मुस्कुराने का मनोविज्ञान
ऐसे तमाम लोग जो हमें रोज मिल जाते हैं जो बेवजह ही मुस्कुरा कर चले जाते हैं और ऐसे भी कुछ लोग मिलते हैं जिन्हें देखकर लगता है कि शायद यह जिंदगी में कभी मुस्कुराए ही नहीं । कोई उन्हें घमंडी समझता है तो कोई गमगीन । रिसर्च बताते हैं कि जिनका टेस्टोस्टेरोन अधिक होता है वह कम मुस्कुराते हैं यही वजह है कि महिलाओं के मुकाबले पुरुष कम मुस्कुराते हैं । पावर – कुछ अध्ययन यह बताते हैं कि खास परिस्थितियों में मुस्कुराने का मतलब खुद को कमजोर दर्शाना या एक तरह से आत्मसमर्पण की निशानी माना जाता है | जो लोग कम मुस्कुराते हैं वह खुद को पावरफुल महसूस करते हैं और उन्हें लगता है कि वह हर परिस्थिति का मुकाबला कर सकते हैं और उनमें वह शक्ति है । कम संवेदनशील – स्टडीज इस बात की ओर इशारा करती है कि इमोशनल सेंसिटिविटी हंसने व मुस्कुराने से जोड़कर देखी जाती है | कम मुस्कुराने वाले लोग कम संवेदनशील होते हैं । संवाद हीनता व असहमति – कम मुस्कुराने वाले दूसरों की बातों और विचारों से कम सहमत होते हैं मुस्कुराहट को संवाद स्थापित करने का एक अच्छा जरिया माना जाता है ऐसे में कम मुस्कुराने वाले लोग दूसरों से अधिक बात करना पसंद नहीं करते । लोग गंभीरता से लें – कुछ लोग चाहते हैं कि दूसरे उन्हें अधिक गंभीरता से लें इसलिए वह कम मुस्कुराते हैं क्योंकि उनकी यह सोच होती है कि मुस्कुराने से अन्य लोग उन्हें गंभीरता से नहीं लेंगे या उनकी बातों को उतना महत्व नहीं देंगे जितना वह चाहते हैं । कठोर व दृढ़ नजर आने की कोशिश – कुछ लोग प्रभावशाली मजबूत कटोरिया दृढ़ नजर आने की कोशिश में कम मुस्कुराते हैं शायद ये ऐसे लोग होते हैं जिनकी परवरिश के दौरान मन में यह बात बिठा दी जाती है या परिस्थितियां उन्हें ऐसा एहसास कराती हैं कि मुस्कुराना उन्हें कमजोर बना सकता है यानी मुस्कुराहट को वह कमजोरी की निशानी मानने लगते हैं । परिपक्वता – कम मुस्कुराने वाले खुद को परिपक़्व दिखाने के लिए ऐसा करते हैं उन्हें लगता है कि हंसना मुस्कुराना आपरिपक्वता की निशानी है उन्हें यह बचकाना लगता है वह सोचते हैं कि कम मुस्कुराना उन्हें अधिक मैच्योर दिखाएगा और लोग उन्हें अधिक महत्व देंगे । मुखौटा – कुछ लोग इसे आवरण या मुखौटा बना लेते हैं जिससे उनकी तकलीफ या भावनाएं दूसरों पर जाहिर ना हो कहीं ना कहीं वे तकलीफ में होते हैं पर शेयर नहीं करना चाहते इसलिए वह दूसरों से उतना कंफर्टेबल नहीं होना चाहते जहां लोग उनकी मुस्कुराहट के पीछे का दर्द समझ जाएं ऐसे में वे गंभीर व खुद को मजबूत दिखाने के लिए यह मुखौटा ओढ़ लेते हैं । ईगो – ईगो भी एक बड़ा कारण है कम मुस्कुराने का कई बार आपसी रिश्तो में या दोस्ती में भी कुछ लोग यह सोचते हैं कि एक स्वीट से स्माइल से अगर झगड़ा खत्म हो सकता है तो क्या बुराई है वहीं कुछ लोग इस अपने ईगो को सेटिस्फाई करने के लिए यह सोचकर नहीं मुस्कुराते कि भला मैं क्यों झुकू गलती तो सामने वाले की थी मैं क्यों पहल करूंगी अभी सामने वाला पहल करता है तो भी वह जल्दी से अपनी प्रतिक्रिया नहीं देते क्योंकि उन्हें लगता है कि इतनी जल्दी माफ करने पर अगली बार आपको वह हल्के में लेंगे और आप का महत्व धीरे – धीरे कम हो जाएगा । कम मुस्कुराने के क्या – क्या और कैसे कैसे बहाने – १ – क्या मैं पागल हूं– बहुत से लोग यह सोचते हैं कि बात बात पर मुस्कुराने वाला व हंसने वाला तो पागल होता है तो क्या मैं पागल हूं कि बात बात पर हसू या मुस्कुराऊं |
२ – मूड भी कोई चीज है या नहीं ३ – झूठी हंसी क्यों भला ।
४ – कुछ अच्छा तो हो मुस्कुराने के लिए । ५ – मैं क्यों अपनी वैल्यू कम करूं । ६ – जब मेरा मन होगा तब मैं हसूँगी / हसूंगा ७ – कोई जबरदस्ती है क्या ८ – हम तो ऐसे ही हैं । ९ – आपको क्या तकलीफ है हमारे ना मुस्कुराने से । १० – हम किसी के गुलाम नहीं है । कम मुस्कुराने का यही मनोविज्ञान है जिस पर अधिकांश लोगों की विचारधारा फिट बैठती है । मुस्कुराने के लिए बड़े कारणों की तलाश करने की बजाय छोटी – छोटी बातों पर खुश होना सीख कर उसे अपनी आदतों में शामिल करने की कोशिश करनी चाहिए ।
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