नयी शिक्षा नीति 21वीं सदी के नए भारत की नींव
वर्षों से शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव न होने से समाज में जिज्ञासा व कल्पना के मूल्यों को बढ़ावा मिलने के जगह भेड़चाल को बढ़ावा मिलने लगा था | युवाओं में डॉक्टर , इंजीनियर , तो कभी वकील बनने की होड़ लगी थी | रूचि , योग्यता व मांग की जरूरत समझे बिना होड़ की प्रवृति से शिक्षा को निकालना जरूरी था ऐसी परिस्थितिओं के बीच नयी शिक्षा नीति 21वीं सदी के नए भारत की नींव तैयार करेगी | नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्री-प्राइमरी से लेकर उच्चशिक्षा तक आमूल-चूल बदलाव की बात की गयी है और शिक्षा खर्च को जीडीपी 6 % तक करने का लक्ष्य रखा गया है जो की पहले 4.43 तक था | शिक्षा नीति का प्रस्तुत ढांचा एकदम क्रन्तिकारी है | नयी नीति पूरे पाठ्यक्रम को 5 – 3 – 3 – 4 के तहत चार हिस्सों में बांटा गया है | पहले शिक्षा 10 + 2 पद्धति पर आधारित थी | यह प्री – नर्सरी के बच्चों के बस्तों का बोझ कम करती है | इसमें पाँचवी तक सबको ” मातृभाषा ” में शिक्षा देने की व्यवस्था की गयी है |
फाउंडेशन – नर्सरी , केजी , व अपर केजी 1 – पहले पांच में फाउंडेशन वर्ग के तहत नर्सरी , केजी व अपर केजी होंगे | इसमें तीन साल के बच्चे प्री – स्कूलिंग शिक्षा लेंगे और फिर पहली , दूसरी में पढ़ेंगे 2 – एनसीईआरटी के विशेष पाठ्यक्रम में एक्टिविटी आधारित लर्निंग पर फोकस होगा | इसमें 3 से 8 साल तक के बच्चे कवर होंगे | प्राथमिक – तीसरी , चौथी , पांचवी
1 – दूसरे वर्ग में तीसरी , चौथी और पाँचवी के छात्र शामिल होंगे | इसमें बच्चो को प्रयोगों के माध्यम से गणित , विज्ञान , और कला आदि विषयों की पढाई करवाई जाएगी | इसमें 8 – 11 आयु वर्ग के बच्चे शामिल होंगे | माध्यमिक – छठी , सातवीं , आठवीं
1 – इस वर्ग में छठी , सातवीं , और आठवीं कक्षा होगी और 11 – 14 आयु वर्ग के छात्रों को शामिल किया जायेगा | इसमें विषय आधारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जायेगा | 2 – कक्षा छह से ही कौशल विकास कोर्स , अनिवार्य व्यवसायिक प्रशिक्षण की पढाई इसमें 10 दिन की लोकल क्राफ्ट की इंटर्नशिप करनी पड़ेगी | सेकेंडरी स्टेज – नौवीं से बारहवीं 1 – चौथे वर्ग में नौवीं से बारहवीं तक की पढाई होगी इसमें 14 – 18 वर्ष के छात्र होंगे बोर्ड की तैयारी पर फोकस होगा | विषय चुनने की आजादी होगी | अपने विषयो के साथ – साथ बहुविषयक जानकारी को बढ़ावा मिलेगा | बोर्ड परीक्षा रटने के बजाय ज्ञान बढ़ाने पर आधारित होगी इसलिए पाठ्यक्रम कम होगा | परंपरागत कौशलों के शिक्षण के साथ सेकेंडरी में अनेक विषयो में व्यापक च्वाइस दी गयी है | अब स्नातक कोर्स चार साल का होगा जो ग्लोबल स्तर का होगा जिसमे हर स्तर पर अन्तर्विषयी लचीलापन होगा | छात्रों को अपने पसंद के विषय चुनने की आजादी होगी | संगीत का छात्र गणित चाहे तो पढ़े व विज्ञान वाला चाहे तो विज्ञान के साथ कला शिल्प भी पढ़े | पहले तीन साल पूरा करने पर बी० ए० की डिग्री ली जा सकती है | अगर कोई एक साल या दो साल पढ़कर छोड़ कर जाता है तो एक अवधि तक वापस आकर वो अपनी डिग्री पूरी कर सकता है | ” दाखिले ” व ”छोड़ने ” के बीच का यह लचीलापन छात्रों के हित में है | नई शिक्षा नीति में प्रस्तावित चार साल के स्नातक कोर्स का
