बचत से सवारें बजट
मौजूदा हालात में बचत की पारंपरिक परिभाषा बदल गई है अब इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आप अपने घर पर कैश बचा कर रखें बल्कि कुछ भी खरीदने से पहले यह सोचना जरूरी है कि क्या वाकई आपको इसकी जरूरत है या नहीं । अगर पल भर के लिए भी आपको यह लगता है कि किसी खर्च को टाला जा सकता है तो उसी वक्त बचत से सवारें बजट | इससे बचत के साथ- साथ आपका बजट भी संतुलित रहेगा । भविष्य के लिए बचत की जब भी बात की जाती है तो अक्सर लोग यही सोचते हैं कि ” कल की चिंता में अपना आज क्यों खराब करना ” लेकिन खर्च के मामले में अपनाई गई थोड़ी सी सूझबूझ भविष्य में आपको कई तरह की आर्थिक परेशानियों से बचा सकती हैं । पैसे खत्म होने के बाद पछताने से बेहतर यही होगा कि घर का बजट बनाते समय अनावश्यक खर्चों को शुरू से ही नियंत्रित किया जाए । परिवार का सहयोग लें – परिवार के सभी सदस्यों की जरूरतें अलग – अलग होती हैं इसलिए बजट बनाने की प्रक्रिया में पति पत्नी के साथ बच्चों और बुजुर्गों को भी शामिल किया जाना चाहिए । जब लोगों को पहले से ही पता रहेगा कि इस महीने खर्चों में कटौती की जा रही है तो वह अनावश्यक वस्तुओं की मांग नहीं करेंगे ।
किस्तों के प्रलोभन से बचें – अक्सर ई० एम ० आई का प्रलोभन लोगों को आकर्षित करता है | इस के लालच में लोग अपने घर के लिए वैसी महंगी चीजें भी खरीद लाते हैं जो उनके लिए जरूरी नहीं होती भले ही कंपनियां जीरो परसेंट ब्याज पर सामान बेचने का दावा करती है पर लोगों को यह मालूम नहीं होता कि पहले ही वह उस वस्तु की कीमत बढ़ाकर रखती हैं लोग यह सोच कर खुश होते हैं कि कंपनी उनसे कोई ब्याज नहीं ले रही है पर उन्हें ज्यादा कीमत पर सामान खरीदना पड़ता है । समझदारी इसी में है कि जब तक अति आवश्यक न हो ई ० एम ० आई पर चीजें ना खरीदें और सोच समझकर खर्च करें । जब आपके बैंक अकाउंट में पर्याप्त पैसे जमा हो जाए तभी आप अपनी मनपसंद वस्तु खरीदें । जहां तक संभव हो क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने की बजाय डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करें और अगर क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर ही रही है तो निर्धारित समय से पहले बकाया राशि का भुगतान करना ना भूले ।
खुद बनाएं अपना बजट – अपने परिवार की जरूरत को आप से अधिक बेहतर कौन समझ सकता है इसलिए यह जरूरी नहीं कि बचत से बजट सवारने के लिए फाइनेंशियल एक्सपर्ट की सलाह ली जाए | आप खुद ही अपने परिवार का बजट बनाएं , इस दौरान अगर कुछ बातों का खास ध्यान रखा जाए तो आपके लिए बजट बनाना आसान हो जाएगा- १- सबसे पहले राशन के अलावा छोटे हिस्सों में होने वाले खर्चों जैसे फल , सब्जी , दूध ,अंडे, बेकरी प्रोडक्ट्स प्रतिदिन ऑफिस में होने वाले छिटपुट खर्चों की सूची बना ले।
२- अब आप उन मदों की सूची बनाएं जहां आपको पैसे का भुगतान करना है जैसे होम लोन , कार लोन , बच्चों के स्कूल व ट्यूशन फीस , टीवी मोबाइल रिचार्ज , बिजली घरेलू सहायकों का वेतन आदि फिर इन सारे खर्चों को जोड़ें इससे आपको महीने के शुरुआत में ही पता चल जाएगा कि आपकी आय का कितना हिस्सा हर हाल में खर्च होगा। ३ – आकस्मिक जरूरतों के लिए भी एक अलग सूची बनाएं जैसे मामूली बीमारी के दौरान डॉक्टर की फीस दवाओं का खर्चा मेहमानों व घर , कार , से जुड़ी छोटी – मोटी मरम्मत पर होने वाले व्यय । ध्यान रहे इसका इस्तेमाल किसी दूसरे मद में नहीं होना चाहिए। ४- अपनी मासिक आय में प्रतिमाह कम से कम 5% तक बचत जरूर करें । ५- सभी बिलों का भुगतान सही समय पर करें ताकि देरी की वजह से फाइन भरने की नौबत ना आए। ६- अगर किसी महीने के अंत में आपको आर्थिक तंगी महसूस हो रही हो तो अगले महीने कुछ गैर जरूरी खर्चों में कटौती कर के नुकसान की भरपाई कर ले। बजट बनाते समय अपने मासिक खर्च की अधिकतम सीमा निर्धारित करें और पूरे महीने इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि किसी भी हाल में उस निर्धारित सीमा से ज्यादा खर्च नहीं करेंगे फिर अपने लिए किसी बड़े टारगेट का चुनाव कर सकते हैं। ऐसी छोटी – छोटी बचत के लिए बैंक में आरडी (रिकरिंग डिपॉजिट) अकाउंट खोलना भी फायदेमंद रहता है यह कस्टमर के सेविंग अकाउंट से जुड़ा रहता है। प्रतिमाह उसके द्वारा तय की गई निर्धारित तिथि को उसके सेविंग अकाउंट से एक निश्चित राशि आरडी में ट्रांसफर हो जाती है इस पर अच्छा ब्याज भी मिलता है अवधि पूरी होने पर वह पैसा अपने आप व्यक्ति के सेविंग अकाउंट में वापस चला जाता है इसके अलावा पीपीएफ भी बचत का अच्छा माध्यम है इससे इनकम टैक्स में भी छूट मिलती है। अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगे तो आपका बजट हमेशा संतुलित रहेगा और महीने के अंत में कोई परेशानी भी नहीं होगी।
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Emi wala point bahut sahi hai. Aj kal emi k chakkar me bahut cheezon ki kharidari ho jati h.. Na chahte hue bhi
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