महिला समाज की धुरी
महिला समाज का दर्पण होती है यदि किसी समाज की स्थिति को देखना है तो वहां की नारी की अवस्था को देखना होगा | राष्ट्र की प्रतिष्ठा , गरिमा , उसकी समृद्धि पर नहीं वरन उस राष्ट्र के सुसंस्कृत व चरित्रवान नागरिको से है और राष्ट्र को , समाज को ये संस्कार देती है एक नारी जो एक माँ है , पत्नी है , बहन है , बेटी है | माँ अपने व्यवहार से बिना बोले ही बच्चे को बहुत कुछ सीखा देती है , नारी मार्गदर्शक है वो जैसा चित्र अपने परिवार के सामने रखती है परिवार व बच्चे उसी प्रकार बन जाते है | नारी एक प्रेरक शक्ति है वह समाज व परिवार के लिए चैतन्य स्वरुप है |
आज का जो परिवेश है उसकी कल्पना हजारो साल पहले तक नहीं की जा सकती थी यह सिलसिला सालो से चला आ रहा है इसे ही परिवर्तन कहते है | नारी चाँद पर पहुंच गयी कल्पना चावला का नाम तो कोई नहीं भुला होगा इसके साथ – साथ नारी उच्चपदों पर आसीन है | आज महिलाओं और पुरुषो में कोई अंतर नहीं है | पुरुषो को जो अधिकार प्राप्त है वो महिलाओं को भी प्राप्त है | आज सभी क्षेत्रों में महिलाएं कदम से कदम मिलाकर चल रही है आज महिलाएं देश की सीमा पर तक तैनात है बावजूद इसके महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की ज़रूरत है व अपने अधिकार समझे | अगर हम आज महिलाओं की अवस्था की पौराणिक समाज की स्थिति से तुलना करे तो यह साफ़ दिखता है कि दिन प्रतिदिन महिलाये ऐसे – ऐसे कीर्तिमान बना रही है जिस पर न सिर्फ परिवार , समाज को बल्कि पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है | भारतीय नारियों पर अधिक जानकारी के लिए ये लेख पढ़े – https://hi.wikipedia.org/wiki हौसला और उड़ान 1– भारतीय एयर फ़ोर्स में जो महिलाये है वो पायलट के तौर पर नहीं नियुक्त जाती थी उन्हें तकनीकी पद दिए जाते थे परन्तु भारत की तीन महिलाओं को फाइटर पायलट के तौर पर 2017 में नियुक्त किया गया —1 – अवनी चतुर्वेदी 2 – भावना कान्त 3 – मोहना सिंह अवनी चतुर्वेदी पहली “अकेले ” फाइटर प्लेन मिग – 21 उड़ाने वाली भारतीय महिला बनी |
2 – ऐश्वर्या श्योराण फेमिना मिस इंडिया 2016 की फाइनलिस्ट , कैंपस प्रिंसेस दिल्ली 2016 , फ्रेश फेस विनर 2015 ने हमें बहुत गर्व महसूस कराया है उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा 2019 में ऑल इंडिया ९३वी रैंक पायी है | जीवन मंत्र 1 – बुद्धि ही शक्ति की जड़ है | 2 – मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है | 3 – जीवन के लिए जरुरी है मेहनत और विश्वास | 4 – असफल होना भी नए रास्ते की शुरुआत है | 5 – जो व्यक्ति विवेक के नियम तो सीख लेता है पर उन्हें अपने जीवन में नहीं उतारता वह ठीक उस किसान की तरह है जिसने अपने खेत में मेहनत तो की है पर बीज नहीं बोये |
बहुत बढ़िया !
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संक्षिप्त और सारगर्भित बहुत बेहतरीन
Ati sundar.
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वाह प्रतिभा ,बहुत अच्छा काम ।
धन्यवाद
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धन्यवाद
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बहुत अच्छा लिखा।
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वाह बहुत बढ़िया
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