ग्रामीण समाज व भारत में ग्रामीण महिलाओं की बदलती तस्वीर
ग्रामीण समाज एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था वाली मनोवृति पर आधारित है जो कि यह मानकर चलता है कि महिलाएं दोयम दर्जे की नागरिक हैं। भारत की 70% आबादी गांवों में रहती है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं बड़े पैमाने पर एनीमिया , कुपोषण आदि से ग्रसित रहती हैं । ग्रामीण महिलाओं की संपत्ति स्वास्थ्य शिक्षा आदि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में दशा सोचनीय है । ग्रामीण क्षेत्रों में 53 % महिलाओं की शादी 18 साल के पहले ही हो जाती है। ग्रामीण समाज में 90% महिलाएं खेती पर निर्भर करती हैं इन्हें लगातार 16 से 18 घंटे रोज काम करना पड़ता है यह महिलाएं प्रातः से देर रात तक काम करती रहती हैं |
पर्वतीय क्षेत्रों में घर की देखभाल करना मवेशियों के लिए चारे , पानी की व्यवस्था करना घर के लिए सभी व्यवस्था करना व कृषि कार्य करना महिलाओं के ही जिम्मे है। 2011 की जनगणना और हालिया नेशनल सर्वे के अनुसार देश के कुल कामकाजी महिलाओं 81.29% हिस्सेदारी ग्रामीण महिलाओं की है । असल में जो शिक्षित व शहरी महिलाएं नौकरी करना चाहती है और आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं उनकी अक्सर शादी के बाद जगह बदलने से उनकी नौकरी छूट जाती है और कई बार ससुराल वालों को अपनी बहू का नौकरी करना स्वीकार नहीं होता है जबकि इसके ठीक विपरीत ग्रामीण महिलाओं की शादी कामकाजी होने में बाधा नहीं बनती है ग्रामीण इलाकों में आविवाहित से ज्यादा विवाहित महिलाएं काम करती हैं लेकिन ग्रामीण महिलाओं का काम करना यह कतई नहीं दर्शाता कि वह आत्मनिर्भर है असल में यह परिवार की आय बढ़ाने की मजबूरी में काम करती हैं |
भारत में ग्रामीण महिलाओं की बदलती तस्वीर कई ऐसी योजनाओं योजनाएं व्यवस्थाएं हैं जो ग्रामीण महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं उसके परिणाम भी काफी सकारात्मक आ रहे हैं स्थानीय स्तर पर देखा जाए तो जो 31 लाख निर्वाचित सदस्य पंचायत सदस्य जो कि विभिन्न स्तरों के हैं उनमे 42% महिलाएं हैं। इसके अतिरिक्त 6 करोड़ 36 लाख ऐसी है जो ” स्वयं सहायता समूह दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ” से जुड़ी हुई हैं। ऐसी महिलाएं 8 से 10 लोगों का समूह बनाकर कार्य करती हैं गांव के स्तर पर ग्राम संगठन है ,और क्लस्टर के स्तर पर क्लस्टर फेडरेशन है।
गत 5 वर्षों में इन महिलाओं ने 57 लाख अलग – अलग सहायता समूह के माध्यम से 2 लाख 18 हजार करोड़ का ऋण बैंकों के माध्यम से लिया है जिससे कि वह अपनी आजीविका का विस्तार व विकास कर रही हैं ।आज करीब 10 हजार 471 कस्टम आयरिंग सेंटर है जहां महिलाओं के समूह द्वारा पावर टेलर , पंप सेट का कार्य किया जा रहा है। तथा कुछ ऐसी महिलाएं भी हैं जो सुदूर क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को मूर्त रूप दे रही हैं वहीं करीब 50 लाख के करीब महिला किसान कहीं पशु सखी तथा कहीं कृषि सखी बनकर कार्य कर रही हैं ग्रामीण महिलाओं की सबसे बड़ी जरूरत वित्तीय स्थिति , स्वास्थ्य , सुरक्षा , शिक्षा , ही है। स्वच्छ भारत मिशन से काफी सहायता मिली है शिक्षा के ऋण में भी महिलाओं को ब्याज दर में छूट दिया गया है मुद्रा योजना में 75% लोन महिलाओं को दिया गया है इसके डेवलपमेंट के जरिए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है।
पहले महिलाओं का उतना सहयोग नहीं मिलता था परंतु आज महिलाएं बढ़-चढ़कर आगे आ रही हैं सौभाग्य योजना , उज्जवला योजना , जनधन योजना आदि से गरीब और ग्रामीण योजना कौशल विकास बैंक लिंक की व्यवस्था करके इन ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी सहभागिता बढ़ाने का प्रयास किया गया है।
महिलाओ को लेकर आप की विशेष टिप्पड़ी सराहनीय है ।
Very nice
बहुत ही अच्छा उल्लेख किया है ग्रामीण महिलाओं के बारे में
बहुत अच्छा लिखा है महिलाओं की वर्तमान स्थिति के बारे में
धन्यवाद
धन्यवाद
धन्यवाद
Thank you
Your blog shows the mirror of Indian Women.
Very good
Thank you
Thank you
Shahar ki auraton ki naukri me jo pareshani aati hai wo bilkul sahi likha gaya hai..kai ladies isse relate kar paengi
Thank you
👌👌 very nice ( from shilpi )
Thank you
Good theem for women imp0werment
Very nice
Thank you
Thank you
Behatarin post….