स्मार्टफोन और हम
आज स्मार्टफोन स्टेटस सिंबल बन चुका है स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर 70 वर्ष की आयु के व्यक्ति के पास इसे देखा जा सकता है लेकिन बिना इंटरनेट के स्मार्टफोन बिल्कुल उस भोजन की तरह है जिसमें नमक नहीं होता इसलिए इस स्मार्टफोन में हमेशा इंटरनेट पैक एक्टिव रहता है । इंटरनेट होने से स्मार्टफोन सिर्फ स्मार्टफोन नहीं रह जाता बल्कि अलादीन का चिराग बन जाता है | इंटरनेट की मौजूदगी के चलते स्मार्टफोन की 5 इंच की स्क्रीन पर दुनिया भर के काम किए जा सकते हैं | स्मार्टफोन के जरिये नए रास्तों की खोज कर सकते हैं इसकी जानकारी के लिए इस लिंक पर जाएँ – https://www.palakwomensinformation.com/2020/08/naye-raste-aur-ummeden.html काम के अलावा स्मार्टफोन पर मौजूद कुछ एप्स यूजर्स के अकेलेपन को दूर करने का काम भी करते हैं यह एप्स उन्हें उनके चहेतों से जोड़ती हैं , जिनको ना तो हर वक्त देखा जा सकता है ना सुना जा सकता है | इनमें सबसे अधिक प्रचलित है फेसबुक और व्हाट्सएप । अति है बुरी – कुछ ऐसी एप्स है जो यूजर्स को पूरा दिन अपने में उलझाए रख सकती हैं | फोन में इनकी मौजूदगी हर 10 मिनट में यूजर को अपने फोन पर उंगलियां फिराने पर मजबूर कर देती हैं , देखा जाए तो इसमें कुछ भी बुरा नहीं है । लोगों से जुड़ना , उनसे बात करना ,कोई बुरी बात नहीं है लेकिन कहा जाता है कि अति हर चीज की बुरी होती है , इसी तरह फेसबुक और व्हाट्सएप का अधिक इस्तेमाल भी आपके जीवन के सुख शांति को छीन सकता है इतना ही नहीं यह आपको अपनों से दूर भी कर सकता है | ऐसे में आप भले इंटरनेट की दुनिया में लोगों से घिरे हुए हों लेकिन वास्तविक जीवन में आप अकेले रह जाएंगे | इन दोनों ही सोशल नेटवर्किंग माध्यमों की लत का सबसे अधिक प्रभाव रिश्तो पर पड़ता है । वक्त होते हुए भी वक्त नहीं – वर्तमान समय में ज्यादातर पति – पत्नी दोनों ही कामकाजी होते हैं दिन भर साथ गुजारने का वक्त ही नहीं मिलता और जब शाम को घर पर होते हैं तो आपस में बातचीत करने के बजाय उनका ज्यादातर वक्त उनका फेसबुक पर दूसरों की तस्वीरें लाइक करने और व्हाट्सएप पर चैट करने में ही बीत जाता है | जब मोबाइल पर उंगलियां फिराते – फिराते थक जाती हैं तो टीवी के रिमोट पर अटक जाती हैं | इस तरह आजकल दिन की शुरुआत भी और रात भी व्हाट्सएप पर आई लोगों की चैट चेक करते हुए और फेसबुक पर लोगों के नए अपडेट्स देखते हुए होती हैं । संवाद में कमी रिश्तो में दूरी की जड़ – विचारणीय बात यह है कि जो पीढ़ी अपने स्वास्थ्य को सही रखने के भोजन सही प्रकार से करने में लापरवाही कर सकती है तो वह अपने रिश्तो की डोर को मजबूत बनाए रखने के प्रयासों में कितनी ढील बरतती होगी ? रिश्ते कमजोर तब ही पड़ते हैं जब उनमें तालमेल की कमी होती है यह तालमेल संवाद के जरिए सही बैठाया जा सकता है मगर आज के नौजवानों में इगो थोक के भाव बढ़ा हुआ है , अपने रिश्तो में उलझी हुई बातों को सुलझाएं रखने के बजाय फेसबुक पर दिमाग खपाना उन्हें अधिक बेहतर लगता है | एक कानूनी फर्म ” स्लॉटर एंड गोर्डोने ” के वकीलों के मुताबिक पति पत्नी के रिश्ते को बिगाड़ने में फेसबुक का सबसे बड़ा हाथ है | वैसे केवल भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी सोशल मीडिया पर जरूरत से ज्यादा एक्टिव दंपति के रिश्ते टूटने के कगार पर पहुंच रहे हैं । दरअसल इसके पीछे बड़ा कारण है शक , और शक के बीज उसी रिश्ते में पनपते हैं जहाँ आपसी संवाद कम होता है । आजादी का गलत फायदा उठाते यूज़र्स – आजकल तो महिलाएं भी कामकाजी हैं यानी उन पर डबल जिम्मेदारी होती है वैसे तकनीक ने सब कुछ आसान बना दिया है लेकिन समय की कमी अभी भी बरकरार है | स्मार्टफोन के जरिये महिलाओं को काम करने में सुविधा हो गयी है , इस बारे में जानने के लिए इस लिंक को देखें – https://www.palakwomensinformation.com/2020/09/e-wallet.html परन्तु उस पर सोशल नेटवर्किंग साइट्स मियां बीवी में और भी अधिक कम्युनिकेशन गैप को बढ़ा रही है ऐसे में संबंधों की डोर का
कमजोर पड़ना कोई अचंभे की बात नहीं है । फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे सोशल नेटवर्किंग माध्यम आपस में जुड़ने व खाली वक्त में एक दूसरे का टाइम पास करने के लिए बने हैं , इनसे नए लोगों के बारे में जानकारी एकत्र की जा सकती है इसमें कुछ भी गलत नहीं है मगर निजी जीवन में इन सोशल नेटवर्किंग माध्यमों का दखल और संबंधों पर इनका हावी होना रिश्तो को बिखेर सकता है ऐसे में समझदारी से ही इनका इस्तेमाल करना बेहतर होगा ।
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