चौथा वर्ष एकदम क्रन्तिकारी विचार है | इसमें अन्तर्विषयी व व्यावहारिक शिक्षा और क़्वालिटी रिसर्च पर बल दिया गया है | उसके बाद छात्र बिना एम ० फिल ० के पी ० एच ० डी ० में जा सकेंगे | यह शिक्षा नीति ” कस्तूरीरंगन ” जैसे बौद्धिक की बनायीं हुई है जो दो लाख फ़ीडबैकों से पुष्ट है | यह शिक्षा नीति समकालीन डिजिटल व तकनीकी परिवर्तनों की शिनाख्त करती है उनसे शिक्षा – दीक्षा को जोड़ती है | डिजिटल क्रांति का उपयोग करना , ज्ञान के प्रति अति स्पर्धी ग्लोबल जगत में अपनी जगह बनाना , समाजिक जरूरतों के हिसाब से शोध आदि को प्रोत्साहित करना साथ ही कौशल विकास को बढ़ावा देना इसके कुछ बेहद मौलिक व चमकदार बिंदु है | लेकिन दुनिया के अच्छे विश्वविद्यालयों का अनुभव यह भी बताता है की यह नीति तभी फलदायी हो सकती है जब शिक्षा संस्थान अपेक्षित रूप से ” स्वायत्त ” और पर्याप्त रूप से “फंडित ” हो और यह इस नीति की सबसे कमजोर कड़ी है | इसमें शिक्षा के निजीकरण पर जोर है हमारे देश में आज भी पर्याप्त सरकारी फंडिंग से ही सफल हो सकती है | निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थान सिर्फ अमीरों के लिए होते हैं जबकि इस तरह की शिक्षा नीति की सबसे अधिक जरूरत गरीबों को ही है | महिलाओं के परिप्रेक्ष्य में – बेटियों को सौ फीसदी स्कूली शिक्षा मुहैया करवाने के लिए कस्तूरबा गाँधी विद्यालय का बारहवीं कक्षा तक विस्तार होगा | बेटियां आर्थिक व सामाजिक दिक्कतों के चलते पढाई बीच में न छोड़े व बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए “जेंडर समावेशी निधि ” का भी गठन किया जायेगा मोदी सरकार चुनावी घोषणा पत्र 2014 के बेटी – बचाओ बेटी – पढ़ाओ अभियान को पूरा करेगी पहली बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2 0 2 0 में बेटियों को आगे बढ़ाने की योजना तैयार की गयी है | पिछली राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों में बेटियों को आगे बढ़ाने पर ऐसा अलग से प्रावधान नहीं किया गया था | नीति में लिखा है कि आर्थिक व सामाजिक दिक्कतों के चलते देश के कई भागों में बेटियों को
पढ़ने का मौका ही नहीं मिलता है इसलिए स्थानीय स्तर पर ऐसे परिवारों की पहचान की जाए | बेटियों को शिक्षा से जोड़ने के लिए केंद्र व राज्यों के विभाग विभिन्न योजनाओं को तैयार करेंगे | नयी शिक्षा नीति पर विस्तृत जानकारी के लिए इस लिंक पे जाएँ – https://hi.wikipedia.org/wiki/ यह शिक्षा नीति ज्ञान के क्षेत्र में पिछड़ गए भारत को दुनिया के बराबर आने का अवसर देती है | अतीत के नालंदा व तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय अपने समय में अंतर्विषयी ज्ञान व शोध के लिए जाने जाते थे हम बहुत दिन बाद अपनी ज़मीन पर वापस लौटे हैं यह स्वागत योग्य हैं |
शिक्षानीति पर अच्छी जानकारी
Thank you
Nice
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Thank you