यह  ठीक से  कह  पाना  थोड़ा  तो  मुश्किल  हैमनुष्य  जब  से  पृथ्वी  पर  है  तब  से  उपहार  लेने  देने  की  परंपरा  चली आ  रही  है। मनुष्य  एक  सामाजिक  प्राणी  है  जो  दूसरे  मनुष्य  से  रिश्ता  निभाता  है , साथ  पसंद  करता  है  या  प्यार  करता  है इन  विभिन्न  रूपों  में  शुमार  भावनाओं  को  तोहफे  के  आदान – प्रदान  से  व्यक्त  करता  है | किसी  को  उपहार  या  तोहफा  देना  उसके  प्रति  अपना  प्यार  और  सम्मान  व्यक्त  करने  का  एक  तरीका  है । उपहार  देना  हमारी  संस्कृति  का  भी  एक  हिस्सा  है  यह  परिभाषित  करता  है  कि  हमारी  सोच  क्या  है  और इसके  जरिए  हम  क्या  संदेश  देना  चाहते  हैं  उपहार  सभी  अवसरों  और  समारोहों  में  दिए  जाते  हैं  यह  कहना  गलत  नहीं  होगा  कि  उपहार  संवाद  स्थापित  करने  व  स्वयं  को  बिना  शब्दों  के  व्यक्त  करने  का  एक  साधन  है।  

                                                                          इतिहास  के  पन्ने  पलटने  से  यह  मालूम चलता  है  कि  विभिन्न  जन  जातियों  तथा  कबीलों  के  नेताओं  के  लिए  उपहार  एक  स्टेटस  सिंबल  भी  था । जब  भी  वे  अपनी  किसी  उपलब्धि  पर  खुश  होते  थे  तो  उसका  इजहार  उपहारों  के  जरिए  करते  थे । उस दौर  में  भारत  में  राजा  महाराजा  उपहार  में  सोने  , चांदी  व  किसी  धातु  के  सिक्के  के  लिए  गहने , जमीन ,   अनाज , पालतू  जानवर , बर्तन , कपड़े  आदि  देते  थे। मिस्र  में  पिरामिड  या  मूर्ति  उपहार  स्वरूप  दी  जाती  थी रोमन  काल  में  गुड  लक  टोकन  दिए  जाते  थे  यह  प्रथा  आज  भी  कायम  है  मध्यकालीन  युग  तक  उपहार  राजा  महाराजा  की  खुशी , जीत  या  शौर्य  के  प्रतीक  थे  तब  से  आज  तक  यह  संस्कृति  फल-फूल  रही है । आज  शादियों  व  तीज  त्योहारों  के  मौके  पर  उपहारों  का  लेनदेन  होता  है  विकास  के  साथ-साथ  सब  कुछ बदल  गया  और  उपहारों  का  विस्तारीकरण  भी  होता  जा  रहा  है।  

                                                                                          
रिश्ते चाहे  जो  भी  हो  तो  उपहार  के  जरिए  अपनी  भावनाएं  कि  नहीं  उसकी  गहराई  भी  बखूबी  बयान  की  जा  सकती  है  तोहफा  मिलना  किसे  अच्छा  नहीं  लगता   छोटे  से  छोटा  उपहार  भी  हमारे  दिल  का  हाल  बताता है  प्रेम  हमारे  अंदर  सुरक्षा  व  भरोसे  के  बीज  रोपता   है  आज  की  भागदौड़  वाली  जिंदगी  में  वक्त  की  कमी  है  इस  कमी  की  भरपाई  करने  में  भी  उपहारों  की  भूमिका  बेहद  अहम  है। उपहार  आपके  दिल  का  हाल  तो  कहेंगे  ही  रिश्ते  को  प्यार  की  गर्माहट  से  भर  देंगे  एक  दूसरे  के  चेहरे  पर  मुस्कान  बिखेरते  हुए  देखना  कितना  मोहक  होता  है  उपहारों  को  लेने  से  ज्यादा  देना  महत्वपूर्ण  है , इस  पर  काफी  शोध  हुए  हैं  इसका  परिणाम  भी  काफी  रोचक  रहा  है  प्रथम  इससे  खुशी  महसूस  होती  है |  उपहार का  मनोविज्ञान  ये  कहता  है  कि –  उपहार  देने  से  व्यक्ति  की  मनः  स्थिति  में  सुधार  होता  है  तथा  इससे  आपका  रिश्ता  अधिक  मजबूत  भी  होता  है |

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29 Comments

  1. सहमत हूँ तुमसे,मुझे उपहार देना भी उतना ही अच्छा लगता है जितना लेना।

  2. उपहार के साथ आशीर्वाद भी प्राप्त होता जो बड़ो से पाना और छोटो को देना बहुत ही अच्छा होता है । अच्छा लेख 👌👌

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