महिलाएं – विवाह नहीं है अंतिम अध्याय

कुशल  ग्रहणी  बनकर  ही  यदि  आप  संतुष्ट  हैं  तो  कुछ  बातें  आपको  अपने  बारे  में  दोबारा  सोचने  पर  मजबूर  जरूर  कर  देंगी । बचपन  से  बेटियाँ  कुछ  कथन  सुनते  सुनते  ही  बड़ी  होती  हैं  जैसे  कि  लड़की  सांवली  है  तो  उसे  डबल   M.A.  करा  दो  ताकि  सूरत  न  सही  नौकरी  देख  कर  ही  लड़का  शादी  के  लिए  हां  कर  दे  , कोई  और  कमी  है  तो  दहेज  में  ज्यादा  पैसे  देकर  ससुराल  वालों  का  मुंह  बंद  कर दो , बचपन  से  इस   तरह  की  बातें  सुनकर  ना  केवल  बेटियों  का  आत्मविश्वास  कम  होता  है  बल्कि  कभी – कभी  घरवाले  ऐसा  व्यवहार  करते  हैं  कि  उनका  जन्म  ही  बस  शादी  के  लिए  हुआ  है । लड़कियां  माता – पिता  की  बातें  सुनते – सुनते  ख्वाबों  के  ऐसे  सुनहरे  महल  बनाने  लगती  हैं  मानो  शादी  उनकी  आखिरी  मंजिल  है  शादी  के  लिए  ही  वह  सब  कुछ  कर  लेना  चाहती  हैं  दुनिया  भर  के  कोर्स , पढ़ाई – लिखाई  सब  कुछ  और  शादी  के  बाद  ?                                     खो  जाती  है  पहचान  – शादी  के  बाद  महिलाएं  पूरी  तरह  समर्पित  हो  जाती  है  अपने  पति , परिवार , व  बच्चों  के  लिए  , क्योंकि  उन्हें  हमेशा  यही  सिखाया  गया  है  और  अपनी  मां  को  भी  उन्होंने  सदैव  यही  करते  देखा  है  फिर  एक  समय  ऐसा  आता  है  जब  एक  ढर्रे  पर  चलते – चलते  वो  सोचने  पर  मजबूर  हो  जाती  हैं  कि  आखिर  वह  कहां  स्टैंड  करती  हैं  ?                                     औरतों  को  यह  बात  समझनी  होगी  कि  काम  केवल  किसी  चीज  की  कमी  की  पूर्ति  के  लिए  ही  नहीं  किया  जाता  संतुष्टि  के  लिए  भी  किया  जाता  है  और  किसी  को  काम  करते  देख  उल्टे  यह  और  कहती  हैं  कि  ना  बाबा  मेरे  बस  की  बात  नहीं  है  मैं  तो  अपने  पति  और  बच्चों  में  ही  खुश  हूं  यह  स्थिति  सभी  के  जीवन  में  आती  है  कुछ  के  जीवन  में  जल्दी  और  कुछ  की  देर  में ।                                                                          वजूद  को  पहचाने – अपने  वजूद  को  पहचानना  बहुत  जरूरी  है  कुदरत  ने  हर  किसी  को  कोई  ना  कोई  विशेष  गुण  दिया  है  बस  जरूरत  है  उसे  पहचानने  की  और  उस  दिशा  में  चलने  की ,, औरतों  के  लिए  रास्ता  इतना  आसान  नहीं  होता  मगर  रास्ता  बनता  है  दृढ़  निश्चय  से।                                                    कई  महिलाओं  को  यह  लगता  है  कि  उन्हें  कुछ  नहीं  आता , ऐसा  कभी  नहीं  सोचें  आप  एक  घर  संभाल  रही  हैं  और  एक  घर  का  केयरटेकर  होना  यानी  कम  से  कम  10 – 12   कामों  में  आपका  कोई  सानी  नहीं  है  बस  जरूरत  है  उन  सब  कामों  में  से  वह  काम  पहचानना  जो  आपकी  पहचान  बना  दे । बस  अपना  हुनर  पहचानिए https://www.palakwomensinformation.com/2020/10/hunar-se-banaye-zindagi-aasan.html फिर  उसके  लिए  समय  निकालिए  और  उसे  निखारिये , उस  पर  काम  कीजिए  नाम  और  पहचान  धीरे – धीरे  मिलती  जाएगी  यकीन  मानिए  जिस  दिन  लोग  आपको  आपके  नाम  से  बुलाएंगे  और  आपके  उस  नाम  की  एक  पहचान  होगी  उस  दिन  सही  मायने  में  आपको  अपने  जीवन  का  अर्थ  मिल  जाएगा ।  हमें  पहले  खुद  से  शुरुआत  करनी  है  दूसरे  लोग  जो  चाहे  सोचे  हमें  खुद  पर  गर्व  करना  नहीं  भूलना  चाहिए  क्योंकि  एक  महिला  होने  के  नाते  हमारे  पास  ऐसा  करने  की  अनगिनत  वजह  हैं  हर  महिला  को  अपनी  अस्मिता  की  शुरूआत  स्वयं  से  करनी  है , वक्त  की  नब्ज  बदली  है  और  सोच  की  सुई  भी  नए  तरीके  से  घूमने  के  लिए  लालायित  हो  उठी  है , हमें  भी  सीधी  सादी  पगडंडियों  के  बजाय  टेढ़ी – मेढ़ी  वह  निश्चित  राहों  पर  चलने  का  हौसला  जगा  है |                               सबसे  अहम  बात  यह  है  कि  अपने  मन  को  बताइए  कि  विवाह  अंतिम  अध्याय  नहीं  है  एक  नया अध्याय  आपका  इंतजार  कर  रहा  है  एक  नई  आशा  और  उम्मीद  के  साथ ।

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